“मेरा पंचायत”

प्रभाकर शुक्ला की कलम से

यूं तो पंच सरपंच दोनों हर काम करते किफायत 

साफ सफाई स्वच्छता की भी दी जाती जन-जन को हिदायत 

पंचायत भवनों में पंचों के द्वारा दूर की जाती हर शिकायत

 कितना सुंदर मेरा पंचायत 

हर फैसला अच्छी होती खूब है इनके नियत 

खुश है यहां की हर शख्सियत 

किसानों को भी मिलती पंचायत भवन से रियायत 

कितना सुंदर मेरा पंचायत 

गांव में हर की हाल चाल व पूछे जाते हर की तबीयत

 जन-जन की खूब होती यहां पर इनायत 

यूं तो पंच सरपंच करते जन-जन की हिमायत 

कितना सुंदर मेरा पंचायत 

किसी भी बंदे को शोक सभा कर दी जाती प्रार्थना का ताजीयत 

हर पंचगण की होती हैसिहत 

कितना सुंदर मेरा पंचायत 

गांवों की सरहद पर भी खूब की जाती एहतिहात 

कुछ खाने के लिए रखकर बाकी अनाजों को दी जाती निर्यात 

यहां की अन्न की पैदा होती इफ्रात 

कितना सुंदर मेरा पंचायत 

पंच व सरपंच दोनों के काम होते असलियत 

रोजगार गारंटी की काम से मिलती सहूलियत 

पंचायत पर सभी लोगों को दी जाती अहमियत

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