
बड़ा सवाल:क्या ?सचिव के साथ मिलकर नियम विरुद्ध लाखों रुपए की नगद राशि आहरण करने बाले ग्राम पंचायत चिचिया के राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सरपंच को मिल जायेगा अभयदान?या होगी कार्यवाही?

प्रकाश कुमार यादव
देवभोग/गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-गरियाबंद जिले में जितना भी भ्रष्ट्राचार की बात की जाए कम हैं। गरियाबंद जिले के तमाम विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्ट्राचार और फर्जीवाड़ा पंचायत विभाग में ही व्याप्त हैं।यहां पर जनपद पंचायत सीईओ से लेकर पंचायत सचिव व सरपंच सहित रोजगार सहायक तक भ्रष्ट्राचार के दलदल में गले तक डूबे हुए नजर आ रहे हैं ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्ट्राचार को जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक अपना अपना तय कमीशन के आधार पर खुलेआम संरक्षण प्रदान किया जा रहा हैं।लगातार मीडिया कर्मियों द्वारा लगातार खबर प्रकाशित करने के साथ ही उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी ग्राम पंचायतों के भ्रष्ट्राचार पर जिम्मेदार अंकुश लगाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं या फिर जानकर भी अनजान बने बैठे हैं।बात चाहे फर्जी मस्टर रोल की हो या फिर घटिया और गुणवत्ताहीन कार्य की जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक जिम्मेदार अपना कमीशन बनाने में लगे हुई हैं और भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जिससे कि सरपंच सचिव और अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।
ताजा मामला जिले की सबसे चर्चित और भ्रष्ट्राचार से जानने वाले जनपद पंचायत देवभोग अंतर्गत की ग्राम पंचायत चिचिया का है जंहा विकास कार्यों के नाम पर पंचायत सचिव द्वारा शासन द्वारा जारी निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर जमकर भ्रष्ट्राचार किया किया गया हैं।बताना लाजमी होगा विकास खण्ड देवभोग की ग्राम पंचायत चिचिया में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य कराके जहां सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है,वहीं इस ग्राम पंचायत के राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सरपंच राजकुमार जो कि अपने आपको को देवभोग क्षेत्र का एक बड़ा वोट बैंक का स्वामी बताते नही थकता हैं।जिसे बुद्धिहीन नेता वोट बैंक का सरदार समझकर इसकी जी हजूरी में लगे रहते हैं इस वोट बैंक का कथित स्वामी द्वारा हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर कायदे कानून के पालन से बेपरवाह हैं या ये कन्हे कि नियम कानून से अनिभिज्ञ हैं।उन्हें न जांच की चिंता है,न अधिकारियों का डर है।हो भी क्यों?ऊपर से नीचे तक इनके द्वारा कमीशन भेजकर अपनी ही ग्राम पंचायत की शासन द्वारा जारी राशि को लूटमार मचाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहें हैं।इतना ही नही ग्राम पंचायत चिचिया में सरंपच, सचिव और ग्राम रोजगार सहायक की तिकड़ी का बेलगाम राज चल रहा है। इस तिकड़ी को इनदिनों मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है।इनके द्वारा ग्राम पंचायत चिचिया में ऐसे तमाम काम कराए गए हैं जिनमें इन्हें कमाई का रास्ता नजर आया हैं जिन्हें ग्राम का नही सिर्फ अपना ही विकास दिखाई देता हैं जिसका जीता-जागता उदाहरण स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत बनाए गए शौचालय हैं।इसके अलावा भी यहां कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं,ऐसे कई तमाम निर्माण कार्य जो शासन द्वारा जारी निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर सरपंच सचिव ने अपना-अपना हिस्सा तो ले लिया पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं।
और वैसे भी आप सभी जानते हैं कि सरपंच का वजूद गांव से होता हैं ना कि गांव का वजूद सरपंच से होता हैं। सरपंच को गांव ही बनाता हैं। इसलिए सरपंच का उत्तरदायित्व हैं कि वह हरसंभव वह कार्य करे, जिससे गांव का हित,विकास और समृद्धि हो। जिस सरपंच के कार्यकाल में गांव विकास और सम्मान प्राप्त करता हैं। वह सरपंच ही सफल सरपंच कहलाने का सच्चा अधिकारी होता हैं। जो सरपंच केवल अपनी चौधराहट जमाने,पार्टीबाजी करने व पैसे कमाने के लिए बने, वह गांव पर बोझ होता हैं। सरपंच की यदि नीयत साफ होगी तो ही गांव उसका सहयोग करेगा अन्यथा भ्रस्ट और पैसा के भूखे, लोभी और लालची सरपंच का न केवल गांव मे विरोध होगा,बल्कि उसके आंशिक लोभ की आड़ में कर्मचारी व अधिकारी गांव को लूटने का काम करेंगे।गांव अपने ग्रामीण को जो देता है, यदि हम उसका 100वां हिस्सा भी उसके विकास में करे तो गांवों को विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता। हम केवल अपनी,अपने परिवार और घर की बात तक ही सोचते हैं। गांव की नहीं। जिस दिन गांव को अपने घर और अपने ईष्ट की तरह समझने लग जाएंगे, उस दिन न केवल गांव बल्कि भारत देश दुनिया का सिरमौर होगा। गांव ही भारत का असली रूप हैं। भारत ग्राम प्रधान देश हैं। इसलिये गांव का विकास ही भारत का विकास हैं।पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायतीराज अधिनियम की जानकारी होनी चाहिए। यह न केवल पंचायत प्रतिनिधियों बल्कि हर ग्रामवासी को इसकी जानकारी होनी चाहिए।साथ ही ग्रामीणों को पता होना चाहिए कि पंचायतीराज में ग्रामसभा सुप्रीम पावर होती हैं पंचायत नहीं। अभी इस बात की सख्त जरूरत हैं कि लोगों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों की जानकारी हो। हर ग्रामवासी के लिए जरूरी हैं कि वह ग्रामसभा के महत्व को समझें। 73वें संवैधानिक संशोधन के अनुरूप ग्रामसभा पंचायतीराज मे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।ग्रामीणों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि गांव के विकास हेतु पंचायत का सहयोग करें। सामुदायिक सहभागिता ही ग्राम विकास का मूलमंत्र हैं।