लोकतंत्र के प्रति अटूट विश्वास: बुजुर्ग दंपति का अद्भुत जज़्बा, मतदान को बनाया परिवार की परंपरा!”

लोकतंत्र के प्रति अटूट विश्वास: बुजुर्ग दंपति का अद्भुत जज़्बा, मतदान को बनाया परिवार की परंपरा

 

गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। लोकतंत्र के इस महापर्व में मतदाताओं का जोश देखते ही बन रहा है, लेकिन जब एक 74 वर्षीय बुजुर्ग और उनकी 68 वर्षीय पत्नी पूरे परिवार के साथ मतदान करने पहुंचे, तो वहां मौजूद लोग प्रेरित हुए बिना नहीं रह सके। बुजुर्ग दंपति दयानिधि तिवारी और श्यामकली तिवारी ने आज यह साबित कर दिया कि मतदान किसी उम्र या परिस्थिति की मोहताज नहीं, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है।

श्यामकली तिवारी ने बताया, “मेरे पति दयानिधि तिवारी हमेशा से ही मतदान को लेकर बेहद उत्साहित रहते हैं। जब वे नौकरी में थे, तब भी उनकी यही आदत थी—पहले मतदान, फिर कोई और काम। आज भी इस परंपरा को हमने बरकरार रखा है। हमारी बहू वर्षा ने हमें तैयार किया और हम पूरे परिवार के साथ मतदान केंद्र पहुंचे।”

 

उन्होंने आगे कहा, “मतदान सिर्फ एक अधिकार नहीं, यह देश के भविष्य की नींव रखने का जरिया है। अगर हम वोट नहीं करेंगे, तो अच्छे नेता कैसे चुनेंगे? लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हर एक वोट की कीमत होती है।”

 

बुजुर्ग तिवारी दंपति का यह समर्पण बताता है कि लोकतंत्र की शक्ति उम्र से नहीं, बल्कि जागरूकता और कर्तव्यनिष्ठा से मापी जाती है। उनके इस उत्साह को देखकर कई अन्य मतदाता भी प्रेरित हुए और मतदान के महत्व को और अधिक गहराई से समझ सके।

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