कलयुग के विकार रूपी आचरण से बचना – महंत सर्वेश्वर दास

कलयुग के विकार रूपी आचरण से बचना – महंत सर्वेश्वर दास

गरियाबंद/राजिम (गंगा प्रकाश)। राजिम कुंभ कल्प में पधारे महंत सर्वेश्वर दास महाराज ने राजिम कुंभ कल्प की व्यवस्था पर अपनी भावना व्यक्त करते हुए शासन-प्रशासन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे राजिम आने के लिए अवसर मिला और भगवान श्री राजीव लोचन एवं कुलेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज कलयुग में भी हम सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग में जी रहे हैं।

इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि सुबह का समय सतयुग का होता है, जब हम उठते ही साथ भगवान का स्मरण करते हैं। माता-पिता का चरण छूते हैं। दोपहर को त्रेतायुग में हम जीते है और अपने कर्म पथ पर चलते हुए द्वापर युग को सार्थक करते हैं। वहीं सांध्य होते ही नशे में चूर होकर कलयुग के आधार पर अपना आचरण करता है। हमें तीन युग के अचारण को आत्मसार करते हुए कलयुग के विकार रूपी आचरण से बचना चाहिए ताकि हमारे भीतर सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग जैसी पवित्र भावनाएं विकसित हो और हम अपने आप को कलयुग में व्याप्त विकारों से स्वयं को बचाकर सद्मार्ग की ओर अग्रसर हो।

हमारा आचरण ही आने वाली पीढ़ी को सनातन धर्म की मान्यताओं से परिचित कराकर उसकी रक्षा तथा अपने धर्म के प्रति आदर सम्मान का भाव पैदा होगा। हमें अपने धर्म की रक्षा और उसके विस्तार के लिए हमेशा तत्पर रहते हुए बच्चों को ऐसे संस्कार देने होंगे, जो सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुरूप उनका आचरण करते हुए अपना जीवन सफल बना सके।

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