छुरा (गंगा प्रकाश)। जिला गरियाबंद के विकासखण्ड छुरा में शिक्षा विभागसे जुड़ा विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। यहां पदस्थ ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (बीआरसी) हरीश कुमार देवांगन के खिलाफ संकुल समन्वयकों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। समन्वयकों ने सामूहिक आवेदन पत्र के जरिए जिला कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक को गंभीर आरोपों से अवगत कराते हुए श्री देवांगन को तत्काल पद से हटाकर उनके मूल शाला में वापस भेजने की मांग की है।
अगर कार्रवाई नहीं हुई तो संकुल समन्वयकों ने काम बंद-कलम बंद आंदोलन की चेतावनी दी है।

आरोपों की लंबी सूची
संकुल समन्वयकों ने अपने आवेदन में देवांगन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें शामिल हैं —
नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी— समन्वयकों का कहना है कि हरीश कुमार देवांगन की बीआरसी छुरा पर पदस्थापना शासन के निर्धारित मापदंडों के विपरीत हुई है। इस पर वे पहले दिन से सवाल खड़े कर रहे हैं।
उपेक्षा और धमकी भरा रवैया- आवेदन में लिखा गया है कि देवांगन संकुल समन्वयकों से ऊंची पहुंच और बड़े अधिकारियों के रिश्तों का हवाला देकर दबाव बनाते हैं। कार्य न करने पर निलंबन की धमकी देना उनकी आदत बन चुकी है। इस कारण समन्वयक अपमानित और आहत महसूस कर रहे हैं।
प्रशिक्षण आयोजन में अनियमितता— शासन की गाइडलाइन के मुताबिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विकासखण्ड स्तर पर आयोजित होना चाहिए, लेकिन देवांगन इसे मनमाने तरीके से संकुल स्तर पर जोन बनाकर करवाते हैं। प्रशिक्षण का खर्चा संकुल समन्वयकों के सिर डाल दिया जाता है। आवेदन में आरोप है कि बीआरसी द्वारा राशि आहरण करने के बाद भी सीएसी को भुगतान नहीं किया जाता। इसका नतीजा यह होता है कि होटल व फर्म संचालक सीधे संकुल समन्वयकों से बकाया वसूलने के लिए दबाव डालते हैं।
ऑनलाइन बैठक से जमीनी समस्याएं अनसुलझी— मासिक बैठक और अन्य आवश्यक चर्चाएं देवांगन ऑनलाइन करते हैं। समन्वयकों का कहना है कि ऑनलाइन बैठकों से वास्तविक समस्याएं, विशेषकर स्कूल स्तर की शैक्षणिक कठिनाइयां और संकुल केंद्र की जरूरतें, कभी ठीक से सामने नहीं आ पातीं।
आयोजनों में जबरन राशि वसूली— आवेदन में यह भी लिखा गया है कि शाला प्रवेश उत्सव जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए देवांगन संकुल समन्वयकों से जबरन राशि लेते हैं। इससे न केवल आर्थिक दबाव पड़ता है बल्कि पूरे आयोजन की पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।
मानसिक और आर्थिक तनाव— समन्वयकों ने साफ लिखा है कि देवांगन की कार्यशैली के कारण वे लगातार मानसिक दबाव और आर्थिक बोझ झेल रहे हैं। इससे उनका शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है और संकुल कार्यालय का संचालन भी बाधित हो रहा है।
आवेदन में साफ चेतावनी
आवेदन के अंत में संकुल समन्वयकों ने प्रशासन को दो टूक चेतावनी दी है कि यदि देवांगन को उनके मूल शाला में व्याख्याता पद पर वापस नहीं भेजा गया तो वे कार्य निष्पादन में असमर्थ रहेंगे। ऐसी स्थिति में पूरे विकासखण्ड में काम बंद-कलम बंद आंदोलन होगा।
शिक्षा व्यवस्था पर असर की आशंका
इस विवाद ने पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। संकुल समन्वयक, जो स्कूलों और शिक्षकों के बीच सेतु की भूमिका निभाते हैं, उनके विरोध से सीधा असर बच्चों की पढ़ाई और प्रशासनिक गतिविधियों पर पड़ेगा। अगर समन्वयकों ने काम बंद कर दिया तो ब्लॉक स्तर से लेकर संकुल और स्कूल स्तर तक की योजनाएं ठप हो सकती हैं।
प्रशासन की चुनौती
अब सारी निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं। एक ओर संकुल समन्वयक सामूहिक रूप से विरोध की राह पकड़ चुके हैं, वहीं दूसरी ओर आरोपित बीआरसी पर गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। ऐसे में जिला कलेक्टर को यह तय करना होगा कि शिक्षा व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए किस तरह का निर्णय लिया जाए।
अंतिम सवाल
क्या प्रशासन संकुल समन्वयकों की आवाज सुनेगा और कार्रवाई करेगा? या फिर यह विवाद आंदोलन की राह पर बढ़ते हुए पूरे शिक्षा तंत्र को प्रभावित करेगा?
फिलहाल इतना तय है कि छुरा के इस विवाद ने गरियाबंद जिले की शिक्षा व्यवस्था में भूचाल ला दिया है और आने वाले दिनों में इसका असर और गहराने की संभावना है।