बताना लाजमी होगा कि गाँव में सरपंच की क्या भूमिका होती है व एक मुखिया के रूप में सरपंच के क्या कार्य होते है?अगर इन सभी कार्यों को एक सरपंच या यूँ कहें ग्राम पंचायत सही से करे और अपना फर्ज सही से निभाए तो देश का भला जरूर होगा एक सरपंच गाँव की रीढ़ होता है।और जब गाँव का मुखिया ही अनपढ़ होगा तो गाँव को क्या प्रोत्साहित करेगा? जब गाँव का सरपंच ही गंदगी में जियेगा तो सफाई अभियान क्या चलाएगा?गाँव का सरपंच खुद चोर- उच्चक्का और बेईमान होगा तो क्या वह ईमानदारी की बात करेगा? अगर खुद गाँव में शराब बाटेगा तो गाँव से कुरीतियों को कैसे दूर करेगा?इसलिए ये जरुरी है की गाँव का सरपंच ईमानदार हो, पढ़ा लिखा हो और गाँव की भलाई चाहने वाला हो तभी वह गाँव और देश का भला कर सकता है अन्यथा ग्राम को गर्त में ले जाने बाला ही होगा ज्ञात हो कि भारतीय पंचायती राज सिस्टम के अनुसार,भारत के किसी भी गाँव और शहर में ग्राम पंचायत अपने आप में एक लोकल गवर्नमेंट का काम करती है। एक ग्राम पंचायत का चुनाव पांच साल के लिए किया जाता है।इसमें कुछ सीट SC, BC और औरतों के लिए पापुलेशन और ग्रुप की मेजोरिटी के आधार पर रिजर्व्ड होती है! भारत में करीब 250000 से अधिक ग्राम पंचायत है।
चेक डेम निर्माण में वाहवाही लूटने वाली चिचिया पँचायत हितग्राही मूलक कार्यो में फिसड्डी साबित हुई।जिला पंचायत सीईओ के दौरे में कलई खुली तो बैठक में भी नही पहूचा पँचायत सचिव हुआ निलंबित। मुड़ागांव सचिव को जारी किया शो काज नोटिस
जिला पंचायत सीईओ रोक्तिमा यादव दिनांक 05-01-2023 को देवभोग जनपद का दौरा किया।सबसे पहले ग्राम पंचायत चिचिया जंहा हितग्राही मूलक कार्यो में पँचायत की लापरवाही नजर आई।सीईओ जब गौठान पहूँचे तो मौके पर 20 किविन्टल गोबर मौजूद था, जबकि रिकार्ड में 30 क्वी दर्ज था,कम खरीदी की पूछताछ आगे बढ़ी तो पाया गया कि पँचायत ने गोबर बेचने के इछुक 50 से भी ज्यादा विक्रेताओ का नाम पंजीयन नही किया था,स्वीकृत 13 वर्मी टांके में से केवल 8 बनाया गया था।जांच बढ़ते गई तो अनियमितता भी सामने आते गया।खरकार में नलकूप खनन के 60 हजार का आहरण कर लिया गया था पर काम नही किया गया। वर्ष 2022-23 में स्वीकृत 93 शौचालय में से 38 का राशि निकाल कर बनाया नही जाना पाया गया।पीएम आवास के 20 ऐसे हितग्राही पाए गए जिनके पैसे आहरण करवाने के बावजूद उनका आवास पूर्ण नही किया गया था।हैरानी की बात तो यह है कि अफसर के दौरे के पूर्व सूचना के बावजूद पँचायत सचिव न तो अपने कार्य क्षेत्र में दिखा न ही बैठक में उपस्थित हुआ।मामले को जिला पंचायत सचिव ने गम्भीरता से लेते हुए पँचायत सचिव खामसिंह मरकाम को निलंबित कर दिया गया।मामले की विभागीय जांच हेतु पँचायत उपसंचालक पद्मिनी हरदेल को नियुक्त किया गया है।करारोपण लेखा अधिकारी यम प्रकाश रजक प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किये गए हैं।अब देखना होगा कि क्या?सचिव को निलंबित कर जिला प्रशासन वाहवाही लूटेगा या राजनीतिक सरक्षण प्राप्त सरपंच पर भी पंचायती राज अधिनियम की धारा 40के तहत कार्यवाही होगी या सरपंच को अभयदान प्राप्त होगा।
मुड़ागांव सचिव को शो काज नोटिस
अफसर निरीक्षण करते हुए कड़लीमुडा पहूँची,जँहा रिपा योजना के तहत चल रहे धीमी कार्य के प्रति नाराजगी जाहिर किया।समय सीमा में कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए।जब जीप सीईओ मुड़ागांव पहूंचे तो वँहा भी गोधन न्याय योजना में लापरवाही दिखी।वर्मी कम्पोष्ट निर्माण में लापरवाही के लिए पँचायत सचिव देवानन्द बीसी को शो काज नोटिस जारी किया है।अंत मे जनपद सभागार में ब्लॉक के अफ़सरो की बैठक लिया, बैठक में सभी योजनाओ की समीक्षा की गई,विभिन्न योजनाओं के निर्माण कार्य की प्रगति धीमी दिखी।सीईओ ने फरवरी माह तक हर हाल में पुरा करने का निर्देश जारी किया।
नियम विरुद्ध सरपंच-सचिव ने किया लाखों रुपये की राशि का नगद आहरण कर किया भ्रस्ट्राचार
गरियाबंद जिला के अंतिम छोर पर बसे विकास खण्ड देवभोग अंतर्गत की ग्राम पंचायत चिचिया में सरपंच सचिव द्वारा शासन द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन कर मूलभूत मद स्वच्छ भारत मिशन एवम 14वें और 15वें वित्त की राशि का खुलकर भ्रष्ट्राचार किया हैं तो वंही सचिव व सरपंच की मिलीभगत से गड़बड़ी का मामला सामने आया हैं।सचिव सरपंच द्वारा 15वे वित्त व स्वच्छ भारत मिशन योजना सहित अन्य योजना की राशि को नियम विरुद्ध नगद आहरण कर भ्रस्टाचार किया गया हैं बता दें कि..स्वच्छ भारत मिशन की राशि से दिनांक 02-02-2019 को बाउचर क्रमांक टीएससी/2019 को 20/P/6 के माध्यम से30,000हजार रुपए,व बाउचर क्रमांक टीएससी/2019 को 20/P/7के माध्यम 7,000 हजार रुपए एवम टीएससी/2019 को 20/P/5 के माध्यम 10,000हजार रुपए दिनांक 31-10-2019 को बाउचर क्रमांक टीएससी/2019 को 20/P/2 के माध्यम से50,000 हजार रुपए एवम टीएससी/2019 को 20/P/3 के माध्यम8,000 हजार रुपए एवमटीएससी/2019 को 20/P/4 के माध्यम 7,920 रुपए व टीएससी/2019 को 20/P/1 के माध्यम 1,50000 रुपए का नियम विरुद्ध सरपंच सचिव द्वारा स्वच्छ भारत मिशन योजना की राशि नगद आहरण किया गया है।वंही दूसरी ओर ग्राम पंचायत को मूलभूत योजना से प्राप्त राशि को दिनांक 07-12-2019 को दो अलग बाउचर GPMKHA/2019 को 20/P/2 के माध्यम 19,000 एवम GPMKHA/2019 को 20/P/6 के माध्यम/2019 को 20/P/5 के माध्यम 2,000 हजार रुपए एवं मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकासः योजना की राशि का दिनांक 25-10-2019 को बाउचर क्रमांक MMSGVY/2019 को 20/P/2 के माध्यम90,000 हजार रुपए कुल 3,73,920(तीन लाख तिरहत्तर हजार नो सौ बीस रुपए)का नगद आहरण कर सरपंच सचिव द्वारा शासन की राशि का भ्रस्टाचार किया गया हैं।
रुपये निकाल लिए, लेकिन काम नहीं हुआ





