छुरा – मात्र दो शिक्षकों के सहारे चल रही प्राथमिक शाला फुलझर, 77 बच्चों का भविष्य अधर में
छुरा (गंगा प्रकाश)। छुरा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम फुलझर की प्राथमिक शाला इन दिनों शिक्षकों की भीषण कमी से जूझ रही है। यहाँ कक्षा पहली से पांचवीं तक के 77 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए महज दो ही शिक्षक तैनात हैं। हालात यह हैं कि दोनों शिक्षकों पर ही पढ़ाई से लेकर प्रशासनिक कार्यों और छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्थिति जल्द ही नहीं सुधरी तो बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा और गांव की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।

शिक्षक गए प्रमोशन पर, बच्चों की पढ़ाई पर लगा ब्रेक
ग्राम फुलझर के जागरूक युवक योगेश्वर साहू ने बताया कि प्राथमिक शाला फुलझर में पहले पर्याप्त शिक्षक थे। लेकिन शिक्षक खेलावन साहू और हृदय साहू के प्रमोशन के बाद से विद्यालय में शिक्षक संकट उत्पन्न हो गया है। दोनों शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद से यहां मात्र प्रधानपाठक हरिराम नगरची और सहायक शिक्षक एवन साहू ही कार्यरत हैं।
योगेश्वर साहू ने कहा,
“जब से दोनों शिक्षक प्रमोशन लेकर गए हैं, तब से स्कूल का माहौल ही बदल गया है। बच्चों की पढ़ाई का स्तर गिर गया है। शिक्षकों की कमी का असर बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है। कोई भी अभिभावक अपने बच्चे का भविष्य बर्बाद होते नहीं देख सकता, लेकिन मजबूरी में उन्हें इसी व्यवस्था में बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।”
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दो शिक्षकों पर 77 बच्चों की जिम्मेदारी
प्रधानपाठक हरिराम नगरची ने बताया कि,
“स्कूल में कुल 77 बच्चे पढ़ते हैं। कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक की पढ़ाई होती है। पांचवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा के अंतर्गत आती है। दो शिक्षकों के भरोसे इतनी कक्षाओं को पढ़ाना बेहद कठिन है। छोटे बच्चों को संभालना, उनकी पढ़ाई की बुनियाद मजबूत करना, मिड डे मील, अन्य विभागीय ऑनलाइन ऑफलाइन काम, सब कुछ करना पड़ता है।”
उन्होंने कहा कि कई बार तो कक्षा का समय बांटना मुश्किल हो जाता है। किसी दिन कोई शिक्षक अवकाश पर हो तो पूरे स्कूल की पढ़ाई एक ही शिक्षक के भरोसे रह जाती है। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है और वे पिछड़ते जाते हैं। शिक्षक बताते हैं कि जो बच्चे स्कूल नहीं आते, उन्हें लाने के लिए भी शिक्षकों को पालकों के घर जाना पड़ता है, ताकि ड्रॉपआउट की समस्या न बढ़े।
शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य संकट में
ग्राम फुलझर के पालकों का कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां और सामान्य ज्ञान की कक्षाएं भी आवश्यक हैं। लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते इन गतिविधियों पर भी असर पड़ रहा है। कक्षा पांचवीं के छात्र ने कहा,
“सर जी हमें ठीक से पढ़ा नहीं पाते। कभी हमको पढ़ाते हैं, कभी दूसरी कक्षा के बच्चों को पढ़ाने चले जाते हैं। हमको अच्छा नहीं लगता।”
वहीं कक्षा तीसरी की छात्रा ने कहा कि उन्हें अंग्रेजी और गणित में पढ़ाई की कमी महसूस होती है। अगर स्कूल में और शिक्षक आ जाएं तो पढ़ाई बेहतर होगी।
ग्रामवासी कर रहे शासन से मांग
ग्राम के युवाओं और अभिभावकों ने मांग की है कि प्राथमिक शाला फुलझर में जल्द से जल्द कम से कम दो और शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई पटरी पर लौट सके। जागरूक युवक योगेश्वर साहू ने शासन से अपील करते हुए कहा,
“अगर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक रहेंगे तभी बच्चों की शिक्षा अच्छी होगी। बच्चे पढ़ेंगे तभी गांव का विकास होगा। शिक्षकों की कमी से पूरा गांव दुखी है। शासन इस पर तत्काल संज्ञान ले।”
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‘स्कूल में पढ़ाई नहीं, सिर्फ खानापूर्ति’
ग्रामीणों का कहना है कि दो शिक्षकों के भरोसे स्कूल चलाना, 77 बच्चों को पढ़ाना और अलग-अलग कक्षाओं की पढ़ाई कराना प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है। अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हुई तो वे विकासखण्ड कार्यालय और जिला कलेक्टर कार्यालय में धरना प्रदर्शन करेंगे।
प्रधानपाठक हरिराम नगरची ने भी माना कि,
“शिक्षकों की संख्या बढ़ेगी तो हम पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। अभी तो सभी बच्चों को कवर करना बहुत मुश्किल हो रहा है।”
शासन कब जागेगा?
प्राथमिक शाला फुलझर की समस्या छुरा विकासखण्ड की अकेली समस्या नहीं है। गरियाबंद जिले के कई गांवों में शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षा विभाग की अनदेखी का खामियाजा उन गरीब ग्रामीण बच्चों को भुगतना पड़ रहा है जिनकी पढ़ाई ही उनका भविष्य संवार सकती है।
ग्रामीणों की यह मांग है कि शासन-प्रशासन जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति कर बच्चों के भविष्य को अंधकार में जाने से रोके, क्योंकि अगर बच्चे पढ़ेंगे नहीं, तो गांव और देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता।