बोरसी (बरभांठा) निवासी उगे राम साहू बना गुटखा किंग, हर महीने पहुंचती है अफसरों तक कमीशन – प्रतिबंध के बावजूद जिले में खुलेआम बिक रही मौत की पुड़िया

 

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। जिला गरियाबंद इस समय एक ऐसे संगठित अवैध कारोबार का केंद्र बन गया है, जिसने न केवल सुप्रीम कोर्ट और राज्य शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाई हैं बल्कि समाज के हर तबके को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेल दिया है। बात हो रही है तंबाकू युक्त गुटखा और पान मसाले के काले कारोबार की, जो जिले में धड़ल्ले से चल रहा है। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं, युवा और बुजुर्ग तक इसकी लत का शिकार हो चुके हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रतिबंध के बावजूद यह जहर कैसे खुलेआम बिक रहा है? जवाब साफ है – सिस्टम की मिलीभगत और अफसरों की चुप्पी।

बरभांठा का गोदाम: मौत का अड्डा

जिले में इस कारोबार का सबसे बड़ा खिलाड़ी है ग्राम बोरसी (बरभांठा) निवासी उगे राम साहू। ग्रामीणों का कहना है कि उसके घर और गांव में गुटखे का बड़ा गोदाम मौजूद है, जहां से छुरा और फिंगेश्वर ब्लॉक के सैकड़ों गांवों तक तंबाकू युक्त गुटखा सप्लाई किया जाता है। यही नहीं, उगे राम का कनेक्शन सीधे नवापारा राजिम के बड़े गुटखा कारोबारियों से जुड़ा हुआ है। यही नेटवर्क जिले में मौत की पुड़िया पहुंचा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि उगे राम साहू खुद गांव-गांव घूमकर गुटखा पहुंचाता है और छोटे-बड़े दुकानदारों को सप्लाई करता है। उसकी पकड़ इतनी मजबूत है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी चुप हैं। कारण साफ है – हर महीने की मोटी कमीशन और “पहुंच सेवा।”

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लाखों का कारोबार, मौत का सौदा

गुटखे का यह कारोबार केवल कुछ दुकानों तक सीमित नहीं है। यह लाखों रुपये का रैकेट है, जिसमें छोटे पान दुकानदार से लेकर बड़े थोक व्यापारी तक शामिल हैं।

  • पान की दुकानों में गुटखे की लड़ियां खुलेआम टंगी होती हैं।
  • किराना दुकानों पर बच्चों तक को यह जहर आसानी से मिल जाता है।
  • गांव-कस्बों में गुटखा खाना और खिलाना अब फैशन बन चुका है।

गांवों में लोग इसे सिर्फ नशे के तौर पर नहीं, बल्कि “सामाजिक रिवाज” की तरह भी इस्तेमाल करने लगे हैं। इसका नतीजा यह है कि युवाओं में कैंसर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश – सिर्फ कागजों तक

10 जून 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि तंबाकू युक्त गुटखा और पान मसाला का निर्माण, भंडारण, वितरण, प्रदर्शन, खरीद-बिक्री और परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इसके बावजूद गरियाबंद जिले में यह आदेश मजाक बन चुका है।

आज भी जिले के कस्बाई इलाकों से लेकर ग्रामीण हाट-बाजार तक गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। किसी भी दुकान पर जाइए, आपको आसानी से यह प्रतिबंधित सामान मिल जाएगा। सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही क्यों? क्या यह सिर्फ नाकामी है या फिर प्रशासन की सोची-समझी मिलीभगत?

कमीशनखोरी और मिलीभगत का खेल

ग्रामीण बताते हैं कि इस धंधे में शामिल कारोबारी हर महीने विभागीय अधिकारियों और पुलिस को मोटी रकम पहुंचाते हैं। यही वजह है कि न तो गोदामों पर छापे पड़ते हैं और न ही सप्लाई चेन पर कोई रोक।

एक ग्रामीण ने कहा— “यहां तो कानून भी बिक चुका है। अधिकारी हर महीने कमीशन लेते हैं और कारोबारी आराम से मौत बेचते हैं। बच्चे तक गुटखे के आदी हो गए हैं।”

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नवापारा राजिम कनेक्शन – “कैंसर व्यापारी”

इस रैकेट का तार बोरसी के सेलर से निकलकर सीधे नवापारा राजिम तक जुड़ा है। यहां के कुख्यात गुटखा कारोबारी जिले में लाखों का माल सप्लाई करते हैं। ग्रामीण अब इन्हें “कैंसर व्यापारी” कहकर बुलाने लगे हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है।

खबर प्रकाशित, खाद्य अधिकारी मौन

स्थानीय मीडिया में इस अवैध कारोबार की खबर कई बार प्रमुखता से प्रकाशित हो चुकी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि संबंधित खाद्य अधिकारी ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। न तो उन्होंने किसी दुकान की जांच की और न ही बड़े गोदामों पर छापा मारा।

सूत्रों का कहना है कि अधिकारी जानबूझकर चुप हैं क्योंकि उन्हें हर महीने मोटा “नजराना” मिलता है। यही कारण है कि खबरें प्रकाशित होने के बाद भी सिर्फ मौन और खामोशी का वातावरण बना हुआ है।

ग्रामीणों का आक्रोश

जिले के कई ग्रामीणों ने कहा कि गुटखे की लत ने उनके परिवार बर्बाद कर दिए हैं। कई लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। लेकिन प्रशासन केवल दिखावे की बैठक करता है, जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।

एक और ग्रामीण ने कहा— हमने कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारी खुद कारोबारियों से मिले हुए हैं। यहां तो मौत का कारोबार सत्ता और सिस्टम की छतरी तले चल रहा है।”

मौत का संगठित कारोबार

गरियाबंद जिले में गुटखा का यह कारोबार अब केवल व्यापार नहीं रहा, यह मौत का संगठित साम्राज्य बन चुका है। बोरसी (बरभांठा) का गोदाम और नवापारा राजिम का नेटवर्क मिलकर जिलेभर में कैंसर का जहर फैला रहे हैं।

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