वेरिफिकेशन करने गई हमारी टीम ने पाया कि प्रस्ताव में जो काम करवाए गए, उनका भुगतान तो हो गया, लेकिन गांव में कहीं भी काम नहीं हुआ,पानी की टंकी के नाम पर और मूलभूत मद से मुर्मी करण कर लाखों रुपए का नियम विरुद्ध बिल लगाया गया हैं जो गांव में कभी बनी ही नहीं।गांव में कागजी मरम्मत कार्योको दर्शाकर भी लाखों रुपये की हेरा-फेरी की गई,कुर्सी खरीदी, रंग रोगन, कुएं में कैपिंग के नाम पर भी बिना बिल के लाखों रुपये निकाल लिए गए।यहां तक कि गांव वालों ने गौठान में मवेशियों के लिए जो पैरा दान किया, दोनों ने उसे भी खरीदी बताकर पैसे ले लिए।सरपंच-सचिव द्वारा हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर कायदे कानून के पालन से बेपरवाह हैं या ये कन्हे कि नियम कानून से अनिभिज्ञ हैं।उन्हें न जांच की चिंता है,न अधिकारियों का डर है।हो भी क्यों?ऊपर से नीचे तक इनके द्वारा कमीशन भेजकर अपनी ही ग्राम पंचायत की शासन द्वारा जारी राशि को लूटमार मचाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहें हैं।इतना ही नही ग्राम पंचायत चिचिया में सरंपच, सचिव और ग्राम रोजगार सहायक की तिकड़ी का बेलगाम राज चल रहा है। इस तिकड़ी को इनदिनों मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है।इनके द्वारा शासन द्वारा जारी नियमो का उल्लंघन कर ग्राम पंचायत चिचिया में ऐसे तमाम काम कराए गए हैं जिनमें इन्हें कमाई का रास्ता नजर आया हैं जिन्हें ग्राम का नही सिर्फ अपना ही विकास दिखाई देता हैं जिसका जीता-जागता उदाहरण स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत बनाए गए शौचालय हैं।इसके अलावा भी यहां कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं,ऐसे कई तमाम निर्माण कार्य जो शासन द्वारा जारी निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर सरपंच सचिव ने अपना-अपना हिस्सा तो ले लिया पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं।
मूलभूत योजना की राशि का किया बंटाधार
बता दे कि पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 49 के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों को मूलभूत कार्य संपादित करने का दायित्व सौंपा गया है। इसके निर्वहन हेतु द्वितीय राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप राज्य स्वयं के शुद्ध कर राजस्व संग्रहण का 6.15 प्रतिशत हिस्सा त्रिस्तरीय पंचायतों के मध्य उनकी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण जनसंख्या के आधार पर वितरण करने का प्रावधान है। तद्नुसार ग्राम पंचायतों को मूलभूत कार्यों के लिये अनुदान मद के अन्तर्गत धन राशि प्रतिवर्ष प्रथम छः माही एवं द्वितीय छः माही में दो किस्तों में उपलब्ध कराई जाती है।बता दे कि भ्रस्ट सरपंच और सचिव द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्रमांक/पंग्राविवि/मूलभूत/769/2013/624 दिनांक 28-11-2013 की कंडिका क्रमांक 1 में स्पष्ट निर्देश हैं कि ग्राम पंचायत अंतर्गत किसी भी तरह का मुर्मिकरण पर राशि व्य नही की जानी हैं साथ ही कंडिका क्रमांक 11 में भी स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी परिवार या व्यक्ति को सहायता/अनुदान पर मूलभूत मद की राशि व्य नही की जा सकती किन्तु ग्राम पंचायत माड़ागांव के भ्रस्ट सरपंच व सचिव द्वारा नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए मूलभूत राशि का गवन किया हैं।बताना लाजमी होगा कि चिचिया के सरपंच सचिव द्वारा मूलभूत राशि एवम 14 वें वित्त की दो लाख 30 हजार 72 रुपए का मुर्मीकरण कर अपने चहेते के नाम पर राशि का भुगतान किया हैं तो वंही दूसरी और नियम विरुद्ध अपने चहेते और अपने उन हितग्राहियों को 1लाख 16 हजार 600 का मूलभूत राशि से निजी लाभ दिया हैं।साथ ही बिना कार्य करवाए सरपंच व सचिव द्वारा वर्ष 2020-21मे समतली कारण और गौठान के नाम पर 15वें वित्त की राशि से 78 हजार 80रुपए आहरण किया हैं।
15 वित्त की राशि का भी नियम विरुद्ध कार्य कर शासकीय राशि की मचाया लूट
बतातें चले कि छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विभाग मंत्रालय के पत्र क्रमांक 1079/क्र-2803/पंग्राविवि/22-1/2020दिनांक 10-03-2021 के माध्यम 15वें वित्त आयोग अन्तर्गत जिला पंचायत एवम जनपद पंचायत योजना निर्माण के संबंध में पत्र क्रमांक 15वें वित्त//1143/पं ग्राविवि/2020 दिनांक03-02-2021के माध्यम से छत्तीसगढ़ के समस्त कलेक्टर व जिला मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गया था कि त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों भारत सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वितरण का अनुपात ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत व जिला पंचायत के माध्यम 75:15:10 बैंड के अनुरूप प्रावधानित हैं।जिसका उपयोग ग्राम पंचायत जनपद पंचायत जिला पंचायत द्वारा विकास योजना बनाकर किया जा सकता हैं। 15 वें वित्त की राशि व्य के संबंध जारी दिशानिर्देश की कंडिका 14 में स्पष्ट निर्देश है कि किसी एक विषय पर भारत सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वितरण के अनुपात के आधार पर 25प्रतिशत राशि से अधिक राशि व्यय नही की जा सकेगी,साथ ही कंडिका क्रमांक 16 में स्पष्ट निर्देश हैं कि 15वें वित्त आयोग अनुदान अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-2021के लिये त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों को प्राप्त अनुदान राशि का 50प्रतिशत अनाबद्ध राशि हैं एवं शेष 50 प्रतिशत आबद्ध राशि हैं।पंचायती राज्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार आबद्ध राशि का 50 प्रतिशत स्वच्छ्ता एवम 50 प्रतिशत पेयजल पर व्य किया जाना हैं यंहा पर यहां बताना लाजमी होगा कि सचिव प्रेम सिंह मरकाम द्वारा शासन के नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम 15वे वित्त की राशि का भ्रष्ट्राचार किया गया हैं ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत चिचिया में वित्तीय वर्ष 2021-22में नियम बिरुद्ध कार्य को कागजो में दर्शाकर महा भ्रष्ट्राचार किया गया हैं जिसमे कार्य का उल्लेख ना करते हुए
