Brekings: छुरा में पति-पत्नी गांजा और हिरण की खाल बेचते गिरफ्तार – वन्यजीव तस्करी और नशा कारोबार का काला गठजोड़ उजागर
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छुरा थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। यहां पति-पत्नी की जोड़ी को अवैध गांजा मादक पदार्थ और हिरण की खाल के साथ गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इनके पास से 1.5 किलो गांजा और वन्य जीव हिरण की पुरानी खाल जब्त की है, जिसकी कुल कीमत करीब 65 हजार रुपए आंकी गई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सभी थाना प्रभारियों को अपने क्षेत्रों में गांजा, शराब और वन्य जीव तस्करी पर सख्त रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे। इस निर्देश के तहत लगातार गश्त, निगरानी और मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया था। इसी क्रम में दिनांक 05 जुलाई 2025 को छुरा थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि ग्राम कनसिंघी स्थित शिव मंदिर के पास एक महिला और पुरुष संदिग्ध अवस्था में गांजा और हिरण की खाल लेकर ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं।

थाना प्रभारी ने टीम के साथ तत्काल घेराबंदी कर दोनों आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उनकी पहचान खिलावन दास वैष्णव (42 वर्ष) और उसकी पत्नी सेवती बाई वैष्णव (40 वर्ष) के रूप में हुई, जो ग्राम कनसिंघी थाना छुरा के ही निवासी हैं। पुलिस ने इनके पास से –
- पीले रंग के थैले में रखा 1 किलो 500 ग्राम गांजा, जिसकी बाज़ार कीमत करीब ₹15,000 है।
- सफेद रंग की प्लास्टिक बोरी में रखा वन्य जीव हिरण का पुराना खाल, जिसकी अनुमानित कीमत ₹50,000 बताई गई है।
पुलिस का दावा – बड़ी तस्करी का पर्दाफाश
पुलिस के अनुसार, यह कोई सामान्य मामला नहीं, बल्कि गांजा तस्करी और वन्य जीव तस्करी के गठजोड़ का हिस्सा है। हिरण की खाल की तस्करी वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। आरोपियों से यह भी पूछताछ की जा रही है कि वे यह खाल किससे लाए, किसे बेचने वाले थे, और इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है या नहीं।
थाना छुरा पुलिस ने दोनों के खिलाफ –
- धारा 20(ख) NDPS Act (गांजा तस्करी)*39(ए)(बी), 49(ए), 49(बी), 50, 51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972
- 3(5) भारतीय दंड संहिता बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में पेश किया है।
स्थानीय ग्रामीण हैरान, शिव मंदिर के पास धंधा
ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी दंपति पहले से संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त थे, लेकिन शिव मंदिर जैसे सार्वजनिक धार्मिक स्थल के पास इस तरह के अवैध कारोबार से सभी आहत हैं। इससे साफ होता है कि अवैध कारोबारियों को अब कानून का डर नहीं रह गया था।
क्या है हिरण की खाल का रैकेट?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार हिरण की खाल का उपयोग अक्सर तंत्र-मंत्र, ताबीज, महंगे पूजा कवर, गैरकानूनी सजावट और कभी-कभी विदेशों में दुर्लभ चर्म उत्पादों में किया जाता है। यही कारण है कि वन्यजीव अधिनियम में इसके शिकार, बिक्री, संग्रहण और क्रय-विक्रय पर सख्त प्रतिबंध है। पुलिस को आशंका है कि दंपति के पास हिरण की अन्य खाल या हड्डियों का स्टॉक भी हो सकता है।
छुरा पुलिस की तत्परता से सफलता
इस कार्रवाई को गरियाबंद पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है क्योंकि एक ही समय पर मादक पदार्थ तस्करी और वन्य जीव तस्करी दोनों का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी छुरा और उनकी टीम की सराहना की है।
सवाल कायम – किनके इशारे पर चल रहा धंधा?
फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि –
- गांजा कहां से लाया गया था?
- हिरण की खाल कब और कैसे इनके पास आई?
- इनके ग्राहक कौन हैं और क्या इसके पीछे बड़ा नेटवर्क या कोई राजनीतिक संरक्षण शामिल है?
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने कहा है कि इस मामले में वन विभाग को भी सूचना दी जा रही है तथा वन्य जीव तस्करी से जुड़े अन्य संभावित आरोपियों की तलाश जारी है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है।