इस वर्ष जिले में नहीं होगी ग्रीष्मकालीन धान की फसल, कम जल वाली फसलें अपनाने की अपील
वर्षा जल संचयन और पानी के संयमित उपयोग पर प्रशासन ने दिया जोर
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। आगामी ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए कलेक्टर बी.एस. उइके ने जिले के सभी नागरिकों एवं किसान भाइयों से पेयजल संरक्षण और जल के विवेकपूर्ण उपयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में भू-जल स्तर स्वाभाविक रूप से नीचे चला जाता है, जिससे पेयजल संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है। ऐसे में प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह जल का समुचित उपयोग करे और अनावश्यक जल अपव्यय से बचे।
कलेक्टर उइके ने किसानों से विशेष आग्रह करते हुए स्पष्ट किया कि इस वर्ष जिले में ग्रीष्मकालीन धान की फसल हेतु जलाशयों से सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि धान की खेती में अत्यधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है, जिससे गर्मी के मौसम में जल संकट और अधिक गहराने की आशंका रहती है।
कम जल वाली फसलों को अपनाने की अपील
कलेक्टर ने किसानों को धान के स्थान पर तिल, मूंग, उड़द, मसूर, अरहर, कोदो-कुटकी, मक्का जैसी कम जल उपयोग वाली वैकल्पिक फसलें अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ये फसलें न केवल जल संरक्षण में सहायक होंगी, बल्कि किसानों को बेहतर नगदी आय का अवसर भी प्रदान करेंगी।
उन्होंने बताया कि शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा दलहनी, तिलहनी एवं नगदी फसलों के प्रचार-प्रसार, उच्च गुणवत्ता के बीजों की उपलब्धता तथा तकनीकी मार्गदर्शन हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वैकल्पिक फसलों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
वर्षा जल संचयन और नागरिक सहभागिता जरूरी
कलेक्टर उइके ने आम नागरिकों से भी अपील की कि वे नलों और पाइपों से हो रहे जल रिसाव को रोकें, घरों में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था करें और सामूहिक जल संरक्षण कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने का संकल्प है।
कलेक्टर ने जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों, किसान भाइयों एवं आम जनता से जल संरक्षण अभियान में पूर्ण सहयोग करने की अपील की।