सकसी ट्रेडर्स को पुलिया निर्माण के नाम पर दिनांक15-08-2021 को बाउचर क्रमांक-xvfc2021-22/p/6 के माध्यम से 99,685 रुपए का भुगतान किया गया तो वंही दिनांक15-08-2021बाउचर क्रमांक-xvfc2021-22/p/7 के माध्यम से सोलर लाइट स्थापना के नाम पर केरडा रायपुर को 24800 रुपए का भुगतान किया गया तो वंही दिनांक15-11-2021 को बाउचर क्रमांक xvfc2021-22/p/9के माध्यम से नाली निर्माण और मरम्मत के नाम पर यथार्थ ट्रेडर्स को 40 हजार रुपए का भुगतान किया गया हैं।तो दिनांक 08-03-2021 को बाउचर क्रमांक-xvfc2021-22/p/1 के माध्यम से सीसी सड़क निर्माण के नाम पर सकसी ट्रेड्स को एक लाख 84हजार नो सौ 80रुपए का भुगतान कर दिया गया हैं।गौठान में बोर खनन के नाम पर 70हजार रुपए का भुगतान जय शीतला माता बोर बेल को भुगतान किया गया हैं।इसी प्रकार सूपेबेड़ा के मानस ट्रेडर्स को दिनांक 19 04 2021 को चार अलग अलग बाउचर के माध्यम से मेंटनेंस और मरम्मत के नाम पर बाउचर क्रमांक-क्रमशः xvfc2021-22/p/4,xvfc2021-22/p/5,xvfc2021-22/p/6,xvfc2021-22/p/8,xvfc2021-22/p/7 के माध्यम से क्रमशः 49,000,1,84,980,90,000,47600,49,000 कुल राशि तीन लाख 18 हजार पांच सौ80 रुपए का फर्जी कार्य का भुगतान कर शासन की राशि का बंदरबांट किया हैं।ग्राम पंचायत चिचिया द्वारा नियम बिरुद्ध कार्य कर शासन की राशि का बंदरबांट कर दिया गया हैं।जबकि 15वें वित्त के तहत आवंटित राशि का 50 प्रतिशत ग्राम पंचायत पेयजल व स्वच्छता पर खर्च कर सकेगी और इसमें पेयजल के लिए तालाब निर्माण,नवीन कूप निर्माण,वाटर हारर्वेंस्टिंग,सोख्ता गड्डा,पेयजल कूप गहरीकरण व मरम्मत, पेयजल के लिए भू-स्तर टंकी का निर्माण,पेयजल पाइप लाइन का विस्तार,घाट की पुताई, साफ-सफाई,कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित,चेक डेम का सुधार का जैसे कार्य शामिल हैं,जबकि हैंडपंप,टयूबवेल खनन,पेयजल परिवहन व्यय,टैंकर क्रय,मोटर पंप क्रय व मरम्मत,आरओ प्लांट स्थापना,नवीन स्टाप डैम व चेक डैम,सफाई कर्मी का वेतन देने का प्रावधान इस राशि में सम्मिलित नहीं हैं।ज्ञातव्य हो कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की नई दिल्ली,राजपथ पर शुरूआत करते हुए कहा था कि एक स्वच्छ भारत के द्वारा ही देश 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं। 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन देश भर में व्यापक तौर पर राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” की परिकल्पना को साकार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया गया सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता अभियान है। नरेन्द्र मोदी ने इंडिया गेट पर स्वच्छता के लिए आयोजित एक प्रतिज्ञा समारोह की अगुआई की थी। जिसमें देश भर से आए हुए लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया था उन्होंने इस अवसर पर राजपथ पर एक पदयात्रा को भी झंडी दिखाई थी और न केवल सांकेतिक रूप से दो चार कदम चले बल्कि भाग लेने वालों के साथ काफी दूर तक चलकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया।
स्वच्छता के जन अभियान की अगुआई करते हुए प्रधान मंत्री ने जनता को महात्मा गांधी के स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण वाले भारत के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित भी किया था।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े अनुपयोगी शौचालय फिर भी कागजों पर ओडीएफ कर वाहवाही लूटते जिम्मेदार
जनपद पंचायत देवभोग अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत चिचिया में किए गए शौचालय निर्माण की वास्तविक स्थिति बड़ी दयनीय है। जिस तरह से कागजों पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शौचालय दिखाए गए है उनकी वास्तव में जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।घटिया व गुणवत्ताहिना शौचालय के साथ-साथ अनुपयोगी शौचालय भी मौजूद है परंतु अधिकारी कागजों पर शौचालय निर्माण का मॉडल पेश करके वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं।गौरतलब हो कि ग्राम पंचायत चिचिया अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत हितग्राहियों के लिए शासन द्वारा स्वीकति प्राप्त हुई थी जिसमे गांव हितग्राहियों के नाम पर स्तरहीन शौचालय का निर्माण करवाया गया इतना ही नही बाकायदा शौचालय पर हितग्राहियों का नाम भी लिखबा दिया गया जिसमे से आधे से अधिक शौचालय अनुपयोगी पड़े हुए है।बता दे कि देवभोग क्षेत्र के सरपंच-सचिव द्वारा स्तरहीन शौचालयों का निर्माण कराकर हितग्राहियों का नाम अंकित तो कर दिया लेकिन इन स्तर हीन शौचालयों में अपना ताला लगा दिया जिससे ग्रामीणों को इस योजना का लाभ नही मिला और शौचालय आज जमीजोद हो चुके हैं
ऐसे हुआ शौचालय निर्माण में भ्रष्ट्राचार

स्वच्छ भारत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्मित ग्रामीण शौचालय निर्माण में गरियाबंद जिले में तत्कालीन सरकार के समय बड़े स्तर पर शौचालय निर्माण में भारी भ्रष्ट्राचार गरियाबंद जिले के विकास खण्ड देवभोग में करोड़ों रुपए की राशि स्वच्छ भारत मिशन एवम मनरेगा के तहत प्राप्त हुई थी भारी भरकम राशि देख अधिकारियों द्वारा उसे कैसे ठिकाने लगाया जाए इसके लिए तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ सहित जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं ब्लॉक समन्वयक अधिकारीओ की मदद से जो शौचालय निर्माण राशि सीधे हितग्राही के खाते में स्वच्छ भारत अभियान मीशन सर्कुलर के नियम के अंतर्गत जाना थी वह राशि इन भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से हितग्राही के खाते में नहीं जाते हुए यह राशि वेंडरों को निर्धारित कमीशन तय कर उनके खातों में डालकर भ्रस्ट सरपंच व सचिवों द्वारा अधिकारियों तक पहुंचाई गई हैं, ग्राम पंचायत चिचिया के सरपंच-सचिव जो कि विकास खण्ड देवभोग क्षेत्र की ग्राम पंचायत चिचिया के हितग्राहियों द्वारा निर्माण नहीं करते हुए वेंडर द्वारा चार से पांच हजार की लागत से बनाए गए स्तरहीन शौचालय का निर्माण किया गया जब की सरकार द्वारा प्रत्येक शौचालय का निर्माण 12 हजार रुपए की लागत से होना था जिसमें स्थानीय सामग्री का उपयोग सीमेंट, रेत,ईट शौचालय निर्माण में बनाते समय होना था लेकिन बाहरी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाते हुए 4 से 5000 हजार रुपए की लागत से शौचालय का निर्माण किया गया शेष राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी गयी,सरपंच एवम सचिव व अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी टिन नंबर जीएसटी नंबर के बिल लगाकर लाखों रुपए की राशि इन डकार ली गई है जिसमें शासन को भी टैक्स के नाम पर लाखों रुपए का चूना भी लगाया गया है।
अन्य मद की राशि को भी शौचालय निर्माण में किया उपयोग राशि मिलने पर नही किया समायोजन कर लिया गवन
गौतरलब हो कि स्वच्छ भारत मिशन अभियान की शुरुआत होने के साथ ही गरियाबंद जिला के भ्रस्त्रासुरों द्वारा भ्रष्ट्राचार करने का बकायदा प्लान भी बना लिया गया था जिसका नतीजा यहा निकला कि ग्राम पंचायत चिचिया में शौचालय की स्वीकृति प्राप्त हुई जिसमें स्वच्छ भारत मिशन एवम मनरेगा के तहत स्वीकृति प्राप्त हुई किन्तु सरपंच एव सचिव द्वारा शौचालय निर्माण में मूलभूत योजना एवम 12वें वित्त योजना की राशि का उपयोग कर स्तरहीन शौचालय का निर्माण करवाया गया लेकिन शासन द्वारा जब स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायत के खाते में राशि भेजी गई तो सरपंच व सचिव द्वारा उक्त राशि का मूलभूत योजना एवम 12वें वित्त योजना में समायोजन ना करते हुए स्वच्छ भारत मिशन की राशि को बाउचर दिनांक 31-10-2019 को चार बाउचर क्रमांक-टीएससी/2019-20/p/3 एवम टीएससी/2019-20/p/2व टीएससी/2019-20/p/1एवम टीएससी/2019-20/p/4 के माध्यम से क्रमशः 8000,50,000,15,0000 व 7920 वंही दूसरी और दिनांक 02-02-2020 को तीन बिल क्रमांक टीएससी/2019-20/p/5,टीएससी/2019-20/p/7,टीएससी/2019-20/p/6के माध्यम से क्रमशः10,000,7000,30,000 का भुगतान ससि ट्रेडर्स को किया गया जबकि स्वच्छ भारत मिशन की राशि का समायोजन करना था।इसी प्रकार दो अन्य हितग्राहियों को 5-5हजार रुपए स्वच्छ भारत मिशन योजना अन्तर्गत दो हितग्राहियों को देना बताया जा रहा हैं जिनके नामों का कोई उल्लेख नही हैं इस तरह भ्रस्ट सरपंच सचिव द्वारा एक शौचालय निर्माण में दो योजनाओं की राशि खर्च कर दी गई हैं जबकि मूलभूत योजना एवम 12वें वित्त योजना की राशि से शौचालयों का निर्माण किया गया था।
आज भी जिले के अधिकतर विकास खंडों में शौचालय निर्माण कागजों पर बने हैं
गरियाबंद जिले की कई विकास खंडों में की कई ग्राम पंचायतों में आज भी शौचालय की अनेक शिकायतें जिला प्रशासन गरियाबंद को प्राप्त हो रही है जिसमें शौचालय के नाम पर हितग्राही के खाते से ही बिना शौचालय निर्माण के ही वेंडरों द्वारा राशि निकाल ली गई है लेकिन कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है।
भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़े शौचालय,स्वच्छ भारत अभियान पर जमकर मनमानी,अधिकारी भी मौन, जिम्मेदार हैं कौन?
भारत सरकार द्वारा स्वच्छता मिशन के तहत बहुउद्देश्यीय अभियान स्वस्छ भारत अभियान सरकार ने समूचे भारत पर लागू किया था ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके शौचालय निर्माण कर खुले में शौच से भारत मुक्त हो सके पर आज जो हकीकत जमीनी स्तर पर देख लो को मिल रहा है काफी निराशाजनक है सरकार की भरोसा को तो थोड़ा ही है वही ग्रामीणों की उम्मीद पर भी पानी फिरता हुआ नजर आता है,बता दे करोड़ों रुपया खर्च करके भारत सरकार प्रत्येक ग्राम पंचायत पर हितग्राहियों के नाम शौचालय निर्माण करने के लिए प्रत्येक हितग्राहियों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 12000हजार रुपए प्रदान किए गए हैं पर शायद ही ऐसा कोई पंचायत हो जिस पर शत-प्रतिशत शौचालय बन पाया है और लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हो सरकार ने जिस मनसा अनुरूप इस योजना की शुरुआत की थी स्वच्छ भारत अभियान ताकि सभी परिवारों को इसका लाभ मिल सके खुले में शौच जाने की परंपरा खत्म हो सके,बीमारी की जड़ को खत्म किया जा सके।
इसके विपरीत आज भी लोगों खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है क्योंकि सरकार के आदेश पर इतना मनमानी ग्रामीण स्तर पर किया गया है की बाथरूम का अस्तित्व ही मिट गया है यह समस्या किसी एक पंचायत का नहीं है हकीकत देखे तो इलाके के सैकड़ों ग्राम पंचायतों के हजारों हितग्राहियों के साथ यह घटनाक्रम घटा है शौचालय का निर्माण जिस मापदंडों पर होना था उस मापदंड में 10% भी सरपंच सचिव द्वारा निर्माण कार्य नहीं किया गया है फलस्वरूप कई जगह ठेकेदारों की मनमानी के चलते ग्रामीणों को ना तो योजना का लाभ मिल पाया और ना ही शौचालय का निर्माण हो सका ऐसे में सरकार के स्वच्छ भारत अभियान पूरी तरह फेल होता नजर आता है।
शौचालयों की हकीकत देखिये, गड्ढा है तो सीट नहीं,सीट है पर गड्ढा गायब,छत उड़ा हुआ, फोटो खिंचा खेल ख़तम
बड़ी ही शर्मिंदगी के साथ अब बोलना पड़ रहा है की शौचालय जैसे मूलभूत सुविधाएं जो कि ग्रामीणों को मिलना चाहिए था उस पर भी रसूखदार सरपंच ने जमकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है कहीं किसी शौचालय को सिर्फ दीवाल ही खड़ा किया गया है जबकि गड्ढा और सीट नहीं है वही किसी केस में गड्ढा ही नहीं बनाया गया है और तो और कई शौचालय में छत ही नहीं है या दरवाज़ा ही नहीं लगाया तो इन परिस्थितियों में शौचालय का निर्माण कहां हुआ?ग्रामपंचायत चिचिया के शौचालयों को देखकर अब सवाल खड़ा होता है कि सरकार का मापदंड कहां गया? क्या सरकार रिपोर्ट को नहीं मांगता है या फिर जमीनी हकीकत परखने के लिए किसी अधिकारियों को इसका जिम्मा सौंपा जाता है ? करोड़ों रुपए की लागत से चलाए जा रहे हैं या स्वच्छ भारत अभियान भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ा हुआ है करोड़ों रुपए वाला योजना से बने शौचालय कोई उपयोग ही नहीं कर रहा है
बड़ा सवाल ?
