25 साल सेवा के बावजूद वेतन से वंचित, पिता की मौत और बैंक की नोटिस से परेशान कर्मचारी ने मांगी इच्छा मृत्यु

 25 साल सेवा के बावजूद वेतन से वंचित, पिता की मौत और बैंक की नोटिस से परेशान कर्मचारी ने मांगी इच्छा मृत्यु

 

रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। किरोड़ीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (केआईटी) रायगढ़ के कर्मचारी अजीम बक्श (48) ने 25 वर्षों की सेवा के बावजूद वेतन न मिलने और गंभीर आर्थिक तंगी के चलते महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। जिलाधीश को सौंपे गए ज्ञापन में उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे 32 वर्षों से वेतन जैसी बुनियादी जरूरत से वंचित हैं। इस कारण उनका परिवार आर्थिक संकट में है, और उपचार के अभाव में उन्होंने अपने पिता को खो दिया।

पिता की मौत और आर्थिक तंगी से जूझता परिवार : अजीम बक्श ने बताया कि वेतन न मिलने के कारण उन्हें घर चलाने में कठिनाई हो रही है। बैंक से लिए गए गृह निर्माण लोन का किस्त नहीं चुका पाने के कारण बैंक ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है। इससे उनका मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वेतन न मिलने की वजह से उनके पिता का इलाज नहीं हो सका और उनकी मृत्यु हो गई।

 

प्राचार्य और सचिव पर गंभीर आरोप : अजीम बक्श ने केआईटी कॉलेज के प्राचार्य गजेंद्र कुमार अग्रवाल और सचिव किरोड़ीमल पॉलिटेक्निक सोसायटी पर वेतन रोकने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ जूटमिल थाने में शिकायत दर्ज कराई है। बावजूद इसके, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

 

कर्मचारियों का आंदोलन और कानूनी लड़ाई : अजीम बक्श सहित केआईटी के अन्य कर्मचारियों ने वेतन न मिलने पर सिविल न्यायालय में मामला दायर किया है, जो अभी लंबित है। पिछले ढाई महीनों में कर्मचारियों ने भूख हड़ताल, अनशन और शिक्षा मंत्री के गांव तक 25 किलोमीटर की पदयात्रा जैसे कई आंदोलन किए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।

 

इच्छा मृत्यु की विवशता : अजीम बक्श ने कहा कि वे बार-बार प्रशासन और सरकार से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। इस दौरान उन्होंने अपने पिता को खो दिया और अब उनके परिवार के लिए जीवन-यापन असंभव हो गया है। वेतन न मिलने की इस स्थिति में वे इच्छा मृत्यु के सिवाय कोई और रास्ता नहीं देखते।

 

प्रशासन से त्वरित हस्तक्षेप की मांग : यह मामला न केवल अजीम बक्श बल्कि अन्य कर्मचारियों की दुर्दशा को उजागर करता है। प्रशासन और सरकार को इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप कर वेतन जारी करने और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। अगर समय रहते समाधान नहीं निकला, तो यह मानवता के लिए एक गंभीर विफलता होगी।

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