
फिंगेश्वरः-आषाढ़ मास धर्म-कर्म के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस महीने से चातुर्मास शुरू होते है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु का विश्राम शुरू हो जाता है और 4 महीने तक भगवान योगनिद्रा में चले जाते है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कार्य नहीं होते है। हालांकि, बहुत जरूरी होने पर शुभ दिन और तिथि देखकर काम किया जा सकता है। देवशयनी एकादशी से 2 दिन पहले आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी तक आखिरी मुहूर्त रहता है। इस वर्ष 16 जुलाई को नवमी तिथि रहेगी और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। देवशयनी एकादशी की तिथि 16 जुलाई को शाम 5ः05 बजे से शुरू होकर 17 जुलाई को शाम 5ः42 बजे समाप्त होगी। इसी दिन से चातुर्मास की शुरूआत हो जाएगी और चातुर्मास 2 नवंबर को समाप्त होगा। पंडित जी बताते है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए सो जाते है। भगवान 4 महीने बाद देवउठनी एकादशी को उठते है। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन चातुर्मास की शुरूआत होगी। दिनेश शर्मा ने कहा कि चातुर्मास का समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा। इस दिन भगवान शयन से उठेंगे। इस बार चातुर्मास 118 दिन का रहेगा, जबकि पिछले साल चातुर्मास 148 दिन का रहा था। पिछले साल चातुर्मास के दौरान मलमास पड़ने से 30 दिन अधिक रहा था। चातुर्मास तो 12 नवंबर को खत्म हो जाएगा, लेकिन विवाह के मुहूर्त के लिए इसके बाद भी 4 दिन इंतजार करना होगा। पंडित के अनुसार 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के बाद विवाह का मुहूर्त बन रहा है। 16 नवंबर से विवाह के मुहूर्त आरंभ होंगे। 16 नवंबर से 28 नवंबर के बीच 8 दिन विवाह के अच्छे मुहूर्त है। वहीं दिसंबर में 7 दिन विवाह का लग्न 15 तारीख तक है।