छत्तीसगढ़ की अपनी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे देशभर में पहचान-बोधन राम साहू

फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। 1 नवंबर छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस की प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस पर भाजपा किसान नेता एवं राजिम भक्तिन मंदिर के उपाध्यक्ष बोधनराम साहू ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस हमारे प्रदेश की संस्कृति, समृद्धि और विकास के संकल्प को एक नई दिशा देने का अवसर है। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन मध्यप्रदेश से अलग कर किया गया था। छत्तीसगढ़ ने 24 सालों का सफर पूरा कर लिया है छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे देशभर में जाना जाता है। राज्य के गठन के समय यहां 16 जिले थे, इन जिलों की 97 तहसीलें अस्तित्व में आई। आज प्रदेश में जिलों की संख्या 33 हो गई है। श्री साहू ने कहा कि प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था। छत्तीसगढ़ का अर्थ है रियासतों की जमींदारी एक समय यहां 36 गढ़ हुआ करते थे, जिसकी वजह से नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। आधिकारिक दस्तावेजों में साल 1795 में छत्तीसगढ़ का पहली बार जिक्र किया गया था। छत्तीसगढ़ में आदिवासी जनसंख्या का प्रतिशत 33.6 है, यह भारत में आदिवासी जनसंख्या के मामले में दूसरे में दूसरे नंबर पर है, छत्तीसगढ़ में गोंड, मुरिया, बैगा, सहरिया, कंवर, उरांव, मुंडा, नगेसिया, कोरवा, भूइंहर रहते है, यहां अलग-अलग जनजातियों के द्वारा अलग-अलग त्योहार मनाया जाता है, जिसमें बस्तर दशहरा, बस्तर लोकोत्सव, राजिम कुंभ मेला, कोरिया मेला, फागुन मड़ई, मड़ई महोत्सव, पोला पर्व, दियारी, पोलिया महोत्सव, महुआ त्यौहार, केशरपाल जैसे त्यौहार शामिल है।

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