रात के अंधेरे में बिछाई गई सीसी सड़क, भ्रष्टाचार की बू?
नगर पंचायत घरघोड़ा फिर सवालों के घेरे में – अधिकारी का उल्टा सवाल बना मज़ाक!
रायगढ़/घरघोड़ा (गंगा प्रकाश)।रात के अंधेरे में बिछाई गई ,सीसी सड़क भ्रष्टाचार की बू? छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के नगर पंचायत घरघोड़ा में एक बार फिर सरकारी कामकाज में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों ने सिर उठा लिया है। ताज़ा मामला वार्ड क्रमांक 5 का है, जहां करीब 6.40 लाख रुपये की लागत से बनाई गई सीसी सड़क को लेकर क्षेत्र में भारी आक्रोश और संदेह का माहौल है।
वार्डवासियों का आरोप है कि जिस सड़क की स्थिति पहले से अच्छी थी, उसे बिना किसी वैध कारण के दोबारा बनाया गया – वो भी रात के अंधेरे में, मानो कोई चोरी हो रही हो! इस कार्य के दौरान न कोई इंजीनियर मौजूद था, न कोई अधिकारी, और न ही कोई गुणवत्ता जांच का तरीका अपनाया गया। ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरा मामला भीतरखाने सेटिंग और भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बन गया है।

“जब बन रही थी तब क्यों नहीं रोका?” — अधिकारी की उलटबांसी
जब वार्डवासियों ने घटिया सामग्री और निर्माण कार्य पर आपत्ति जताते हुए नगर पंचायत अधिकारी दीपिका भगत से जवाब माँगा, तो उन्होंने बेहद गैर-जिम्मेदाराना और चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा — “जब सड़क बन रही थी, तब सामने खड़े होकर क्यों नहीं रोका?”
यह बयान नगर प्रशासन की कार्यशैली और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या अब जनता को हर निर्माण कार्य की निगरानी भी खुद करनी होगी? फिर नगर पंचायत अधिकारी और इंजीनियरों की ज़िम्मेदारी क्या सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित है?
सड़क बनी नहीं, उखड़ने लगी — गाड़ियाँ सीमेंट की परत से ढँकी
वार्डवासियों के मुताबिक निर्माण में बेहद घटिया क्वालिटी की गिट्टी और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया। सड़क के बनने के एक हफ्ते के भीतर ही उसकी ऊपरी परत उखड़ने लगी है। उड़ती हुई सीमेंट की धूल घर के अंदर तक घुस रही है, और बाहर खड़ी गाड़ियाँ सफेद परत में लिपटी नज़र आ रही हैं। बच्चों और बुज़ुर्गों को सांस की तकलीफ होने लगी है।
बिना लेआउट, बिना इंजीनियर — किसके संरक्षण में हुआ निर्माण?
इस पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य बिना लेआउट पास कराए, बिना इंजीनियर की मौजूदगी में, अंधेरे में करवाया गया। इससे साफ संकेत मिलता है कि ठेकेदार को भीतर से संरक्षण प्राप्त है। यह पारदर्शिता और नियमों के खुले उल्लंघन का सीधा उदाहरण है।
शिकायत के बाद भी ठेकेदार को न नोटिस, न जांच
सड़क निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत किए हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक ठेकेदार के खिलाफ न कोई नोटिस जारी किया गया, न ही निर्माण स्थल की जांच की गई। नगर पंचायत अधिकारी का यह कहना कि — “इंजीनियर को कह दिया गया है, रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।” सिर्फ एक औपचारिकता जैसा प्रतीत होता है।
गंभीर सवाल यह है:
- यदि इंजीनियर घरघोड़ा में पदस्थ है, लेकिन धरमजयगढ़ में रहता है, तो क्या घरघोड़ा के नागरिकों को इस लापरवाही की कीमत चुकानी होगी?
- जब तक रिपोर्ट आएगी, क्या तब तक सड़क पूरी तरह खराब नहीं हो जाएगी?
जनता की माँग — सड़क उखाड़ी जाए, ठेकेदार ब्लैकलिस्ट हो
क्षुब्ध वार्डवासी अब सिर्फ शब्दों या आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं। वे खुलकर कह रहे हैं कि — “जब तक यह घटिया सड़क पूरी तरह उखाड़कर दोबारा गुणवत्तापूर्ण तरीके से नहीं बनाई जाती, और दोषी ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाता — तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे।”
अब सवाल यह है — क्या यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा?
नगर पंचायत घरघोड़ा के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है। हर साल लाखों रुपये की योजनाओं में अनियमितता और घटिया निर्माण के आरोप लगते हैं, लेकिन नतीजा सिर्फ फॉर्मल जांच, और फिर फाइल बंद। इस बार भी जनता को यही डर सता रहा है कि कहीं यह मामला भी रुटीन बयानबाज़ी और जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में न दबा दिया जाए।
जनता का सीधा सवाल — क्या हमें न्याय मिलेगा?
वार्डवासियों को अब सिर्फ यह जानना है कि:
- क्या दोषी ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा?
- क्या सीसी सड़क दोबारा बनेगी, वो भी गुणवत्ता के मानकों के साथ?
- और सबसे ज़रूरी – क्या यह जांच निष्पक्ष होगी, या फिर एक और लीपापोती?
फिलहाल निगाहें नगर पंचायत और जिला प्रशासन पर टिकी हैं।
जनता जानना चाहती है — क्या जिम्मेदार जवाबदेह होंगे या फिर वार्डवासियों के हिस्से में फिर से आएगा सिर्फ “धोखा”?