छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा नहीं बल्कि कमाई का बना जरिया – ओम प्रकाश बंछोर

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा या गंदगी नहीं बल्कि कमाई का जरिया बन चुका है। प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना गोधन न्याय योजना गौपालको एवं किसानों के लिए गेमजेजर साबित हो रही है। यहां के किसान गोबर बेचकर सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अब गोबर बेचकर किसी ने पढ़ाई के लिए लैपटॉप खरीदा किसी ने खेती-बाड़ी के लिए पैसे जुटाए हैं तो किसी ने जमीन खरीदने का सपना पूरा किया। इसी क्रम में गोबर न्याय योजना से फिंगेश्वर नगर के चुकन सुखराम यादव परिवार के जीवन शैली में भी बदलाव आया। श्री यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना शुरू होने से पहले घर के मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब किताब नहीं था। ना ही गोबर एकत्र करने में कोई खास रूचि थी। गोबर को सिर्फ घूरवा में डाल दिया जाता था। मगर गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने से मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ा है। अब वे गोबर गठान में नियमित रूप से बेच रहे हैं। और 15 दिवस के भीतर उनके बैंक खाते में पैसे भी आ रहे हैं जिससे उनकी आमदनी अच्छी हो रही है एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। गोबर बेचकर उस राशि से जमीन खरीदने के सपने को पूरा कर लिया अब उनकी खुद की जमीन हो गई है। नगर पंचायत फिंगेश्वर के एल्डरमैन ओम प्रकाश बंछोर ने कहा कि लाखों किसानों की आजीविका का साधन बना गोधन न्याय योजना प्रदेश में गोधन न्याय योजना से 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है। 17 हजार 834 स्व सहायता समूहों को 2 लाख 9हजार 750 सदस्यों को इस योजना से आजीविका मिल रही है। इस योजना ने माताओं और बहनों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर उनका आत्मविश्वास मजबूत किया है। श्री बंछोर ने कहा कि प्रदेश में 263 गौठनों को निर्माण पूरा हो चुका है। याने 99.38% गोठानो का निर्माण कर लिया है। गौठानो द्वारा स्वयं की राशि से गोबर खरीदी की जा रही है अभी तक 5 हजार 960 स्वावलंबी गौठनों द्वारा 66 करोड़ 96 लाख रुपये के गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोधन न्याय में अभी तक कुल 125.54 लाख किंवटल गोबर की खरीदी की गई है। इसकी एवज में 251 करोड़ का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है गोबर अब गौपालको को आमदनी का जरिया बनता जा रहा है।

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