भगवान कृष्ण की तरह अपने बच्चो को बनाएं – डा. बी. के. मल्लिक

डा .बी. के. मल्लिक वरिष्ठ लेखक

 कल श्री कृष्ण जन्माष्टमी था कई लोग अपने बच्चों को श्री कृष्ण रूप में फोटो को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर शेयर किया था।  यह बहुत ही अच्छी बात है और सभी को अच्छा लगना चाहिए, लेकिन जरूरत है अपने बच्चों को अच्छे संस्कार की देने की। आज के समय में सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं, बड़े से बड़े स्कूल में दाखिला देना चाहते हैं और  लेकिन बच्चों को अच्छा संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। आइए मैं बता रहा हूं कि अपने बच्चों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में क्या-क्या सिखाया जाए।

अपने बच्चों को सिखाएं कि भगवान कृष्ण ने किस प्रकार द्रोपदी का चीर हरण उसे बचाया था। हर एक लड़की हमारी बहन जैसी है और हर एक बुजुर्ग हमारे माता-पिता के समान है उनका ख्याल करना हमारा धर्म है। अगर हमारे किसी बहन बेटी या बुजुर्ग पर कोई अत्याचार करता है तो हमें उसका विरोध करना चाहिए। यही कृष्ण ने हमें शिक्षा दिया था।

उसे यह भी सिखाएं कि श्री कृष्ण ने किस तरह अर्जुन को ज्ञान दिया जो आज संपूर्ण विश्व में उसको मार्गदर्शन के रूप में देखा जाता है। उन्होंने उपदेश दिया कि सत्य के मार्ग के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उन्हें यह भी सीखाने जरूरत  कि न्याय के मार्ग पर चलने के लिए अपना पराया कोई नहीं होता है हमेशा न्याय सत्य होता है। अर्जुन ने अपने प्राण से प्यारा भीष्म पितामह से इसलिए युद्ध किया की कोई भी व्यक्ति के मार्ग पर नहीं चलकर अन्याय का साथ दे तो उसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। 

बच्चों को यह भी सीखाये है कि लोक कल्याण के लिए  श्री कृष्ण ने किस प्रकार मथुरा का राज त्याग कर द्वारकापुरी चले गए। लोगों की भलाई के लिए अपना सुख भी त्याग करना पड़ता है यही श्री कृष्ण का उपदेश रहा है। आप जिस समाज गांव प्रदेश एवं राष्ट्र से हैं उसके बारे में यह भी सोचिए कि यह राष्ट्र मेरा घर है और इसके भलाई के बारे में हम ही सोच सकते हैं। आदमी धन तो कमाता है लेकिन धर्म भूल जाता है इसलिए आप अगर बड़े आदमी बनेंगे तो अपने परिवार एवं समाज, गांव एवं राष्ट्र के बारे में अपना कर्तव्य निभाएं। जिसने आपको इस योग्य बनाया है।

 कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अंतिम 

विकल्प के रूप में स्वयं महाराज धृतराष्ट्र के पास जाकर शांति का  दूत बनकर गया था। उन्हें किसी के यहां आने-जाने में बड़े छोटे में कोई भेदभाव नहीं था। वे हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर संपूर्ण विश्व को संदेश दिया कि सत्य ही सनातन है।

  आज कल हमारे संस्कृति के ऊपर पश्चिमी सभ्यता हावी हो रहा है। इसलिए अपने बच्चो को अच्छा शिक्षा के साथ साथ अच्छा संस्कार दे। बच्चो को साल दो साल पर अपना जन्मभूमि अवश्य दिखाए। जिससे उसके मन में अपने समाज, गांव एवं राष्ट्र के प्रति कुछ करने की प्रेरणा मिले। अगर आपको अच्छा लगे तो दूसरे को जरूर बताएं।

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