CG: आबकारी विभाग के कर्मठ प्रहरी दरस राम सोनी सेवा निवृत्त : 40 वर्षों की ईमानदारी, सख्ती और सादगी का अंत नहीं, नई शुरुआत
महासमुंद (गंगा प्रकाश)। आबकारी विभाग के कर्मठ प्रहरी दरस राम सोनी सेवा निवृत्त : कहते हैं कोई भी विभाग उसकी नीतियों से नहीं, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर निभाने वाले कर्मठ अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से पहचाना जाता है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में ऐसा ही एक नाम है दरस राम सोनी, जिन्होंने अपने 40 वर्षों के सेवा जीवन में न सिर्फ नियमों का पालन किया, बल्कि उन्हें जमीन पर उतार कर दिखाया। सोमवार 30 जून 2025 को वे उप निरीक्षक पद से सम्मानपूर्वक सेवा निवृत्त हो गए, लेकिन उनकी विदाई केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उन चार दशकों के अनुभव, संघर्ष, ईमानदारी और निष्ठा का उत्सव बन गई, जिसे हर आंख ने नम होकर देखा।

साधारण शुरुआत, असाधारण यात्रा
दरस राम सोनी ने अपने करियर की शुरुआत विभाग के एक साधारण पद से की थी। वे उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं,
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि सरकारी नौकरी में इतना कुछ सीखने को मिलेगा। पर हर दिन मुझे मजबूत और जागरूक बनाता गया।”
धीरे-धीरे उन्होंने कड़ा अनुशासन, पारदर्शिता और कठोर मेहनत को अपना शस्त्र बना लिया। उनके सहयोगियों के अनुसार, उनकी कार्यशैली में ऐसा संयम और स्पष्टता थी कि कोई भी फाइल, कोई भी निरीक्षण या जांच अनावश्यक विलंब या व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण अटकता नहीं था।
अवैध मदिरा के विरुद्ध उनका अभियान
आबकारी विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती अवैध मदिरा बिक्री और तस्करी रही है। दरस राम सोनी का नाम इस चुनौती से जूझने वाले गिने-चुने अधिकारियों में लिया जाता है। उनके नेतृत्व में की गई कई गोपनीय कार्रवाइयों ने शराब माफियाओं की कमर तोड़ी। विशेषकर त्यौहारी सीजन और चुनावी समय में उनकी निगरानी और पूर्व नियोजित रणनीतियां विभाग को आर्थिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टि से मजबूत बनाती रहीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में,
“श्रीसोनी के रहते अवैध मदिरा कारोबारियों को मालूम था कि कोई न कोई रास्ता बंद जरूर मिलेगा। उनकी सक्रियता ही विभाग की सबसे बड़ी ताकत थी।”
सहकर्मियों की आंखों में सम्मान और विदाई में सन्नाटा
उनकी सेवा निवृत्ति के अवसर पर आयोजित सादगीपूर्ण विदाई समारोह में भी यह बात स्पष्ट दिखी। हर आंख नम थी, हर चेहरा गर्व से भरा हुआ। सहकर्मियों ने गुलदस्ते, शॉल और सम्मान पत्र भेंट करते हुए कहा कि दरस राम सोनी ने अपनी ईमानदारी से विभाग का मान बढ़ाया है। समारोह में मौजूद एक कनिष्ठ कर्मचारी ने कहा,
“उन्होंने कभी हमें डांटा नहीं, बल्कि सिखाया। उनकी सख्ती में भी मां जैसी ममता और पिता जैसा अनुशासन था।”
एक ऐसा अधिकारी, जिसने कभी पद का दुरुपयोग नहीं किया
दरस राम सोनी का व्यक्तित्व उनके सरल स्वभाव, समयबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा का पर्याय था। उन्होंने कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया। उन्हें जनता से संवाद करना, समस्याओं को सुनना और तत्काल निपटारा करना पसंद था। वे मानते थे कि
“कानून का डर जरूरी है, लेकिन जनता का विश्वास सबसे जरूरी है।”
सेवा निवृत्ति नहीं, समाज सेवा की नई शुरुआत
सेवानिवृत्ति को उन्होंने अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत कहा। समारोह के अंत में अपने भावुक संबोधन में उन्होंने कहा,
“सरकारी सेवा जीवन का एक अध्याय था। अब समाज सेवा की बारी है। जहां रहूंगा, जैसा भी कर सकूंगा, लोगों के लिए करता रहूंगा। यही जीवन का असली उद्देश्य है।”
उनकी इस सोच ने साबित कर दिया कि दरस राम सोनी सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि आदर्श हैं, जिनके योगदान की गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी।
कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए प्रेरणा
उनके कार्यकाल ने यह भी दिखाया कि अगर अधिकारी निष्पक्ष और निडर हो तो कानून के डर के साथ-साथ सम्मान भी बना रहता है। वे अपने पीछे ऐसा उदाहरण छोड़ गए हैं, जिससे सीखकर कई युवा कर्मचारी अपनी दिशा तय कर सकते हैं। वरिष्ठ आबकारी निरीक्षक ने समारोह में कहा,
“आज हम सब उन्हें विदा कर रहे हैं, लेकिन उनकी सिखाई बातें, उनकी ईमानदारी और अनुशासन की मिसाल हमेशा हमारे दिलों में रहेगी।”
दरस राम सोनी – नाम जो याद रहेगा
दरस राम सोनी की सेवानिवृत्ति के साथ ही छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग ने एक कर्मठ प्रहरी को विदा किया, पर यह विदाई स्थायी नहीं है। उनके विचार, उनके सिद्धांत और उनकी सिखाई गई कार्यशैली आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। सच ही कहा गया है –
“कर्तव्यनिष्ठ लोगों की सेवानिवृत्ति सिर्फ सरकारी कागजों में होती है, समाज के दिलों में नहीं।”