CG NEWS : छुरा में विश्व पर्यावरण दिवस बना हरियाली का उत्सव , पतंजलि योग समिति के नेतृत्व में वृहद पौधारोपण महाभियान, मियावाकी तकनीक और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से मिली नई ऊर्जा

CG NEWS : छुरा में विश्व पर्यावरण दिवस बना हरियाली का उत्सव , पतंजलि योग समिति के नेतृत्व में वृहद पौधारोपण महाभियान, मियावाकी तकनीक और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से मिली नई ऊर्जा

पौधारोपण अभियान छत्तीसगढ़

छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। जहाँ एक ओर दुनिया भर में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस महज एक प्रतीकात्मक आयोजन बनकर रह गया है, वहीं छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरा क्षेत्र में इस दिन को एक हरियाली उत्सव का रूप दिया गया। पतंजलि योग समिति जिला गरियाबंद ने इस अवसर पर जो पौधारोपण महाभियान चलाया, उसने न सिर्फ जिले की हरियाली में योगदान दिया, बल्कि जनमानस में पर्यावरण के प्रति चेतना और संवेदनशीलता का संचार भी किया।

पतंजलि योग समिति गरियाबंद

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इस अभूतपूर्व अभियान का नेतृत्व पतंजलि योग समिति के गरियाबंद जिलाध्यक्ष, प्रख्यात योगविद् अर्जुन धनंजय सिन्हा ने किया। श्री सिन्हा ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा,

“हर प्राणी का आधार है पौधा, प्रकृति संतुलन का आकार है पौधा। हमें समझना होगा कि आज लगाए गए पौधे ही कल हमारी अगली पीढ़ी के जीवनदायी वृक्ष होंगे।”

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‘एक पेड़ मां के नाम’— भावनाओं से जुड़ा अभियान

कार्यक्रम में जिलाधीश भगवान सिंह उइके द्वारा प्रोत्साहित ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को विशेष रूप से अपनाया गया। श्री सिन्हा ने कहा,

“इस अभियान को केवल औपचारिकता न समझें, बल्कि इसे मां के प्रति श्रद्धा और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के रूप में मनाएं। जब हम एक पेड़ को अपनी मां के नाम पर रोपते हैं, तो उसमें हमारे भावनात्मक रिश्ते भी सिंचित होते हैं।”

एक पेड़ मां के नाम अभियान

हरियाली का फैलता कारवां – औषधीय, फलदार और छायादार पौधों की बहार

अभियान के तहत जिले के सभी आयुर्वेदिक ग्रामों में हजारों की संख्या में पौधे रोपे गए, जिनमें नीम, पीपल, बरगद, करंज, बेल, आम, कटहल, आंवला, गुलर, अशोक, जामुन, अमरूद जैसे औषधीय, फलदार और छायादार वृक्ष शामिल हैं। पौधारोपण के साथ ही इन पौधों के संरक्षण और संवर्धन की शपथ भी दिलाई गई।

मियावाकी तकनीक से बढ़ाया पौधों का जीवनचक्र

जिले के समर्पित योग शिक्षक देवनारायण यदु ने मियावाकी तकनीक से पौधारोपण कर इस मुहिम को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। उन्होंने स्वयं मिट्टी को उपचारित कर छोटे भूभागों में अधिक से अधिक पौधे लगाने की मिसाल पेश की।

योगियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अगुवाई में गाँव-गाँव पौधारोपण

यह अभियान केवल छुरा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जिले के अन्य गांवों जैसे पंडरीपानी, लोहझर, खैरझिटी, रावनाभाठा, कोरासी, मड़ेली, परसदा खुर्द, ओनवा, गिधनी, सोरिद खुर्द और बहेराभाठा में भी जनभागीदारी के साथ पौधारोपण किया गया।

इस अभियान में जिले के कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

संतराम कंवर (जिला प्रभारी, भारत स्वाभिमान न्यास)*गणेश आजाद (जिला योग प्रचारक),रेखचंद साहू (रावनाभाठा),हेमलाल पटेल व भोज पटेल (खैरझिटी, लोहझर),तेजराम ध्रुव (कोरासी),हेमसिंह सिन्हा (मड़ेली),मोहन नेताम (प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट),हरीश नेताम (जूडो-कराटे मास्टर),पोखन ठाकुर, गोविंद नेताम, पुनीत ठाकुर, कान्हा सिन्हा, संतोष सोरी आदि।

मियावाकी तकनीक पौधारोपण

शुद्ध वायु, स्वच्छ जल और हरियाली के लिए संकल्प

जिला महामंत्री शंकर लाल यदु ने अपने उद्बोधन में कहा,

“वृक्ष हमारे पर्यावरण संतुलन के आधार स्तंभ हैं। वे न केवल कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर प्राणवायु देते हैं, बल्कि जलवायु नियंत्रण, जल संचयन और मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करते हैं।”

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जीवन में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं और उसे पेड़ बनने तक देखभाल करें।

यज्ञाचार्य हेमलाल पटेल और भोज पटेल ने कहा कि,

“वृक्ष हमारे जीवन के मौन रक्षक हैं। जब हम गहरी सांस लेते हैं तो उसमें पेड़ की ही भूमिका होती है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ वायु आवश्यक है और इसका एकमात्र समाधान अधिक से अधिक वृक्षारोपण है।”

संवेदनाओं की मिट्टी में उगे हरियाली के बीज

इस अभियान ने यह संदेश दिया कि जब तक समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी नहीं होगी, पर्यावरण संरक्षण केवल नारा बनकर रह जाएगा। पतंजलि योग समिति के इस प्रयास ने ‘जन से जन’ तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुँचाया है।

निष्कर्ष: हर एक पौधा, एक नई उम्मीद

छुरा में आयोजित यह अभियान केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि आने वाले समय में हरियाली की एक स्थायी नींव है। पतंजलि योग समिति की यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए उदाहरण बनी, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि जनसहभागिता से कैसे किसी विचार को जन-आंदोलन में बदला जा सकता है।

यदि प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ एक पौधा भी अपने जीवन में रोपे और उसका पालन करे, तो निश्चित ही पृथ्वी पर फिर से हरियाली लौटेगी — यही इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।

अर्जुन धनंजय सिन्हा योग शिक्षक

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