CG: छुरा नगर पंचायत में स्ट्रीट लाइट पोल घोटाला – पहली बारिश ने खोल दी ठेकेदार की पोल, गिरा पोल बोला – “मुझे मजबूत खड़ा नहीं किया गया”
छुरा (गंगा प्रकाश)। छुरा नगर पंचायत में अधोसंरचना मद से कराए जा रहे कार्यों की असलियत पहली ही बारिश में उजागर हो गई है। नगर पंचायत की ओर से चारों दिशाओं में सीमावर्ती क्षेत्रों तक स्ट्रीट लाइट पोल बिछाने का कार्य लगभग 5-6 माह पूर्व कराया गया था। ठेकेदार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर यह कार्य कराया गया, जिसका उद्देश्य था कि पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में रात्रि में रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित रहे। लेकिन यह कार्य केवल कागजों और फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रह गया।
बरसात की पहली बारिश में ही पोल धराशायी
तहसील कार्यालय के ठीक पास लगे पोल के गिर जाने से नगरवासियों में भय और आक्रोश दोनों है। गिरी हुई पोल खुद गवाही दे रही है कि इसे खड़ा करने में कितनी घोर लापरवाही बरती गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि पोल लगाने के लिए खोदे गए गड्ढे में केवल ऊपरी हिस्से में गिट्टी, रेत और सीमेंट का मिश्रण डाला गया। अंदर की परत काली मिट्टी और उखड़ी हुई ईंटों से भरी थी। मजबूती का कोई इंतजाम नहीं था, इसी कारण पहली बारिश ने ही पोल को गिरा दिया।

‘गिरा पोल चीख चीख कर कह रहा है, मुझे मजबूती नहीं दी गई’
लोग तंज कस रहे हैं कि यह पोल आज नगर पंचायत और ठेकेदार के भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहा है। “जिस पोल को 10-15 साल तक रोशनी देनी थी, वह पहली बारिश में ही गिर गया। इससे बड़ा मजाक और क्या होगा जनता के पैसों के साथ,” – यह कहना है तहसील के पास दुकान चलाने वाले का।
हादसे की आशंका, प्रशासन बेखबर
गनीमत यह रही कि पोल गिरने के समय वहां कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। तहसील और बस स्टैंड क्षेत्र में लोगों की आवाजाही दिनभर बनी रहती है। “बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं रोज इसी रास्ते से गुजरते हैं। अगर यह पोल उन पर गिर जाता तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता?” – नाराजगी व्यक्त करते हुए नगर वासी ने कहा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पंचायत में इस तरह के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की जांच कभी नहीं कराई जाती। “ठेकेदार मनमानी करते हैं, इंजीनियर और अधिकारी कागजों पर साइन कर देते हैं। कोई देखने वाला नहीं है। जब पोल गिरा, तब पता चला कि इसे खड़ा करने के नाम पर केवल लीपापोती की गई थी।”
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि नगर पंचायत प्रशासन इस कार्य की निगरानी क्यों नहीं कर पाया। क्या अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार ने गुणवत्ता से समझौता किया? या फिर कागजी प्रक्रिया पूरी कर अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहे?
जनता की मांग है कि गिरा हुआ पोल तो हटा दिया जाएगा, लेकिन जो दर्जनों पोल उसी तरीके से लगाए गए हैं, क्या वे सुरक्षित हैं? “कल कोई और पोल गिर गया और जान-माल की क्षति हो गई, तब प्रशासन कौन सा बहाना बनाएगा,” – यह सवाल हर नागरिक के मन में है।
‘काम पूरा होते ही भुगतान कर दिया गया, अब कौन देखे?’ – अधिकारी मौन
इस पूरे प्रकरण पर नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “काम पूरा होते ही भुगतान कर दिया गया था। क्वालिटी टेस्ट की कोई रिपोर्ट मेरे पास नहीं है।”
लोगों की मांग – ‘जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो’
नगरवासियों ने कलेक्टर गरियाबंद और एसडीएम छुरा से मांग करने की बात कह रही है कि पूरे पोल बिछाई कार्य की गुणवत्ता की जांच कराई जाए। यदि ठेकेदार द्वारा लापरवाही की पुष्टि हो, तो उसका भुगतान रोका जाए और उस पर कार्रवाई की जाए।- “जनता का पैसा है, ठेकेदार की बपौती नहीं। अगर समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं आम होंगी और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा।”