गरियाबंद/छुरा/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिला अवैध गुटखा कारोबार का अड्डा बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार की सख्त घोषणाओं के बावजूद तंबाकू युक्त गुटखा और पान मसाला की बिक्री खुलेआम धड़ल्ले से जारी है। हालात यह हैं कि जिले का बच्चा-बच्चा इस जानलेवा नशे की जद में आ रहा है। न प्रशासन रोक पा रहा है और न ही विभाग कार्रवाई कर पा रहा है। वजह है – अवैध कारोबारियों और विभागीय अफसरों की मिलीभगत, जहां हर महीने मोटी रकम बतौर “पहुंच सेवा” कमीशन के रूप में बंधी-बंधाई जाती है।

अवैध गुटखा

उगे राम साहू – गुटखा का सबसे बड़ा सप्लायर

जिले के छुरा ब्लॉक और फिंगेश्वर क्षेत्र में गुटखे का सबसे बड़ा नाम है बोरसी (बरभांठा) निवासी उगे राम साहू। बताया जाता है कि साहू का घर और गोदाम तंबाकू युक्त गुटखे का प्रमुख ठिकाना है, जहां से रोजाना सैकड़ों पैकेट थोक में निकलकर छोटे दुकानदारों तक पहुंचते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि उगे राम साहू खुलेआम गांव-गांव घूमकर दुकानदारों को सप्लाई करता है और इस पूरे नेटवर्क का तार नवापारा राजिम के बड़े गुटखा माफियाओं से जुड़ा हुआ है।

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कानून को धता बता रहा गुटखा कारोबार

10 जून 2019 से ही सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के आदेशानुसार तंबाकू युक्त गुटखा और पान मसाला के निर्माण, भंडारण, परिवहन, बिक्री और प्रदर्शन पर देशभर में प्रतिबंध है। बावजूद इसके गरियाबंद जिले में यह जानलेवा जहर “कैंसर की मौत” बनकर हर गली-चौराहे पर बिक रहा है। स्थिति यह है कि अधिकांश किराना दुकान, पान ठेला और छोटे व्यापारियों के पास गुटखे की लड़ियां सजी रहती हैं।

ग्रामीण बताते हैं कि यह धंधा इतना संगठित है कि पुलिस-प्रशासन की आंखों के सामने कारोबार चलता है, मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है।

विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ

सूत्रों की मानें तो इस पूरे गोरखधंधे के पीछे विभागीय अफसरों की भी सीधी संलिप्तता है। गुटखा कारोबारियों से हर महीने मोटा कमीशन तय रहता है। यही कारण है कि अब तक जिले में एक भी बड़ी जब्ती कार्रवाई या स्थायी अभियान नहीं चलाया गया। सवाल उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट और राज्य शासन के आदेश को ठेंगा दिखाकर आखिर कौन संरक्षण दे रहा है?

फैशन बन चुका है गुटखा

आज स्थिति इतनी भयावह है कि युवा, महिलाएं, किशोर और यहां तक कि स्कूल के बच्चे भी गुटखे के आदी हो चुके हैं। गांव-गांव और कस्बों में गुटखा खाना और खिलाना फैशन बन चुका है। चिकित्सकों का कहना है कि यह आदत सीधे-सीधे कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारियों को न्योता दे रही है। इसके बावजूद प्रशासन की चुप्पी आने वाले समय में स्वास्थ्य आपदा का कारण बन सकती है।

नवापारा राजिम से जुड़ा बड़ा नेटवर्क

जानकारी के मुताबिक बोरसी (बरभांठा) निवासी उगे राम साहू का गुटखा गोदाम नवापारा राजिम के बड़े कारोबारी से सीधे जुड़ा हुआ है। स्थानीय स्तर पर इन्हें लोग “कैंसर व्यापारी” कहकर पुकारते हैं। सूत्रों का दावा है कि नवापारा और राजिम में गुटखा कारोबार का सबसे बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है, जो पूरे गरियाबंद जिले में माल सप्लाई करता है।

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जल्द होगा बड़ा खुलासा

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क का और बड़ा खुलासा होगा, जिसमें नवापारा राजिम के माफियाओं से लेकर प्रशासनिक मिलीभगत तक के राज सामने आ सकते हैं। फिलहाल तो यह साफ है कि गरियाबंद जिले में गुटखे पर प्रतिबंध सिर्फ कागजों पर है, हकीकत में तो लोग रोजाना अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने को मजबूर हैं।

सवाल जनता का

  • आखिर जिला प्रशासन और खाद्य एवं औषधि विभाग अब तक चुप क्यों है?
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
  • कौन हैं वो अधिकारी जिन्हें हर महीने गुटखा कारोबारियों से कमीशन पहुंचता है?
  • कब तक मासूमों को मौत का सामान खुलेआम बेचा जाता रहेगा?

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