रक्षाबंधन का पर्व आज,बाजार रहा गुलजार

गरियाबंद/छुरा/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। आज श्रावण पूर्णिमा सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।इस बार भद्रा का साया तो दोपहर 1.31 बजे तक रहेगा।इसके बाद दिनभर राखी बांधी जा सकेगी।रक्षाबंधन को लेकर शहर में राखी बाजार सजने लगा है। पंडित चुडामणी तिवारी ने बताया कि भद्रा का वास पाताल लोक में होने से यह अशुभ नहीं होता है, इस दिन से पंचक भी लग रहा है।

19 अगस्त को सुबह श्रवण नक्षत्र के बाद धनिष्ठा नक्षत्र लगने के कारण यह राज पंचक होगा और इसे अशुभ नहीं माना जाता है। भद्रा काल में उपाकर्म किया जा सकता है इस पर रोक नहीं रहती। इस दिन ऋग्वेदी, यजुर्वेदी ब्राह्मण उपाचार्म करेंगे। दोपहर 1 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। इस दिन श्रवण नक्षत्र, पूर्णिमा और सोमवार होने से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है साथ ही व्रत की पूर्णिमा भी इसी दिन रहेगी।

भद्रा काल में रहने से शोभन योग नहीं रहेगा प्रभावी

ज्योतिषियों के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र, पूर्णिमा और सोमवार होने से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।साथ ही व्रत की पूर्णिमा भी इसी दिन की महत्ता और बढ़ाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग भी रहेंगे। यह योग भद्रा काल में होने से अधिक प्रभावी नहीं रहेंगे। सर्वार्थ सिद्धि व रचि योग सुबह 5.53 से 8.10 बजे तक रहेगा। रक्षा बंधन का मुहूर्त दोपहर 2.06 से रात 8.09 तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा|

भाई बहन के प्रेम का पवित्र पर्व रक्षाबंधन को लेकर फिंगेश्वर का समूचा बाजार एक बार फिर गुलजार हो गया है।शहर सहित आस-पास ग्राम्यांचल में लगभग छोटी-बड़ी दो सौ से अधिक दुकानों में तरह-तरह की राखियों का विक्रय भंडार लगा हुआ है।रक्षा बंधन पर्व को लेकर ज्यादातर माता,बहनें राखी खरीदने बाजार की ओर निकल पड़ी हैं जिसमें शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र की युवती व महिलायें भी शामिल हैं|

राखी विक्रेताओं के पास 1 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के अलग- अलग किस्म की राखियां उपलब्ध है जिसमें कई प्रकार के मनभावन डिजाईन वाले राखी लेने लोग अब उमड़ पड़े हैं सोने एवं चाँदी की राखियां भी बाजार में उपलब्ध है वैसे तो ज्यादातर बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधने उनके घरों तक पहुंचने का प्रयास करती हैं लेकिन दूर दराज में रहने वाले भाई बहनों के बीच रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार में कुछ बहनें अत्याधिक दूरी के चलते अपने भाई के निवास स्थान तक नहीं पहुंच पाती हैं, ऐसी बहनें एक सप्ताह पहले से विभिन्न कोरियर एवं डाक पार्सल के माध्यम से राखी भेज चुकी हैं|

शनिदेव की बहन हैं भद्रा इसलिए उनका निषेध

तिथि, वार, योग, करण और नक्षत्र मिलकर पंचांग बनाया जाता है। विष्टिकरण को ही भद्रा कहते हैं इसे शनिदेव की बहन भी कहा गया है इसलिए रक्षाबंधन और होलिका दहन भद्रा में हो तो उसका निषेध माना गया है।

पापों के प्रायश्चित को ब्राह्मण करेंगे श्रावणी उपाकर्म

इसी दिन ब्राह्मण वर्ग वर्ष पर्यंत किए गए पापों की प्रायश्चित के लिए दशविध स्नान, नूतन यज्ञोपवीत धारण और श्रावणी कर्म करेंगे। इस दिन सिर्फ बहने ही नहीं अपितु गुरु, शिष्य भी परस्पर रक्षा के भाव से रक्षा सूत्र का बंधन करते हैं।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *