कलयुगी गुरु घंटाल की काली करतूत:गुटखा खाकर क्लास में आते हैं प्रधानपाठक,करते हैं छात्राओं को वेड टच,स्कूल में ही गुटखा खाकर थूकते है छात्र छात्राए रहते हैं परेशान

गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-आजकल लोगो ने गुरु शब्द की  परिभाषा ही बदल दी हैं।समय के साथ गुरुओ का सम्मान भी आज कल काम होने लगा है क्योकि लोगो ने और खुद गुरुओं ने अपनी परिभाषा ही बदल ली है, और इसका दोष आजकल के गुरुजनो को ही जाता है।जो कि समय के साथ अपने आप को बदल रहे है जो की ठीक नहीं है।इसलिए आज कल के बच्चे और उनके माँ बाप भी गुरुओ को वो सम्मान नहीं देते जो की पहले दिया जाता था और इन सब के दोषी सबसे पहले गुरु और बाद में शिष्य को जाता है। कलयुग में तो सभी रिश्ते ही अपने आप बदले जा रहे है।बाप अपनी ही बेटी के साथ यौन शोषण करता है।शिक्षा देने वाला शिक्षक जिसको लोग भगवान से पहले पूजा करते थे आज वो भी अपने ही शिष्यों के साथ किस तरह का बर्ताव कर रहा है उसे यहाँ पर में लिखना अच्छा नहीं समझाता क्योकि मैंने ही एक लेख लिखा था की बिन गुरु के जीवन अधूरा है,वो मैंने पहले के समय को ध्यान करने के लिए लिखा था और आज जो में लिख रहा हूँ,वो वर्त्तमान को ध्यान में रखकर आप सभी लोगो को जागृत और होशियार करने के लिए लिख रहा हूँ।कहते है कि जिस तरह से एक शिल्प कार एक मूर्ती को बनता है और उसका निर्माण करता है वैसे ही हमारे जीवन को सही ठंग से तरासने का काम हमारे गुरु और शिक्षक जन को करना चाहिए परन्तु आज के समय में सबसे पहले गुरु ही अपने शिष्यों का शोषण और न जाने क्या क्या दुष्कर्म उन के साथ कर रहे है।तो क्या ऐसे लोगो को हम गुरु का स्थान दे सकते है ? जबकि उसका तो परम कर्तव्य बनता है की पूरी ईमानदारी निष्ठां के साथ अपने गुरु रूप को ऐसा बनाकर दिखाना चाहिए की लोगो को कलयुग में भी सतयुग जैसा वातावरण लगे और ये सब हमारे गुरु लोग ही करके दिखा सकते है।

कामवाशाना दिल और दिमाग पर आज कल इतनी ज्यादा हावी होती जा रही है की चरित्रवान कहे जाने वाले गुरुजन ही इस में आज कल सबसे ज्यादा फसते जा रहे है तो क्या वो लोग गुरु या शिक्षक बनाने की पात्रता रखते है? या फिर सभी पैसे की चाका चौन्द में अंधे बनते जा रहे है और अपने कार्य को सिर्फ पैसे कमाने का जरिया ही बनाते जा रहे है। मनाव संस्कारों का जो आज मजाक हमारे देश में बनता जा रहा है उस में मुख्य भूमिका हमारे देश के शिक्षको की ही जाता है जो पूरे ईमानदारी और निष्ठां के साथ अपने पेसे के साथ वफादारी नहीं कर रहे है। तभी तो हमारे देश और समाज का ये हाल है की नई पीडी में तो संस्कार नाम की कोई भी चीज ही नहीं रही है।वो किसी को भी सम्मान नहीं देते चाहे उनके अपने माँ और बाप या फिर उन्हें शिक्षा देने वाला गुरु ही क्यों न हो।यहाँ पर एक सीधा सा सवाल ये है की आखिरकार इन सब का जिम्मेवार कौन है ? क्या अब हम लोगो गुरुओं से चरित्र निर्माण वाली परिभाषाऐं सुनने समझने या उनके द्वारा इस विषय पर प्रतिक्रियाऐं देने या उन पर अमल करने जैसे संवाद ही हमारे कानों को न सुनाई देने वाल समय बनकर ये वक्त ऐसे ही निकाल जाएगा या फिर कोई नया स्वरूप इस कलयुग में जन्म लेकर पूरी कलयुग की व्यवस्था को सुधारे ने गुरु के रूप में इस प्रथ्वी पर अवतार लेकर आएगा?   

