CG: गरियाबंद में सहायक उपनिरीक्षक नंदकुमार नेताम को दी गई ससम्मान विदाई, पुलिस विभाग के चार दशकों की सेवा को मिला भावभीना नमन

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के गरियाबंद ज़िले में आज एक भावुक और ऐतिहासिक क्षण देखा गया, जब सहायक उपनिरीक्षक नंदकुमार नेताम को लगभग 43 वर्षों की उत्कृष्ट, निष्ठावान एवं ईमानदार सेवा के उपरांत गरियाबंद पुलिस परिवार द्वारा ससम्मान विदाई दी गई। पुलिस कार्यालय के सभा कक्ष में आयोजित इस विशेष सम्मान समारोह में विभागीय गरिमा, आत्मीयता और गर्व का अनोखा संगम देखने को मिला।

सम्मान समारोह में उमड़ा पुलिस परिवार का स्नेह
इस अवसर पर गरियाबंद जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चंद्राकर, उप पुलिस अधीक्षक श्रीमती गरिमा दादर, रक्षित निरीक्षक सनत ठाकुर, स्टेनो शिवेन्द्र राजपूत, समेत बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित रहे। सभी ने सहा. उपनिरीक्षक श्री नेताम के सेवाकाल की सराहना करते हुए उनके कार्यों को प्रेरणास्रोत बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत शुभकामनाओं और पुष्पगुच्छों से हुई। इसके पश्चात श्री नेताम को गरियाबंद पुलिस परिवार की ओर से साल, श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। हर शब्द, हर सम्मान और हर तालियों की गूंज में उनके वर्षों की तपस्या झलक रही थी।
1982 में आरक्षक, 2025 में विदाई — चार दशकों की बेमिसाल यात्रा
नंदकुमार नेताम ने वर्ष 1982 में पुलिस आरक्षक के रूप में अपनी सेवा की शुरुआत की थी। प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने रायपुर जिले के विभिन्न थानों में कार्य किया और 2010 तक रायपुर जिले में अपनी सेवाएं दीं। उसके पश्चात जब गरियाबंद जिला अस्तित्व में आया, तो श्री नेताम को यहां स्थानांतरित किया गया। तब से लेकर अब तक उन्होंने गरियाबंद के कई थानों और पुलिस लाइन में सेवा देकर अनेक चुनौतियों को सफलता से पार किया।
उनके सहयोगियों के अनुसार, श्री नेताम कभी डरे नहीं, कभी झुके नहीं। चाहे नक्सल क्षेत्र की चुनौती रही हो या कानून-व्यवस्था की जटिलताएं — वे हर परिस्थिति में विभाग के आदर्श बने रहे।
कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और संवेदनशीलता का पर्याय रहे श्री नेताम
उनके साथ कार्य कर चुके कई अधिकारियों ने बताया कि श्री नेताम ने हमेशा ईमानदारी, अनुशासन और संवेदनशीलता को अपनी कार्यशैली का मूल मंत्र बनाया। वे न केवल विभाग के आदेशों का पालन करते रहे, बल्कि आम जनता के बीच एक सुलझे हुए, सौम्य और सहयोगी पुलिस अधिकारी के रूप में पहचान बनाई।
एक जवान ने भावुक होकर कहा, “नेताम सर सिर्फ अधिकारी नहीं थे, वे हमारे मार्गदर्शक थे। उन्होंने हमें सिखाया कि पुलिस की वर्दी सिर्फ ताकत नहीं, जिम्मेदारी भी है।”
पुलिस विभाग के लिए छोड़ गए प्रेरणास्पद विरासत
सेवा निवृत्ति के इस अवसर पर श्री नेताम ने सभी अधिकारियों, सहयोगियों और परिवारजनों को धन्यवाद देते हुए कहा, “मैंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष इस वर्दी को दिए हैं। आज जो कुछ भी हूं, वह पुलिस विभाग की बदौलत हूं। मेरी कामना है कि युवा पुलिसकर्मी पूरे समर्पण और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”
उनकी यह विदाई ना केवल एक सेवानिवृत्त अधिकारी की विदाई थी, बल्कि एक युग का समापन भी थी, जिसने कई पीढ़ियों के पुलिस कर्मियों को सीख दी।
आगे की जिंदगी के लिए शुभकामनाओं की बौछार
कार्यक्रम के अंत में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चंद्राकर ने कहा, “श्री नेताम की सेवा हमारे लिए मिसाल है। उनकी कमी हमें हमेशा खलेगी, लेकिन हम गर्व करते हैं कि हमें उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला। हम उनके उज्जवल भविष्य और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं।”
एक वर्दीधारी कर्मयोगी को सलाम
इस गरिमामयी विदाई समारोह ने यह सिद्ध कर दिया कि कर्तव्यपरायणता, ईमानदारी और इंसानियत कभी पुरानी नहीं होती। सहा. उपनिरीक्षक नंदकुमार नेताम जैसे अधिकारी पुलिस विभाग की वो मजबूत नींव होते हैं, जिन पर आने वाली पीढ़ियाँ अपने कर्तव्यों की इमारत खड़ी करती हैं।
गरियाबंद पुलिस परिवार की ओर से उन्हें सलाम, शुभकामनाएं और अनंत सम्मान।