CG: ‘पढ़बो सब झन, गढ़बो जन जन’: खट्टी गांव में गूंजा शिक्षा का उद्घोष, नवप्रवेशी बच्चों का शाला प्रवेशोत्सव बना प्रेरणा का पर्व

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। ‘ पढ़बोसब झन, गढ़बो जन जन’: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल गरियाबंद जिले के ग्राम खट्टी में मंगलवार को एक अद्वितीय दृश्य देखने को मिला, जब गांव की गलियों में शिक्षा का उत्सव गूंज उठा। शासकीय पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला खट्टी में आयोजित शाला प्रवेशोत्सव महज एक सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जनभागीदारी से भरा उत्सव था, जहां शिक्षा को लेकर ग्रामीणों का उत्साह, नवप्रवेशी बच्चों की चमकती आंखें और शिक्षकों की प्रतिबद्धता ने मिलकर यह संदेश दिया कि – अब कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा।

शुरुआत तिलक और मिठाई से, समापन संकल्प से
कार्यक्रम की शुरुआत गांव के वरिष्ठ नागरिकों, पालकों और स्कूल स्टाफ की उपस्थिति में नवप्रवेशी बच्चों के स्वागत से हुई। बच्चों को पारंपरिक ढंग से तिलक लगाकर, मुँह मीठा कराकर और खीर-पूरी खिलाकर विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया। इस आत्मीय स्वागत ने नन्हे विद्यार्थियों के मन से डर और संकोच को हटाकर, विद्यालय को उनके लिए एक दूसरा घर बना दिया।
निःशुल्क गणवेश वितरण ने बच्चों के आत्मविश्वास को और बढ़ाया। कई बच्चों ने पहली बार अपने शरीर पर स्कूल की ड्रेस पहनकर खुद को गौरवशाली महसूस किया। उनके चेहरों पर चमक और आंखों में सपने साफ दिखाई दे रहे थे।
शिक्षकों की प्रेरक वाणी: शिक्षा से जुड़े रहने की अपील
इस अवसर पर सहायक शिक्षक गिरीश शर्मा ने कहा –
“आज का यह आयोजन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक मिशन है। हमारा उद्देश्य है कि बच्चे विद्यालय से डरें नहीं, बल्कि उसे अपनाएं। हम चाहते हैं कि ‘पढ़बो सब झन, गढ़बो जन जन’ का नारा हर घर में गूंजे।”
माध्यमिक शाला के प्रभारी प्रधान पाठक चैन सिंह यादव ने बच्चों से नियमित विद्यालय आने की अपील की और कहा कि यदि पालकगण सहयोग करें, तो बच्चों का भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल होगा।
“शिक्षा सिर्फ बच्चे की नहीं, पूरे गांव की समृद्धि की कुंजी है,” उन्होंने ज़ोर देकर कहा।
प्राथमिक शाला की प्रधान पाठक गीता चंद्राकर ने शिक्षा के साथ संस्कारों पर बल देते हुए कहा –
“हम पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। यदि घर से अच्छे संस्कार मिलें और विद्यालय से गुणवत्ता युक्त शिक्षा, तो बच्चों का सर्वांगीण विकास निश्चित है।”
ग्रामीणों की अभूतपूर्व भागीदारी: बना जन-उत्सव
इस आयोजन की सबसे खास बात रही गांववासियों की अभूतपूर्व भागीदारी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे, जिनमें पंच रामप्रसाद ध्रुव, पूर्व पंच हेमबाई, शांतू राम, प्रभु लाल यादव, हेमलाल पटेल, मनीष चंद्राकर, देवेन्द्र कांशी, टी आमदे, मीना यादव, एन बाई, ममता निषाद, साधना चंद्राकर, चमेली ध्रुव, डिगेस्वरी ध्रुव, पूर्णिमा बाई, नीरा बाई, दीपक ध्रुव, केशरी ध्रुव, तामेस यादव, धर्मेंद्र ध्रुव सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इन सभी ने न सिर्फ बच्चों का उत्साहवर्धन किया, बल्कि खुद को शिक्षा अभियान का साझीदार भी घोषित किया।
संकल्प का क्षण: शिक्षा की अलख को जलाएंगे
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय स्टाफ, पालक और ग्रामीणों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि —
“ग्राम खट्टी को शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श गांव बनाया जाएगा।”
यह संकल्प केवल शब्द नहीं था, बल्कि उसमें एक गूंज थी — एक उम्मीद थी कि अब यह गांव जाग चुका है और अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ने को तैयार है।
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छोटे बच्चों की बड़ी मुस्कान बनी आयोजन की सबसे बड़ी जीत
कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि रही नवप्रवेशी बच्चों की वह मुस्कान, जो उनके मन के भीतर की खुशी को बयां कर रही थी। पहली और छठवीं कक्षा में प्रवेश लेने वाले बच्चों के लिए यह दिन उनके जीवन की पहली उपलब्धि जैसा था — जब उन्हें न सिर्फ शिक्षा की ओर पहला कदम रखने का अवसर मिला, बल्कि पूरे गांव ने उनके इस कदम का अभिनंदन किया।
शिक्षा अब अभियान नहीं, जनांदोलन है
खट्टी गांव का शाला प्रवेशोत्सव यह संदेश लेकर आया कि यदि शिक्षक, पालक और समाज मिलकर कार्य करें तो शिक्षा का कोई सपना अधूरा नहीं रहता। ‘पढ़बो सब झन, गढ़बो जन जन’ अब केवल एक नारा नहीं, एक आंदोलन बन चुका है — और खट्टी इसका प्रमाण है।