जीवन जीने की कला सिखाती है योग – शंकर यदु

जीवन जीने की कला सिखाती है योग – शंकर यदु

 

वात, पित्त, कफ को संतुलित दूर करता है यज्ञ चिकित्सा

 

छुरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ शासन आयुष मंत्रालय के मार्गदर्शन में आयुष्मान आरोग्य मंदिर खडमा के द्वारा पांच दिवसीय निःशुल्क योग शिविर आयुर्वेद ग्राम मडेली में आयोजित हुआ। जिला आयुष अधिकारी डॉ. निकिता ध्रुव के कुशल निर्देशन और आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद ठाकुर के मार्गदर्शन में ग्रामवासियों ने जीवन जीने की कला सीखी। पतंजलि योग समिति जिला सोशल मीडिया प्रभारी पोखन ठाकुर ने पांच दिनों तक अष्टांग योग की बारीकियों से अवगत कराया। यौगिक जॉगिंग, जुम्बा, एरोबिक्स, स्थूल और सूक्ष्म व्यायाम का नियमित अभ्यास कराया। ठाकुर ने लोगों को नियमित योग करने हेतु प्रेरित किए। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी विनोद ठाकुर ने ग्रामवासियों को योग को जीवन में उतारने के लिए जागरूक किए। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद ठाकुर, डॉ. ऐश्वर्य साहू, डॉ. प्रीति साहू द्वारा अंचलवासियों को शिविरों के माध्यम से योग, आयुर्वेद को अपनाने हेतु नियमित रूप से प्रेरित करते रहें हैं। आयुर्वेद चिकित्सा से सभी बीमारी को जड़ से ठीक किया जा सकता है। छत्तीसगढ योग आयोग के मास्टर ट्रेनर्स शंकर लाल यदु, हेमलाल पटेल एवं पतंजलि योग समिति जिलाध्यक्ष अर्जुन धनंजय सिन्हा द्वारा शिविर में विशेष रूप से उपस्थित होकर आसन, प्राणायाम की बारीकियों से अवगत कराया गया। योगाचार्य शंकर लाल यदु ने योगाभ्यास कराते हुए कहा कि बदलते मौसम के कारण होने वाले सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत रहती है। परीक्षा नजदीक होने के कारण देर रात तक पढ़ाई करने से बच्चों की नींद पूरी न होने से सिरदर्द हो सकता है। इन सारी समस्याओं से निजात दिलाने एवं परीक्षा में सफल होने के लिए योग एक वरदान है। यज्ञाचार्य हेमलाल पटेल ने कहा कि अपने व्यस्त समय में से थोड़ा सा समय निकालकर प्राणायाम करने से तनावमुक्त रह सकते हैं। परीक्षा के समय में रोजाना सुबह उठकर हवादार जगह में आसन बिछाकर सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं और प्राणायाम करें। कपालभाति को तीन से पांच मिनट तक अवश्य करें जिससे हाजमा दुरुस्त होगा और पेट ठीक रहेगा। पतंजलि योग समिति जिलाध्यक्ष योगविद् अर्जुन धनंजय सिन्हा ने मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार कराते हुए कहा कि सूर्य नमस्कार से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है। शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहेगा बीमारियों से भी बचाएगा। वायु मुद्रा में अनुलोम विलोम के पांच मिनट अभ्यास से वातजनित रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। रक्त संचार उत्तम होगा, मन शांत रहेगा, एकाग्रता बढ़ेगी और मौसमी बीमारी छू भी नहीं पाएगी। सिन्हा ने आगे कहा कि भ्रामरी, उद्गित और प्रणव प्राणायाम से स्नायुतंत्र मजबूत होगा, याददाश्त बढ़ेगा और पूरे समय ऊर्जा बनी रहेगी। अग्निहोत्र महिमा बताते हुए सिन्हा ने कहा कि अक्षांश और देशांतर के अनुरुप अलग अलग जगह के मुताबिक निर्धारित समय में सुबह और शाम नियमित अग्निहोत्र से सारे क्लेश, बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा दूर होता है। अग्निहोत्र के साथ प्राणायाम करने से दुगुना लाभ मिलता है। औषधियुक्त हवन सामग्री से यज्ञ करने वात, पित्त, कफ से निजात पा सकते हैं। अनुसंधान के मुताबिक यज्ञ चिकित्सा असाध्य रोगों को पूरी तरह से ठीक करने में विशेष रूप से कारगर साबित हुआ है। यज्ञ चिकित्सा हमारे प्राण ऊर्जा को जागृत कर निरोगी काया प्रदान करता है। योग, यज्ञ, आयुर्वेद हमारी प्राचीन संस्कृति है। हमें हमारी संस्कृति की वैज्ञानिकता को समझना होगा और अपनाना होगा। योग, शिक्षा, स्काउटिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में पुरस्कृत होने पर योगविद् अर्जुन धनंजय सिन्हा को सम्मानित भी किया गया।

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