
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। देवशयनी एकादशी से जगत के पालनहार श्री हरि 4 महीने की योग निद्रा में चले गए है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में संहारकर्ता यानी भगवान शिव इस सृष्टि का संचालन करते है। चातुर्मास लगने के साथ ही विवाह समेत सभी शुभ कार्यो पर चार महीने का प्रतिबंध लग गया है। अब सभी शुभ काम देवउठनी एकादशी के बाद ही होंगे। नगर के पंडित दिनेश शर्मा ने अनुसार देवशयनी एकादशी से प्रभु श्रीहरि योग निद्रा में चले जाते है। और वे 4 माह तक निद्रा में रहते है। अब कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागेंगे। इस चार माह की अवधि में मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित माने जाते है। इस समय दुनिया का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। आषाढ़ से शुरू होकर सावन, अश्विन और कार्तिक माह तक चलने वाले चातुर्मास में कुछ कार्य नहीं करने चाहिए। चातुर्मास में भगवान विष्णु के निद्रावस्था में रहने के कारण मांगलिक कार्य वर्जित होते है। इस समय शादी विवाह के मुहूर्त नहीं होते। कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी पर प्रभु के जागने के बाद मांगलिक कार्य शुरू होते है। चातुर्मास के चार माह के दौरान भूमिपूजन, मुंडन संस्कार, तिलक समारोह, गृहप्रवेश, नामकरण जैसे संस्कार भी नहीं होते है। इस समय मांगलिक कार्य और शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, ऐसा माना जाता है। लोग मान्यता अनुसार ऐसे समय में कार्य नहीं भी करते है। माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान कोई नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। इस समय दुकान खोलना, कारोबार शुरू करना शुभ नहीं होता। इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन से परहेज करना चाहिए। अब दीपावली के बाद इस वर्ष माह नवंबर में 22, 23, 24, 25, 26 तथा माह दिसंबर में 2, 3, 4, 5, 9, 10, 11, 12, 13, 15 को शुभ कार्यो का शुभारंभ हो जावेगा।