बच्चो का मन तो एक मोम की तरह नरम होता है उसे जिस तरह से आप बनाना चाहो उसे बना सकते हो,सिर्फ जरूरत है पुराने वाले समय के गुरु और आचार्य , शिक्षको की जो इस कलयुग को सतयुग में बदलने हेतु प्रयास करे और हमारी प्राचीन सभ्यता को फिर से जगाकर अपनी मुख्य भूमिका का निर्वाहन करे और जो परिभाषा गुरुओं की बदल गई है उसे पुन: वापिस उसी दिशा में लेकर आये वर्ना गुरु शब्द भी थोड़े से समय के उपरान्त ये शब्द लुप्त हो जायेगा।और हम सब लोग सिर्फ इतिहास के पन्नो में ही इस शब्द को पड़ते और खोजते रहेंगे।

मनुष्य जीवन में बहुत ही भाग्यशाली और पुण्यात्मा  लोगो को मिलता है। यह हम सब का परम सौभाग्य है कि हम लोगो को इस युग में भी  अच्छे-अच्छे गुरु और संतो के दर्शन और उन सभी को सुनने और उन के साथ सत्संग करने का हमें मौका मिल रहा है कही कही अपवाद भी है तो वो तो रहेंगे ही। इसलिए हम सब के जीवन में गुरु का आना और या अपने लिए गुरु बनाना जरुरत नहीं बल्कि बहुत ही अनिवार्य भी है परन्तु आज कल गुरुओ के आचरण और उनके व्यवहारों को देखते हुए हर कोई इन्सान डरता है की कही गुरु जो की शिक्षा देता है कही वो ही ……. न बन जाए, इसलिए लोगो का विश्वास अब आज कल के गुरुओ पर से एक दम से उठ चूका है। गुरु के प्रति आज भी इस कलयुग में वो ही श्रध्दा है जो पहले हुआ करती थी।जीवन में गुरु का बहुत ही उच्य स्थान होता है।अब वो गुरुओं पर भी निर्भर करता है कि वो किस तरह से अपना आचरण , व्यवहार,चरित्र और साधना को कैसे प्रगट करे या दिखाए जिसके कारण आज की नई पीडी उन पर विश्ववास कर सके ये परीक्षा अब गुरुओ को देना है।लेकिंन कंही कंही आज के कलयुगी गुरू घंटालो की काली करतूत भी सुनाई देती हैं जैसा कि ताजा मामला गरियाबंद जिला के ब्लॉक का आया हैं जंहा एक बार फिर गुरू की मर्यादा को एक प्रधानपाठक द्वारा तार तार किया गया हैं ज्ञातव्य हो कि  फिंगेश्वर में एक बार फिर  छात्र छात्राओं ने प्रधानपाठक के ऊपर अश्लील हरकत एवं मारपीट का  आरोप लगाते हुए बताया कि हमारे प्रधानपाठक  मारपीट करते है और मारपीट कुछ हद तक तो ठीक हैं किंतु यंहा कपड़े फटते तक मारते है। छात्राओं ने बताया कि ठाकुर सर जो हमारे प्रधानपाठक है बुरे नियत से हमें टच करते टच है।और मना करने पर बोलते है।कि मैं तुम सब अपने बच्चे की तरह समझता हूं आप गलत मत समझना,एक शिक्षक के द्वारा अपने शिष्य के ऊपर बुरे नियत से हाथ रखने की हरकत ने गुरु शिष्य के रिश्ते को बदनाम कर देने वाली हरकत की है।स्कूल के सभी छात्र छात्राओं ने बताया की प्रधानपाठक द्वारा गुटखा खाकर क्लास में आते है। थूकते समय कुछ छात्र छात्राओं के  ऊपर पड़ता है। सोचने वाली बात है। कि एक शिक्षक होके स्कूल में इस तरह की हरकत अशोभनीय है।इस तरह से स्कूल एवं क्लास में आने से छात्र छात्राओं में क्या प्रभाव पड़ेगा। मीडिया की टीम पहुँची तो सभी छात्र छात्राओं ने अपना दुखड़ा सुनाया।वही इस मामले को लेकर मीडिया की टीम स्कूल पहुचे।देखा कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी  फिंगेश्वर मिश्रा जी एवं समन्वयक यदु जी स्कूल में पहुचे है। इस सम्बंध में  ब्लाक शिक्षा अधिकारी मिश्रा जी को जानकारी लेनी चाही तो वे बोले कि इस सम्बंध में  कोई जानकारी नही दे सकता  और अपनी कार  में बैठकर निकलते बने।

ये है पूरा मामला

 कुछ दिनों पहले स्कूल में जांच टीम पहुची थी क्योंकि प्रधानपाठक ठाकुर ने शिकायत की थी कि स्कूल के शिक्षक पारधी जी मेरे साथ दुर्व्यवहार एवं प्रधानपाठक की बात नही मानते  इस शिकायत के आधार पर जांच टीम नवीन शासकीय पूर्व माध्यमिक  शाला  कोपरा पहुचे। जांच दो दिनों तक चला जांच दल की रिपोर्ट अभी नही आये है। इस पर मारपीट एवं अश्लील हरकत  की बात बताई गई। लेकिन सोचने वाली बात है। कि जांच टीम को छात्र छात्राओं द्वारा मारपीट एवं अश्लील हरकत की जानकारी दी गई तो जांच टीम अभी तक क्या कर रही। कहि न कही इसे दबाने की कोशिश की जा रही थी। आज मीडिया की टीम पहुची  मामला  को गम्भीरता से लेते हुए जानकारी लेने पे ये बात सामने आई कि प्रधानपाठक द्वारा मारपीट एवं अश्लील  हरकत एवं अन्य शिकायत न करे ये सोच कर कुछ छात्र छात्राओं के घर जाकर उनके पालक एवं छात्र छात्राओं को समझाइस दी गई कि कोई शिकायत न करे।जबकि शिक्षक पारधी जी एक इंग्लिश विषय के शिक्षक है।इंग्लिश विषय अंतर्गत इनकी नियुक्ति की गई है। प्रधानपाठक द्वारा इसे इंग्लिश  विषय नही पढ़ाने बोला जाता है । प्रधानपाठक द्वारा स्वयं इंग्लिश विषय पढाने बात को लेकर कुछ अनबन हुई।इनकी शिकायत प्रधानपाठक द्वारा की गई की शिक्षक पारधी  द्वारा में साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जबकि  छात्र छात्राओं ने बताया कि पारधी सर  इंग्लिश विषय  पढ़ाते है। तो हमे अच्छा समझ आता है। लेकिन प्रधानपाठक द्वारा पढ़ाने पर समझ नही आने के साथ गुटखा खाकर एवं अश्लील हरकत वाली बात कहि

नियुक्ति विषय शिक्षक को  देना अनिवार्य

शासन- प्रशासन जिस विषय मे नियुक्ति की गई उस विषय के शिक्षक को नही पढ़ाने पर कोई भी शिक्षक इस बात का विरोध करेगा। इसका विरोध प्रधानपाठक को अच्छा नही लगा तो इनकी शिकायत कर डाली

गुटखा खाकर स्कूल आने के सम्बंध में क्या कहते है प्रधानपाठक

प्रधानपाठक द्वारा इसकी जानकारी ली गई तो उन्होंने बड़ी सफाई से बोल दिया कि मैं माउथ फ्रेशर खाता हूं। गुटखा नही खाता पर हमारे टीम ने देखा कि प्रधानपाठक हमारे साथ बात चीत करते समय गुटखा खा रहे थे। तो इस बात ने अंदाज लगया जा सकता है। कि छात्र छात्राए झूठ बोल रहे है या प्रधानपाठक इस तरह से सच्चाई सामने आने के बाद देखना होगा कि जांच टीम  इस प्रधानपाठक के ऊपर क्या कार्यवाही करते। पर सरकार ने इस तरह से शिकायत होने पर तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए है लेकिन अभी तक यह मामला ठंडा बस्ता में पड़ा है। अब खबर प्रकाशित होने के बाद  जिले के उच्च अधिकारी कार्यवाही करते है। ये देखना होगा।

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