
पुलिस एवं डीआरजी गुण्डों ने जनता पर की गई अंधाधुंध फायरिंग, गिरफ्तार, मारपीट, लूटपाट को कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करे !
रायपुर । ऑपरेशन कगार के अंतर्गत केन्द्रीय अर्ध सैनिक बल, जिला पुलिस एवं डीआरजी गुण्डों द्वारा संयुक्त रूप से बीते 3 मई, 2024 को सुकमा जिले के जगरगोण्डा, चिंतलनार थाना इलाकों के रायगुड़ा, चिन्ना बोडकेल, पेद्दा बोडकेल, तुम्मलपाड़, सुरपनगुड़ा, तिम्मापुरम, जोन्नागुड़ा और अलिगुड़ा गांवों पर रातों-रात हमला किया गया है. चिन्ना बोड़केल, रायगुड़ा के पास जनता के ऊपर एकतरफा अंधाधुंध फायरिंग किया जिसमें एक ग्रामीण को हाथ में गोली लगने से घायल हुआ. पुलिस बलों ने नक्सलियों के साथ मुठभेड़ होने का दावा किया था हालंकि यह सरासर झूठ है, उस वक्त वहां कोई पीएलजीए दस्ता मौजूद नहीं था. इन गांवों से लगभग 47 से अधिक साधारण खेती किसानी करने वाले ग्रामीण जो कि पार्टी से कोई संबंध नहीं है को गिरफ्तार करके सुकमा ले गये. रायगुडा के निर्दोष माड़वी बुधरी, मडकाम दामा, जोगी, कोसी, जोगा को बेदम पीटा गया. महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ की गई. गांव चिन्ना बोड़केल में बीज पंडुम मना रहे जनता पर फायरिंग किये और दौड़ा-दौड़ा के 25 लोगों को पकड़ कर ले गए. तुम्माल गांव के 12. पेद्दा बोड़केल गांव के 2 और रायगुड़ा गांव के 5 वहीं 3 अन्य लोग जो तेलंगाना से रायगुड़ा अपने रिश्तेदारों के यहां आये थे को भी पुलिस व डीआरजी गुण्डें गिरफ्तार करके अपने साथ ले गये. 78 घंटें बीत जाने के बाद भी इन सभी का कोई पता नहीं है. ऐसे में अपनों को लेकर बीवी-बच्चें, परिजन रिश्तेदार सब चिंतित है कि कहीं इन्हें मुठभेड़ के नाम से हत्या या फर्जी गिरफ्तारी तो न करें. पुलिस-प्रशासन उन्हें हिरासत में रखकर कड़ी पूछताछ तथा यातनाएं दे रहा है. अब काफी ज्यादा संभावना तो है ही कि पुलिस उन्हें अगले दिनों में फर्जी मुकदमा लगाकर जेल में ठूंस देगी या फिर फर्जी आत्मसमर्पण दिखाएगी. इस दौरान गांवों में पुलिस द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया. कई घरों के दरवाजा तोड़फोड़ कर घर-सम्पत्ति लूटा गया. रायगुड़ा के माड़वी मुया के 18000, माड़वी नरसा के 50000 रुपया लूट लिया है. हालंकि यह आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता, हमें प्राप्त कुछ ही आंकड़ा यहां लिखें हैं. घरों से दारू, अण्डा, सूखी मछली, कपडा लता, तीर-धनुष, चाकु आदि लूट कर ले गये. धान, दाल, चावल, खाना, बर्तन आदि घरों से बाहर फेंक दिये. गांवों पर आधी रात को हमले, पुलिस व डीआरजी की गुण्डागर्दी के कारण लोग दहशत के माहौल में जी रहे हैं. दो दिन तेन्दुपत्ता संग्रहण नही कर पाये है. रोज सुबह उठकर अपनी खेत-खलिहानों, वनोपज संग्रहण करने जाने के लिए डर रहे हैं. वनोपज, तेन्दुपत्ता संग्रहण में भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. लोग एक गांव से दूसरे गांव या शहरों में हाट बाजारों में खरीदारी के लिए; सगे-संबंधियों से मिलने जाने, शादी, त्यौहारों आदि में शामिल होने नहीं जा पा रहे हैं. जनता पर जारी जमीनी, रॉकेट, हवाई हमलों के खिलाफ आवाज बुलंद करें. पुलिस व डीआरजी गुण्डों द्वारा जनता के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग, अवैध गिरफ्तारियां, मारपीट, लूटपाट, महिलाओं पर अत्याचार जैसे घोर व कायराना हरकतों की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करें. जल जंगल जमीन, इज्जत अधिकार के लिए और आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता, आत्मसम्मान को बचाने के लिए जारी जनआंदोलनों के समर्थन में आगे आवें. कॉर्पोरेटीकरण, सैनिकीकरण तथा कगार दमन को प्रतिरोध करें.
