केशोडार/दर्रापारा में व्यापारी–कर्मचारी और कथित प्रभावशाली लोगों का अवैध निर्माण — गांव का विकास ठप, प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की जोरदार मांग
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। डोगरीगांव पंचायत के आश्रित ग्राम केशोडार/दर्रापारा में सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़े का मामला लगातार उग्र होता जा रहा है। गांव के विकास की रीढ़ कही जाने वाली वह शासकीय भूमि, जिस पर सड़क, नाली और सामुदायिक संरचनाओं का निर्माण होना था, उसे अब कुछ अज्ञात लेकिन प्रभावशाली लोगों ने अपनी निजी जागीर की तरह घेरना शुरू कर दिया है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस कब्ज़े में व्यापारी, कर्मचारी और कुछ ऐसे चेहरे शामिल हैं जो अपने रसूख और दबंग व्यवहार के लिए चर्चित हैं।
गांव में इस समय सबसे बड़ी चिंता यह है कि जिस तेजी से अतिक्रमण बढ़ रहा है, उससे स्पष्ट दिख रहा है कि कहीं न कहीं इस अभियान को संरक्षण मिल रहा है या कब्जाधारियों को यह भरोसा दिलाया गया है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। पंचायत का कहना है कि यह केवल जमीन पर कब्जा नहीं—बल्कि शासन-प्रशासन को खुली चुनौती है।

अतिक्रमण हटाने की शुरुआत होते ही विवाद — अज्ञात लोग मौके पर पहुंचे, कार्रवाई रोकने का प्रयास
जब पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रारंभिक स्तर पर भूमि की नाप-जोख और तथ्यों को संकलित करना शुरू किया, तभी अचानक कुछ लोग मौके पर पहुँच गए। ग्रामीणों ने बताया कि ये लोग न सिर्फ विरोध करने लगे, बल्कि जोर-जबरदस्ती करते हुए कार्रवाई रोकने की कोशिश करने लगे। ग्रामीणों का कहना है कि विरोध करने वालों का अंदाज़ साफ बता रहा था कि वे किसी की मदद से ही इतनी हिम्मत दिखा रहे हैं।
कुछ ग्रामीणों ने यहां तक कहा कि इन लोगों ने खुलेआम बयान दिया कि “हम यहाँ निर्माण करेंगे, कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” ऐसे बयानों ने गांव में भय और निराशा का माहौल पैदा कर दिया है।
पंचायत प्रतिनिधियों को बदनाम करने की सोची-समझी रणनीति
डोगरीगांव पंचायत ने कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) और पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए ज्ञापन में यह स्पष्ट बताया है कि अतिक्रमणकारी समूह स्वयं को बचाने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ झूठे आरोपों की झड़ी लगा रहा है।
सरपंच और उपसरपंच ने बताया कि उन पर अवैध वसूली, पक्षपात और व्यक्तिगत हितों के आरोप लगाए जा रहे हैं, ताकि असल मुद्दे यानी सरकारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिशों को छिपाया जा सके। ज्ञापन में पंचों के साथ हुई अभद्रता और धमकी की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है।
पंचायत ने दावा किया है कि उनके पास राजस्व रिकॉर्ड, भूमि अभिलेख, नक्शे और संबंधित दस्तावेज मौजूद हैं जो स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि यह भूमि शासकीय है और किसी भी निजी व्यक्ति को वहां निर्माण करने का अधिकार नहीं है।

विकास कार्य पूरी तरह ठप — गांव की प्रगति पर लगा ब्रेक
अवैध कब्जा का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव गांव के विकास पर पड़ा है। सड़क का निर्माण रुक गया,नाली का विस्तार बीच में अटका,सामुदायिक उपयोग की खाली भूमि पर निर्माण ठप,पंचायत की अधिकांश योजनाएँ अवरुद्ध गांव के बुजुर्गों की मानें तो वर्षों से जिस विकास का सपना देखा जा रहा था, वह कुछ दबंग व्यक्तियों की मनमानी के कारण अधर में लटक गया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीन गांव की धरोहर होती है, इसे कोई व्यापारी, कर्मचारी या रसूखदार व्यक्ति अपनी निजी संपत्ति नहीं बना सकता।
एक ग्रामीण ने कड़े शब्दों में कहा— हमारे गांव की जमीन कोई अपनी ताकत दिखाने का मैदान नहीं है। प्रशासन अगर अभी नहीं जागा तो भविष्य में यहां अराजकता फैल सकती है।
पंचायत का अल्टीमेटम — अगर कार्रवाई नहीं हुई तो गांव आंदोलन के लिए तैयार
ज्ञापन में पंचायत ने साफ चेतावनी दी है कि अब गांव चुप बैठने वाला नहीं है। उन्होंने लिखा कि यदि अवैध कब्जा तुरंत नहीं हटाया गया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो पंचायत ग्रामीणों के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर आंदोलन कर सकती है।
पंचायत का यह भी कहना है कि प्रशासन चाहे तो 24 घंटे में यह अतिक्रमण हटाया जा सकता है, लेकिन कार्रवाई में हो रही देरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों में यह चर्चा भी है कि कहीं प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रकार की ढिलाई या अनदेखी तो नहीं हो रही।

गांव का सवाल — सरकारी जमीन को बचाने की जिम्मेदारी आखिर किसकी?
गांव के युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों ने एक स्वर में मांग की है कि प्रशासन तत्काल कदम उठाए। गांव का कहना है कि अगर सरकारी जमीन पर दबंग कब्जा कर लेते हैं और प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा, जिससे भविष्य में अवैध कब्जों को बढ़ावा मिल सकता है।
गांव की निगाहें अब प्रशासन पर — फैसला जरूरी और तात्कालिक
डोगरीगांव और केशोडार/दर्रापारा के ग्रामीण अब प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं।
सबके बीच एक ही सवाल— क्या शासन-प्रशासन दबंगों की दबंगई पर कानून का डंडा चलाएगा, या सरकारी जमीन का यह कब्जा गांव के भविष्य को निगलता रहेगा?
गांव इंतजार में है—और अब कार्रवाई ही विश्वास दिला सकती है कि कानून सचमुच सबके लिए समान है।

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