स्वच्छ भारत अभियान किस तरह से ग्रामीण इलाकों में सफल संचालन हो सकेगा लोग इसका लाभ ले सकेंगे खुले में शौच जाने से मुक्ति कब मिलेगी ? आज कई सवाल खड़े कर रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुए तकरीबन 6 साल से अधिक होने को है पर 6 साल में अब तक ग्रामीणों की शौच जाने की परंपरा अब तक खत्म नहीं हुआ है इससे उम्मीद भी करना मुश्किल है कि इस तरह के लोग जब तक वजूद में रहेंगे तब तक लोगों को सरकारी बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिलता हुआ नजर नहीं आता है।
गरियाबंद जिला में शौचालयों की बिगड़ी व्यवस्था
जिले में अब भी भ्रस्ट सरपंच के चलते खुले में सोच करने को मजबूर है,सरकार चला रही स्वच्छ भारत अभियान का अब भी कोई असर नही दिख रहा,सरकार के द्वारा गांव- गांव घर – घर शौचालय का तो निर्माण किया गया,लेकिन यह निर्माण के बाद सरकार कर्मचारी व किसी आला अधिकारी के द्वारा निरीक्षण तक नही किया गया की वह शौचालय उपयोग में है या नही,आपको बता दें की सरकारी शौचालय का सन 2017 / 18 में ज्यात्तर पंचायतों में हुई थी,लेकिन अब यह शौचालय को देखा जाये तो उपयोग करने के लायक नही दिख रही है, गरियाबंद जिले के कई गांव में अब तक के ऐसे शौचालय है,जो उपयोग करने लायक नही है,कई शौचालय टूट-बिखर गया है, जिसके चलते अब लोग खुले में सोच करने को मजबूर है,सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के लिए 12000 ( बारह हजार ) प्रति शौचालय स्वीकृति राशि प्रदान किया जाता है लेकिन सरकार का स्वच्छ भारत अभियान को देखा जाये तो ऐसा नही लगता की वह बारह हजार की स्वीकृति से यह निर्माण किया गया है,जिले के अधिकांश पंचायतों में यह समस्या आम हो गया है।
कब मिलेगा लोगों को शौचालय का लाभ?
सरकार द्वारा भले ही घर-घर में शौचालयों के निर्माण करवा दिए , वहीं अधिकांश लोग शौचालयों का उपयोग करने की बजाए खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं, वजह यह है की शौचालयों का घटिया स्तर का निर्माण हुआ है,इसकी वजह से निर्माण के साल भर के भीतर ही अधिकांश शौचालय बेहद जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं,जिनमें शौच के लिए जाना तो दूर ग्रामीण उनके आसपास भटकने से भी कतराने लगे हैं।गौरतलब हो कि शौचालय निर्माण कराने वालों के लिए सरकार द्वारा 12 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान कर रखा था यह राशि शौचालय निर्माण पूरा होने के बाद हितग्राही के खाते में शासन स्तर से डाली जाती है लेकिन,जिले में स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरपंच-सचिव और जिले के अफसरों ने हितग्राहियों के द्वारा शौचालयों का निर्माण कराए जाने की बजाए ठेकेदारों के द्वारा शौचालयों का निर्माण करवा दिया गया, ऐसे कई मामला जिले में सामने आए है जिसमे ठेकेदारों ने लाभ कमाने के लालच में लीपापोती करके 12 हजार रुपये की लागत से बनने वाले शौचालयों को आनुमानिक 07-08 हजार रुपये में पूरा करवा दिए जाने जैसे प्रतीत होता है।
अब ऐसे हालातों में सरपंच व सचिव के द्वारा बनाए गए अधिकांश शौचालय निर्माण के चंद महीनों बाद ही धराशाई हो चुके हैं,और कई बेहद जर्जर हालत में हैं।जो कभी भी टूट बिखर कर गिरने की कगार में है।जिससे ग्रामीण अपने शौचालय के आसपास भटकने से भी कतराने लगे हैं।जर्जर हालत के ऐसे शौचालय जिले के दूर दराज इलाकों की पंचायतों में ही नहीं बल्कि,जिला मुख्यालय से सटी हुई अधिकांश ग्राम पंचायतों में आसानी से देखे जा सकते हैं।
अब कब लोगों को शौचालय का लाभ मंशा अनुरूप मिल सकेगा बड़ा सवाल खड़ा होता है सरकार व प्रशासन को ज़मीनी स्तर पर इसकी जाँच की जानी चाहिए और गुनहगारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक आसानी से पहुंचे और जनता विभिन्न क्षेत्रों के सरकारी योजनाओं का लाभ ले सके।
गरियाबंद जिला में छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1)(क)(ख) हैं अलग-अलग विकास खण्ड में अधिकारियों की सुविधा अनुसार लागू?
बता दें कि तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी ने जिले के विकासखंड मैनपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत धोबनमाल में सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन वितरण में अनियमितता के खबर को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सीईओ को प्रकरण की जांच कराने एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। जिला पंचायत सीईओ को प्रकरण की जांच उपरांत जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में पेंशन योजना के क्रियान्वयन में ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा घोर लापरवाही बरतना पाया गया था उक्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रोक्तिमा यादव ने ग्राम पंचायत धोबनमाल के तत्कालीन सचिव गौरीशंकर यादव को निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश प्रसारित किये थे।इसके साथ ही कर्तव्यों के निर्वहन में अवचार का दोषी पाये जाने के फलस्वरूप ग्राम पंचायत धोबनमाल के सरपंच जगतराम नागेश के विरुद्ध छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1) (क) (ख) के तहत पद से पृथक करने की कार्यवाही हेतु अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व मैनपुर को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।जनपद पंचायत मैनपुर के सीईओ द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में अवगत कराया गया था कि ग्राम पंचायत धोबनमाल में सामाजिक सहायता कार्यक्रम अंतर्गत सितंबर से नवंबर 2021 कुल 03 माह की वृद्धा पेंशन एवं दिव्यांग पेंशन की राशि 1,43,000 रूपये सरपंच जगतराम नागेश एवं तत्कालीन सचिव गौरीशंकर यादव द्वारा पेंशन राशि आहरण कर पेंशनधारियों को भुगतान नहीं किया जाना पाया गया था।तत्कालीन सचिव गौरीशंकर यादव द्वारा ग्राम पंचायत धोबनमाल सेक्टर के करारोपण अधिकारी को पेंशन राशि दिसंबर 2021 तक किये जाने संबंधी जानकारी दिया जाकर गुमराह किया जाता रहा। जबकि उनके द्वारा माह अगस्त 2021 तक का ही भुगतान किया गया था। विदित हो कि शासन द्वारा सामाजिक सहायता कार्यक्रम अंतर्गत पेंशनधारियों को डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में पेंशन राशि अंतरण किये जाने के निर्देश है। जिन पेंशनधारियों का खाता ऑनलाइन पीएफएमएस में रजिस्टर्ड नहीं है, उन्हें ग्राम पंचायतों के माध्यम से उनके बैंक खाते में आर.टी.जी.एस. के माध्यम से भुगतान करने के निर्देश समय-समय पर जारी है। किंतु सरपंच एवं सचिव द्वारा पूरी राशि नगद आहरण किया जाकर गबन की नियत से अपने पास रखा जाना पाया गया,जिसे शिकायत प्राप्त होने पर तत्काल संबंधित सेक्टर के करारोपण अधिकारी के माध्यम से पेंशनधारियों को पेंशन भुगतान करवाया गया।बता दे कि जिला सीईओ द्वारा सचिव को निलंबित कर दिया गया तो वंही दूसरी ओर सरपंच को पद से पृथक करने की कार्यवाही हेतु अनुविभागीय अधिकारी,राजस्व मैनपुर को प्रस्ताव प्रेषित किया गया था।वंही दूसरी ओर गरियाबंद जिला अंतर्गत विकास खण्ड छुरा की ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी के सिर्फ तत्कालीन सचिव ईसाई राम ध्रुव को कार्यालय जिला पंचायत के पत्र क्रमांक 6021 दिनांक 11-02-2022 के माध्यम से पत्र जारी कर निलंबित कर दिया था।बताना लाजमी होगा कि ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी के पंच एवं ग्रामीणों द्वारा 25 अगस्त 2021 को सचिव द्वारा ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी में 95 हितग्राहियों के शौचालय का निर्माण करवाये बिना ही कुटरचना कर रूपए आहरण करने के संबंध में शिकायत की थी। जिस पर जिला प्रशासन ने तत्कालीन जनपद सीईओ रूचि शर्मा को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने निर्देशित किया था। जिस पर जनपद सीईओ द्वारा जांच कर शौचालय निर्माण कार्य में बिना निर्माण किये 7 लाख 52 हजार रुपए का आहरण किये जाने एवं कुटरचना कर निर्माण का पूर्णता प्रमाण पत्र लगाया जाना पाया गया था। इस संबंध में जनपद सीईओ द्वारा जांच कर रिपोर्ट 28 अगस्त को ही जिला प्रशासन को अग्रीम कार्यवाही हेतु प्रस्तुत कर दिया गया था। जिस पर पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। सचिव द्वारा जवाब भी 22 सितंबर को दे दिया गया था। लेकिन मामले में पांच महीने से अधिक समय बित जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही थी।वंही सचिव द्वारा मामले को दबाने के एवज में जिला पंचायत में दो लाख रुपए खर्च करने की बात भी कही थी।तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल के तबादले के बाद रोक्तिमा यादव ने जिला पंचायत सीईओ का पदभार संभाला है।अधिकारी बदलने के कुछ ही दिनों में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी के चलते मेढ़कीडबरी पंचायत के तत्कालीन सचिव ईसाई राम ध्रुव को निलंबित कर दिया गया था।किन्तु जिला सीईओ श्रीमती रोक्तिमा यादव द्वारा सरपंच को पृथक करने कोई कार्यवाही के आदेश जारी नही होना भी कई सवाल खड़े करता हैं?
