CG: देवभोग पुलिस की मिसाल: बुजुर्ग के गुम हुए 52 हजार दो घंटे में तलाशकर लौटाए, जनविश्वास को दी नई ऊंचाई

देवभोग/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। देवभोग पुलिस की मिसाल:”जब जिंदगी की आखिरी पूंजी भी हाथ से छूट जाए, तो उम्मीद भी डगमगाने लगती है। लेकिन देवभोग पुलिस ने आज साबित कर दिया कि संवेदनशीलता और तत्परता हो तो कानून वाकई आम आदमी का रक्षक बन जाता है।”

बुधवार की दोपहर देवभोग थाना क्षेत्र के अंतर्गत नवागांव ग्राम के निवासी चरण सिंह, उम्र लगभग 68 वर्ष, बेहद घबराए और लाचार स्थिति में देवभोग थाने पहुंचे। उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ पढ़ी जा सकती थीं। वजह भी बेहद गंभीर थी — उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा की देवभोग शाखा से अपनी मेहनत की जमा पूंजी में से ₹52,000 नकद निकाले थे, जो कहीं रास्ते में गुम हो गए।
चरण सिंह ने कांपती आवाज़ में थाने में मौजूद अधिकारियों को बताया, “बेटा… बैंक से पैसा निकाल के निकला ही था, सामान लेकर लौटते-लौटते पता नहीं कब और कहां गिर गया… अब घर कैसे जाऊं… यही तो सब कुछ था।” इस मार्मिक स्थिति को देखकर देवभोग थाना प्रभारी ने बिना समय गंवाए तुरंत पेट्रोलिंग टीम को अलर्ट किया और तलाश शुरू कराई।
पुलिस की सक्रियता और तकनीकी मदद से खोज शुरू
जैसे ही जानकारी मिली, थाना प्रभारी ने संभावित रास्तों की पहचान की। पेट्रोलिंग टीम ने सबसे पहले बैंक से निकलने के बाद बुजुर्ग के पैदल चलने वाले रूट को चिन्हित किया और आस-पास के दुकानों, CCTV कैमरों और प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क शुरू किया।
मुख्य बाज़ार, मेडिकल स्टोर, सब्ज़ी मंडी और बस स्टैंड जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पुलिस टीम ने दो घंटे से भी अधिक समय तक गहन खोज अभियान चलाया।
देवभोग पुलिस के जवानों ने न केवल घटनास्थल के आसपास तलाश की, बल्कि यह भी देखा कि कहीं पैसे किसी दुकानदार या राहगीर के पास पड़े तो नहीं मिले। इसी दौरान एक जनरल स्टोर के सामने एक युवक ने बताया कि उसे रास्ते में एक पॉलीथिन लावारिस स्थिति में मिली थी, जिसमें नकद पैसे थे। युवक ने उसे संभालकर रखा था और पुलिस को सौंप दिया।
जांच के बाद पुष्टि हुई कि यह वही ₹52,000 थे जो चरण सिंह के थे। पहचान के लिए बैंक की निकासी पर्ची, आधार कार्ड और चरण सिंह के बयान से पूरी तरह पुष्टि हो गई।
भावुक हो उठे बुजुर्ग, कहा – ‘भगवान के बाद अब पुलिस ही सहारा है’
जब पुलिस ने पैसे उनके हाथ में सौंपे, तो चरण सिंह की आंखों से खुशी के आँसू छलक पड़े। उन्होंने कांपते हाथों से पुलिसकर्मियों को आशीर्वाद देते हुए कहा –
“सोच रहा था कि सब चला गया… अब घर कैसे चलाऊँगा… लेकिन आज मुझे लग रहा है कि पुलिस हमारी असली ताकत है। भगवान के बाद अब भरोसा पुलिस पर है।”
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पुलिस सिर्फ अपराध रोकने या कानून का पालन करवाने वाली संस्था नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों की रक्षक भी है।
थाना प्रभारी की सराहना, पुलिस टीम को मिलेगा सम्मान
देवभोग थाना प्रभारी ने बताया कि इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता और शीघ्रता दोनों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा,
“हमारा कर्तव्य है कि जरूरतमंदों की हर संभव सहायता करें। खासकर बुजुर्गों और कमजोर वर्गों के लिए हम हमेशा तत्पर हैं। यह केवल ड्यूटी नहीं, मानवता भी है।”
पुलिस अधीक्षक निखील कुमार राचेखा गरियाबंद को जब इस सफल कार्यवाही की जानकारी मिली, तो उन्होंने देवभोग पुलिस टीम की सराहना की और कहा कि जल्द ही पूरे स्टाफ को प्रशस्ति पत्र और सम्मानित किया जाएगा।
संदेश – पुलिस पर विश्वास रखें, समस्या की सूचना तुरंत दें
इस घटना से एक गहरा सामाजिक संदेश भी निकलता है – यदि कोई आपात स्थिति हो, तो घबराएं नहीं, तुरंत पुलिस की सहायता लें। बुजुर्ग हो या युवा, महिला हो या किसान, हर नागरिक की सुरक्षा और मदद के लिए पुलिस तत्पर है — बस ज़रूरत है विश्वास और सही समय पर जानकारी देने की।
देवभोग पुलिस की इस कार्यवाही ने आम जनता के बीच एक नई उम्मीद और भरोसे की लौ जलाई है।