
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। ग्राम बिड़ोरा के बाद आज गुरूवार 30 मई को ग्राम पंचायत रोबा में भी ग्रामीणों ने मनरेगा काम में कम मजदूरी का आंकलन रोजगार सहायक द्वारा किए जाने के विरोध में कार्यस्थल में ही जमकर नारेबाजी एवं विरोध प्रदर्शन करते हुए मनरेगा सहायक पर कार्यवाही की मांग करते हुए उसे हटाने जोरदार प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि ग्राम के 10 परिवारों को मनरेगा में काम नहीं दिया जा रहा है। मनरेगा में जितना काम उतनी मजदूरी दिए जाने का आंकलन होता है। जबकि ग्रामीण समझते है कि उन्होने जितने दिन काम किया है, उन्हें उतने दिन की रोजी मिलें। इन दिनों अनेक पंचायतों में चल रहे मनरेगा काम में सबसे बड़ी यही कारण है कि रोजगार सहायक काम एवं गोदी आदि निर्धारित मापदंड पर मजदूर की मजदूरी बनाते है जो कम होना स्वाभाविक है। इसमें ग्रामीणों का गुस्सा फुटता है। और ग्रामीण अपनी पूरी मजदूरी की मांग करते हुए धरना, प्रदर्शन, विरोध करने लगते है। ग्रामीणों का कहना है कि जब हम काम करने जाते है तो रोजगार सहायक हमारी हाजिरी लगाते है। फिर हमें कम मजदूरी कैसे मिलती है। इस पर रोजगार सहायक का कहना होता है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी में काम करने आया इसकी हाजिरी प्रतिदिन ली जाती है। जबकि उसके द्वारा किए गए कार्य का मूल्यांकन किए जाने के बाद जितना काम-उतनी मजदूरी के हिसाब से उस ग्रामीण की मजदूरी बनती है। शासन द्वारा मनरेगा में प्रतिदिन मजदूरी तो निर्धारित है साथ ही प्रतिदिन मजदूर को कितने काम करने में पूरी मजदूरी मिलेगी इसका भी निर्धारण किया गया है। ग्रामीण अपने काम में आने की तो गणना कर लेते है परंतु उनके द्वारा किए गए काम का में अक्सर यही झगड़ा सामने आता है। इसके निराकरण के लिए मजदूर द्वारा किए गए काम की गणना उसी समय मजदूर के सामने की जावें तो इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। ग्राम पंचायत रोबा में आज मनरेगा अधिकारी कार्य स्थल में पहुंचकर मजदूर ग्रामीणों को यही समझाने का प्रयास कर रहे है। अधिकारियों ने बताया कि कई ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायक ग्रामीणों पंचायत प्रतिनिधियों के दबाव में मजदूरों के पक्ष में मूल्यांकन करने का मामला भी सामने आया है। बाद में उच्चाधिकारियों द्वारा मूल्यांकन की जांच करने पर कम काम हुआ पाए जाने पर कई मनरेगा रोजगार सहायकों को हजारों रूपए अपनी वेतन से कटवाना पड़ा है। इस कारण रोजगार सहायकों द्वारा काम के हिसाब से मूल्यांकन किया जाता है और मजदूरों की कम मजदूरी बनती है तो ग्रामीण चिढ़ जाते है और प्रदर्शन, आंदोलन करते है। ग्राम पंचायत रोबा में भी ठीक यही स्थिति के कारण विवाद हो गया है। मनरेगा के उच्चाधिकारियों से मनरेगा कार्यो में इस प्रकार के होने वाले विवादों के बारे में संज्ञान लेकर मजदूरों एवं कर्मचारियों के मध्य उपस्थित होने वाले विवादों का स्थायी समाधान करने के बारे में मनरेगा कर्मचारियों ने अपील की है।