बीआरसी के मनमाने आदेश से शिक्षकों में रोष, ब्लाक मुख्यालय छोड़ गांव में कराया जा रहा प्रशिक्षण

छुरा (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले के छुरा विकास खण्ड में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। खण्ड स्रोत समन्वयक (बीआरसी) समग्र शिक्षा छुरा द्वारा जारी किए गए एक प्रशिक्षण आदेश ने विभाग की लापरवाही, असंवेदनशीलता और प्रशासनिक अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। स्थिति यह है कि पांच दिवसीय प्रशिक्षण के लिए न केवल वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों को बुलाया गया है, बल्कि एक स्वर्गवासी शिक्षक, बस्तर में पदस्थ शिक्षिका, मेडिकल अवकाश पर चल रहे शिक्षक और यहां तक कि तबादला हो चुके कर्मचारियों के परिजनों तक को नोटिस भेज दिया गया है।

इस घटनाक्रम से शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। लोगों का कहना है कि यह महज एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि शिक्षकों के सम्मान और मानसिक शांति के साथ गंभीर खिलवाड़ है।

ब्लाक मुख्यालय छोड़ गृह ग्राम में प्रशिक्षण

छुरा विकास खण्ड के लगभग 90 प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों को कक्षा छठवीं के नवीन पाठ्यक्रम पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण में उपस्थित रहने का आदेश जारी किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह प्रशिक्षण ब्लाक मुख्यालय छुरा में आयोजित न होकर बीआरसी मार्कण्डेय के गृह ग्राम लोहझर (खट्टी) के हाईस्कूल में आयोजित किया गया है।

जबकि छुरा ब्लाक मुख्यालय में प्रशिक्षण के लिए सभी सुविधाएं—हॉल, बिजली, पानी, आवास और परिवहन—पहले से उपलब्ध हैं। इसके बावजूद निजी गांव में प्रशिक्षण कराना संदेह और सवालों को जन्म देता है। इस संबंध में जब बीआरसी से सवाल किया गया तो वे कोई ठोस और संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

स्वर्गीय शिक्षक को भी प्रशिक्षण का आदेश

इस पूरे मामले में सबसे संवेदनहीन और शर्मनाक पहलू यह रहा कि सरकंडा स्कूल में पदस्थ शिक्षक स्वर्गीय नीलकंठ साहू, जिनका देहांत 24 सितंबर 2024 को हो चुका है, उनके नाम भी प्रशिक्षण में उपस्थित रहने का आदेश जारी कर दिया गया। यह लापरवाही न केवल प्रशासनिक अक्षमता दर्शाती है, बल्कि मृतक शिक्षक और उनके परिवार के प्रति गहरी असंवेदनशीलता का उदाहरण भी है।

बस्तर में पदस्थ शिक्षिका को भी बुलावा

इसी आदेश में श्रीमती अनिता रवि, जो वर्तमान में हलबाकोचरा विकास खण्ड, जगदलपुर (बस्तर) में पदस्थ हैं, उन्हें भी छुरा में प्रशिक्षण हेतु उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। यह सीधे तौर पर विभागीय समन्वय की कमी और रिकॉर्ड संधारण में भारी लापरवाही को दर्शाता है।

मेडिकल अवकाश में शिक्षक को भी फरमान

इतना ही नहीं, पूर्व माध्यमिक शाला पाण्डुका में पदस्थ शिक्षक एम.एल. तारक, जो वर्तमान में मेडिकल अवकाश पर हैं, उन्हें भी पांच दिवसीय प्रशिक्षण में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का आदेश थमा दिया गया है। इससे पीड़ित शिक्षक और उनके परिजन मानसिक रूप से परेशान हैं।

परिजन तक पहुंचे नोटिस

सूत्रों के अनुसार कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं जिनका पहले ही अन्यत्र तबादला हो चुका है, उनके परिजनों तक को नोटिस भेज दिए गए, जिससे परिवारों को अनावश्यक तनाव और अपमान झेलना पड़ा।

प्रशासन मौन, जवाबदेही शून्य

इस पूरे मामले में जब जनपद पंचायत प्रभारी सीईओ सतीश चन्द्रवंशी एवं खण्ड स्रोत समन्वयक समग्र शिक्षा अधिकारी छुरा से पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो किसी भी अधिकारी ने अब तक कोई स्पष्ट और जिम्मेदार बयान नहीं दिया है। इससे विभाग की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

शिक्षकों में भारी नाराजगी

शिक्षकों का कहना है कि इस तरह के आदेश न केवल उनकी छवि को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि विभाग की गंभीरता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। शिक्षकों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है तथा दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

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