राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रक्षेपित हुआ चंद्रयान-3 मॉडल

श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं हलषष्ठी पर्व पर आयोजित हुई विविध गतिविधिया

छुरा (गंगा प्रकाश)। आदर्श पूर्व माध्यमिक शाला छुरा में चंद्रयान-3 मिशन की अद्वितीय सफलता के एक वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मॉडल निर्माण, क्विज प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, भाषण, कविता एवं रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। चंद्रयान 3, भारत का महत्वाकांक्षी एवं सफल चंद्र मिशन है। चंद्रयान 3, दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का सफल प्रयास है। चंद्रमा के इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत एकमात्र देश है। बच्चों को इस ऐतिहासिक तकनीकी सफलता की गौरव गाथा को अवगत कराने, वैज्ञानिक सोच एवं सृजनशीलता को बढ़ावा देने के लिए विविध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विज्ञान के विशेषज्ञ शिक्षक मुरारी राम देवांगन ने बताया कि चंद्रयान 3 मिशन ने शिव शक्ति बिंदु पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की और 23 अगस्त को प्रज्ञान रोवर को चंद्र सतह पर तैनात किया। देवांगन ने चंद्रयान 3 संबंधित तकनीकी अवधारणाओं को चलित मॉडल द्वारा समझाया। बड़ी संख्या में बच्चों ने क्विज प्रतियोगिता में भाग लेकर डिजिटल प्रमाण पत्र अर्जित किया। आकांक्षा, क्षमा, निमिषा, हेमप्रभा, पंकज ने भाषण प्रस्तुत किया। लवकुमार, भावना, कोमेश्वरी,  भूमिका, लकेश्वरी ने चित्रकला द्वारा चंद्रयान 3 की सफलता का प्रदर्शन किया। चिराग, लक्की, लाकेश, हेमराज, सौरभ, अर्जुन, फाल्गुनी, मानसी द्वारा मॉडल की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रोजेक्टर द्वारा भी सफल लैंडिंग को दिखाया गया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एवं हलषष्ठी पर्व पर दही लूट, मटका फोड़, कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता आयोजित किया गया। ग्वालबाल की टोलियों द्वारा दोहा गाते हुए राऊत नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी गई। प्रधान पाठक निर्भय राम ठाकुर ने हलषष्ठी एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की गाथा पर प्रकाश डाला। ठाकुर ने श्री कृष्ण जी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। संचालन करते हुए शिक्षक अर्जुन धनंजय सिन्हा ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एवं प्रकृति पूजा के पर्व हलषष्ठी से जुड़े महत्वपूर्ण व रोचक तथ्यों को बताया। बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक मदन लाल सेन, उमेश कुमार ढीढी, चंद्रभूषण निषाद, सुशील कुमार पांडे, स्टाफ पीली बाई, कविता, रुक्मणी, प्रोतिमा, बाल संसद के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित थे।

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