सरपंच और सचिव ने मिलकर पन्चनबे शौचालय डकारे थे, निलंबन की कार्यवाही सिर्फ सचिव पर ?
बताते चले कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी पंचायत के पंच परमेश्वर की थी जो गावों में जागरूकता लाने के लिए लोगों को स्वच्छता अभियान से जोड़ने का काम है केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना को गांवों को स्वच्छ रखने के लिए है लेकिन छुरा जनपद पंचायत के आश्रित ग्राम पंचायत मेडकीडबरी में शौचालय निर्माण लाखो रुपये का खेला पंचायत सचिव एंव सरपंच सहित तकनीकी सहायक,कोडिनेटर द्वारा किया गया।गौरतलब हो कि ग्रामीणों ने तत्कलीन कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को लिखित शिकायत करते हुए कहा था कि पंचायत क्षेत्र के ग्राम सुरुग पानी, मेडकीडबरी,सलिहापारा, सरगीपारा,छरछरापारा,तेंदूपारा के उपसंरपच मूलचंद सोरी पंच कवि मरकाम डिगेश्वर देवलाल निषाद, ग्राम प्रमुख कुमार सिंग ग्रामीण गणेश राम कृपाशंकर।
कलेक्टर ने मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत छुरा को जांच करने का निर्देश पर रुचि शर्मा,आर एल ध्रुव, दीपक चन्द्रकार, सोमेश शर्मा, हीरालाल ठाकुर की टीम ने घर-घर पहुच कर हितग्राहियों से बयान लिए थे 95 ग्रामीणों के घर पर शौचालय का निर्माण हुआ नहीं था जबकि स्वीकृत 95 हितग्राहियों का फर्जी फोटो अन्य लोगों के घर में बने शौचालयों में खड़ा करके फोटो लेकर फर्जी हस्ताक्षर हितग्राहियों का कर सरपंच सचिव ने पूर्णतः प्रमाण पत्र जारी कर दिया था 95 हितग्राहियों के शौचालयों के लिए नौ लाख बारह हजार रुपये पंचायत को जारी हुआ था।सरपंच व सचिव ने नौ लाख बारह हजार रुपये बैंक से आहरण कर लिये थे हितग्राहियों के घरो में न शौचालय बना था न ही हितग्राहियों को फूटी कौड़ी दिया गया था पंचायत मे कार्यारत भृत्य देवलाल के घर में भी शौचालय नहीं बना लेकिन राशि आहरण हो गया। सरपंच श्रीमती ढेलेस ध्रुव व तत्कालीन पंचायत सचिव ईसाई राम ध्रुव के द्वारा सीईओ को पैंतीस शौचालय निर्माण होने की बात कहा गया था जब पैंतीस हितग्राहियों के घरो में जाकर देखा गया तो एक भी घर में शौचालय नहीं बना था।
आखिर सरपंच पर क्यों नही होती कार्यवाही?
तत्कालीन डिप्टीकलेक्टर रुचि शर्मा ने जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत गरियाबंद मुख्य कार्य पालन अधिकारी को प्रस्तुत कर नौ लाख बारह हजार रुपये का गडबड छाले की रिपोर्ट प्रेषित कर सचिव सरपंच के विरूध्द पंचायती राज अधिनियम के तहत चार सौ बीसी गबन जैसे आरोप के तहत कार्यवाही की अनुशंसा की थी।सरपंच व सचिव की मिली भगत कर फर्जी रूप से शासन की राशि का आहरण किया गया था।क्योंकि किसी भी ग्राम पंचायत में राशि का आहरण सिर्फ सचिव अकेले नही कर सकता चूंकि ग्राम पंचायत का बैंक खाता सचिव एवम सरपंच का सामूहिक खाता होता हैं।दोनों के सामूहिक हस्ताक्षर के बगैर राशि नही निकाली जा सकती हैं।इतना ही नही निर्माण सामग्रियों के बिल बाउचर को सरपंच द्वारा ही प्रमाणित किया जाता हैं साथ ही शौचालय निर्माण के बाद हितग्राहियों के फोटो को भी प्रमाणित सरपंच द्वारा ही किया जाता हैं।साथ ही उपयोगीता प्रमाण पत्र में सरपंच व साचिवों के सामूहिक हस्ताक्षर होता हैं।बाबजूद इसके जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी द्वारा सिर्फ सचिव को निलंबित कर दिया गया किन्तु सरपंच पर छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40(1)(क)(ख)के तहत ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी की सरपंच श्रीमती श्रीमती डीलेश ध्रुव को पद से पृथक करने की कार्यवाही हेतु कोई पत्र जारी नही किया गया था।अब सवाल हैं कि क्या?जिला गरियाबंद में पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40(1)(क)(ख)अलग-अलग विकास खण्ड में लागू होगी जिस तरह कभी जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू होने के कारण एक ही देश मे एक ही संविधान नही चलता था?क्या गरियाबंद जिला में अब नियम व कानून अधिकारियों की सुविधा अनुसार ही लागू होंगे?बता दे कि ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी को फर्जी ओ.डी.एफ. घोषित भी कर दिया गया था और फर्जी सत्यापन कर राशि आहरण कर गबन किया गया।स्वच्छ भारत मिशन की उचित संचालन के लिए शासन के द्वारा कई स्तर पर मापदंड निर्धारित किया गया था ताकि कार्यो का सही संचालन और देख रेख और मानिटरिंग किया जा सके जिसके लिए शासन ने कोआर्डिनेटर नियुक्त किया था ताकि स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण कार्य का उचित संचालन किया जा सके।लेकिन ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी में कोआर्डिनेटर की क्या भूमिका रही और उनकी उक्त भ्रष्ट्राचार में क्या भूमिका इसकी भी जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही शौचालय निर्माण की भौतिक सत्यापन कराने का मापदंड भी निर्धारित किया गया था जिसके अंतर्गत तकनिकी टीम प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक हितग्राही के शौचालय का स्थल सत्यापन कर भौतिक रूप से सत्यापन और प्रमाणीकरण करेगा परन्तु जनपद पंचायत मेढ़कीडबरी में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण कार्य का भौतिक सत्यापन में फर्जीबाड़ा किया गया है।जिनपर भी कोई कार्यवाही नही की गई थी।जबकि जांच अधिकारी खुद मुख्यकार्यपालन अधिकारी रुचि शर्मा थी जिन्होंने अपनी जांच में पाया था कि 95 हितग्राहियों के शौचालय निर्माण में भौतिक सत्यापन होने के उपयोगीता प्रमाण पत्र भी बनाए गए थे। तकनिकी टीम द्वारा प्रमाणित कर दिया गया था जिनपर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नही की गई हैं जो कि कई सवाल खड़े करता हैं।तत्कालीन सचिव ईसाई राम पहले भी तीन बार गबन के मामले में में निलंबित हो चुका है। ईसाई राम ध्रुव के निलंबन से पहले उनके चार्ज दो पंचायत मेडकीडबरी एंव कुडेरादादर था।अगर स्वच्छ भारत मिशन के आलावा अन्य योजनाओं को भी खंगाला जाता और सूक्ष्मता से जांच की जाती तो चौकाने बाले तथ्य सामने आने की संभावना को नकारा नही जा सकता न जाने और कितने फर्जी मामले में शासकीय राशि का गबन इनके द्वारा किया गया होगा?
