
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर (गंगा प्रकाश)। ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज राष्ट्रोत्कर्ष अभियान अंतर्गत राष्ट्रव्यापी प्रवास पर सनातन मान बिन्दुओं की रक्षा के प्रति आमजन को सचेत करते रहते हैं। प्रात: और सायं कालीन सत्रों में धर्म , राष्ट्र और ईश्वर से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं। उनका संदेश है कि धार्मिक क्षेत्रों में शासक वर्ग को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये। वर्तमान में पुरी शंकराचार्यजी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर प्रवास पर हैं। यहां रावाभांठा स्थित श्री सुदर्शन संस्थानम , शंकराचार्य आश्रम में आयोजित गोष्ठी में आज नकली शंकराचार्य प्रकरण में उन्होने कहा कि नरसिम्हा रावजी के प्रधानमंत्रित्व काल में रामालय ट्रस्ट पर सहमति हेतु हस्ताक्षर नहीं करने पर एक आतंकवादी और अराजक तत्व को पुरी पीठ के शंकराचार्य के रूप में प्रतिष्ठित किया गया और वो परंपरा बाद के शासकों ने भी जारी रखा तथा वर्तमान में भी मोदीजी और योगीजी द्वारा उस आतंकवादी व्यक्ति को पुरी के शंकराचार्य के रूप में प्रतिष्ठित कर कुंभ क्षेत्र में स्थान आबंटित किया जा रहा है। अंग्रेजों और मुगलों के शासनकाल में भी नकली शंकराचार्य नहीं बनाये गये पर यह विडंबना है कि मान्य शंकराचार्य की उपेक्षा कर नकली शंकराचार्य को महिमा मण्डित किया जा रहा है , क्योंकि मैं शासनतंत्र के कार्य मे हां में हां नहीं मिलाता तथा वेद सम्मत कार्य न होने पर स्वस्थ आलोचना के रुप में शासनतंत्र को सचेत करता हूं। मेरे द्वारा रचित गणित के सिद्धान्तों को पूरे विश्व में मान्यता मिल रही है सिर्फ भारत के शासकों को छोड़कर। शासकतंत्र को ये चेतावनी है कि हमारे पास गुरु , गोविंद और ग्रंथ का बल है , हमारी उपेक्षा करने पर प्रकृति जो ईश्वर के परिकर हैं उन्हें अवश्य दंड देंगे। गौरतलब है कि रायपुर में आयोजित कार्यकम की समाप्ति के पश्चात महाराजश्री मकर संक्रांति पर गंगासागर और उसके बाद प्रयागराज कुंभ के अवसर पर दिनांक 16 जनवरी से 06 फरवरी 2025 तक शिविर में उपलब्ध रहकर दर्शनलाभ एवं आध्यात्मिक संदेश प्रदान करेंगे। धर्मसंघ पीठ परिषद् आदित्य वाहिनी – आनन्दवाहिनी संगठन ने इस अवसर पर कुंभ क्षेत्र में पुरी शंकराचार्यजी के शिविर में उपस्थित रहकर दर्शनलाभ लेने की अपील की है।