Cgnews: “मां की ममता से जन्मी नेकी की दीवार” — मैनपुर पुलिस की मातृत्व दिवस पर अनोखी सौगात, स्वच्छता और सेवा का बना प्रेरणास्रोत

मैनपुर/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। जहाँ एक ओर मातृत्व दिवस पर देश भर में मां को समर्पित कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे, वहीं गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना परिसर में एक ऐतिहासिक और मानवीय पहल ने लोगों के दिलों को छू लिया। पुलिस का सख्त चेहरा छोड़, आज पुलिस कर्मियों ने झाड़ू उठाई, नालियां साफ कीं, और “नेकी की दीवार” बनाकर समाज में ममता और मानवता की मिसाल पेश की।
स्वच्छता की अलख, सबने मिलाया हाथ
मातृत्व दिवस के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अनुविभागीय अधिकारी पुलिस विकास पाटले के नेतृत्व में मैनपुर पुलिस और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मिलकर बस स्टैंड, पंचायत भवन, जिडार तिराहा चौक सहित मुख्य मार्गों की सफाई की। नालियों की गंदगी निकालकर सड़कों को चमकाया गया। इस दौरान आम नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और दुकानदारों से आग्रह किया गया कि वे अपने प्रतिष्ठानों के सामने डस्टबिन रखें।
“नेकी की दीवार” — जहां दिल से दिया जाता है
इस कार्यक्रम की सबसे खास बात रही “नेकी की दीवार” का शुभारंभ। थाना मैनपुर के गेट के सामने, स्थानीय मातृशक्तियों के हाथों इसका उद्घाटन किया गया। दीवार पर साफ अक्षरों में लिखा गया — “अगर ज़रूरत नहीं है तो छोड़ जाइए, अगर ज़रूरत है तो ले जाइए।”
इस दीवार का उद्देश्य है — जरूरतमंदों तक बिना किसी औपचारिकता के मदद पहुँचाना। कोई भी नागरिक यहाँ अपने पुराने कपड़े, जूते, खिलौने, या अन्य उपयोगी वस्तुएँ रख सकता है, जिन्हें जरूरतमंद लोग सम्मानपूर्वक ले सकते हैं। यह पहल उन अनदेखे चेहरों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है, जो सहायता की आस में रहते हैं लेकिन किसी के सामने हाथ फैलाना उन्हें अखरता है।
सामुदायिक पुलिसिंग का नया आयाम
यह पूरा आयोजन गरियाबंद पुलिस की सामुदायिक पुलिसिंग की नीति के अंतर्गत किया गया, जिसमें पुलिस और समाज एकजुट होकर न केवल कानून व्यवस्था, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने में भी सहभागिता करते हैं।
एसडीओपी विकास पाटले ने कहा, “मातृत्व दिवस पर इससे बेहतर श्रद्धांजलि क्या हो सकती है कि हम समाज के हर ज़रूरतमंद के लिए एक मां की तरह सोचें, उसकी तकलीफ समझें और मदद करें। नेकी की दीवार इसी सोच से जन्मी है।”
जनता का समर्थन, पुलिस का मानवीय चेहरा
स्थानीय लोगों ने मैनपुर पुलिस की इस पहल का भरपूर स्वागत किया। महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों से लेकर दुकानदारों तक सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस मौके पर “पुलिस केवल सुरक्षा ही नहीं, सेवा का भी प्रतीक है” — यह बात एक बार फिर साबित हो गई।
निष्कर्ष:
मैनपुर पुलिस की यह पहल आज सिर्फ एक सफाई अभियान या कपड़ों की दान योजना नहीं रही, बल्कि यह बन गई है एक प्रेरणा — इंसानियत की, सेवा की और सच्चे मातृत्व की। मैनपुर ने दिखा दिया कि जब पुलिस और जनता साथ चलें, तो सिर्फ रास्ते ही नहीं, दिल भी साफ होते हैं।