भ्रस्ट्रासुरों का गढ़ बनकर रह गया हैं जिला गरियाबंद?
ग्राम पंचायतों के अलावा भी गरियाबंद जिला में ऐसा कोई विभाग नही बचा हैं जंहा भ्रस्ट्रासुरो औऱ पेटपोसू नेता व कमीशन खोर चिरकुट नेताओं का बोला बाला ना हो चाहे फिर भू-संरक्षण विभाग हो एवम शिक्षा,महिला बाल विकास विभाग,कृषि,खनिज,विभाग हो चारो तरफ लूट मची हुई हैं।अगर हम जिला पंचायत गरियाबंद की बात करें तो जिला पंचायत गरियाबंद जो कि भ्रष्ट्राचारियों और कमीशन खोरों का अड्डा बनकर रह गया हैं जंहा तबादला उद्योग से लेकर पंचायतों में हुए भ्रष्ट्राचार को दवाने एक मोटा कमीशन तय किया जाता रहा हैं।और जांच में भ्रष्ट्राचार उजागर होने के बाबजूद भी दोषियों पर कोई कार्यवाही नही की जाती हैं जिससे भ्रस्ट सरपंच सचिवों को इतना मौका भी दिया जाता है कि वो आवेदक को दवाने धमकाने किसी फर्जी केश में फसाने की धमकी दे सके जिसका जीता जागता उदाहरण गरियाबंद जिला के विकास खंड छुरा अन्तर्गत की ग्राम पंचायत रसेला,रानी परतेवा हैं जंहा भ्रष्ट्राचार उजागर हुए दो वर्ष से अधिक बीत जाने पर भी दोषी सरपंच व सचिवों पर कोई कार्यवाही नही हुई हैं।और उनका प्रकरण की फाइलें अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व)छुरा के कार्यालय में धूल चाटते पड़ी हैं।जिसमे पिछले एक वर्ष से सरपंचों को दामनी फ़िल्म के तर्ज पर तारीख पे तारीख दी जाते रही हैं।अब ऐसा लगने लगा है कि आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आने तक दामनी फ़िल्म के तर्ज पर ही ढाई साल तक सरपंचों को पेशी दी जाएगी और उनका कार्यकाल भी पूर्ण हो जाएगा? हद तो तब हो गई थी जब छुरा विकास खण्ड के ही ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी में ग्रामीणों के साथ मिलकर पंच पति एवम एक दिन के कलेक्टर शैलेन्द्र ध्रुव के चाचा द्वारा शौचालय में हुए भ्रष्ट्राचार को उजाकर करने मुख्य कार्यपालन अधिकारी छुरा को जांच हेतु आवेदन प्रस्तुत कर दिया था जिसमें जांच के दौरान 95 शौचालय का निर्माण करवाए बगैर ही सरपंच सचिव व रोजगार सहायक द्वारा शासन की राशि का गवन कर लिया था किन्तु तत्कालीन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप अग्रवाल द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई थी जबकिं वंही दो पंचायत में पदस्त सचिव ईसाई राम ध्रुव को ग्राम पंचायत मेढ़कीडबरी से हटाकर इतिश्री कर दिया गया था।बता दे कि इन दिनों गरियाबंद जिले की कई ग्राम पंचायतों में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जमकर भ्रष्ट्राचार हो रहा है,भ्रष्ट्राचार के मामलों में अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही हैं।कर्मचारियों की बेफिक्री का आलम यह है कि बगैर काम किए ही लाखों रुपए फर्जी तरीके से निकाले जा रहे हैं। यहां तक की कई ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्मों के नाम से बिल लगाकर सरकारी राशि का गोलमाल किया जा रहा हैं।तो कई सरपंचों ने अपने बेटे या भाई के नाम से जीएसटी नम्वर लेकर फर्जी बिल बाउचर लगाकर शासन की राशि को लूटने से बाज नही आ रहें हैं।अधिकांश मामलों की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना भ्रष्ट्राचार को एक गोरखधंधे का रूप देखा जा रहा है।चारो तरफ भ्रस्ट्रासुरों का बोल बाला हैं।और अधिकारी मूक दर्शक बनकर बैठे हैं। जिससे ग्राम पंचायतों का विकास रूका हुआ है,ग्राम की बदबू मार रही सड़कें व नालियां भ्रष्ट्राचार की पोल खोल रही है,ग्रामीणों की शिकायतों के बावजूद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।अब देखना होगा कि ग्राम पंचायत चिचिया में हुए भ्रस्टाचार की जांच के बाद क्या?सचिव के साथ मिलकर लाखों रुपये की नगद राशि आहरण राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सरपंच राजकुमार प्रधान पर छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 धारा 40(1)(क)(ख)तहत कार्यवाही की जायेगी या मामला वर्षो तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहेगा?तो वंही दूसरी ओर सचिव के द्वारा छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत(लेखा)नियम1999 के निहित प्रावधानो के विपरीत नगद आहरण किया गया हैं जिस पर छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील)नियम 1999 भाग तीन नियम 5(छ) के तहत भी कार्यवाही की जाएगी या मामला दबा दिया जायेगा?