सरेआम घसीटा, पीटा और अपमानित किया गया युवक; आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहे, पीड़ित न्याय की गुहार में दर-दर भटक रहा

रायगढ़/घरघोड़ा (गंगा प्रकाश)। जिले के घरघोड़ा क्षेत्र से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। भूपदेवपुर निवासी जगमोहन साहू उर्फ़ राजा साहू को सरेआम बीच सड़क पर न केवल बुरी तरह पीटा गया, बल्कि सड़क पर घसीटा गया और सार्वजनिक रूप से अपमानित भी किया गया। यह घटना 30 अप्रैल को नवापारा चौक की है, और हैरानी की बात यह है कि इस पूरे अमानवीय कृत्य के आरोपी अब भी बेखौफ खुलेआम घूम रहे हैं।
क्या है मामला?
पीड़ित जगमोहन साहू 30 अप्रैल की शाम अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने घरघोड़ा पहुँचे थे। उसी समय नवापारा चौक पर कुछ युवकों — यश सिन्हा, रितेश गुप्ता सहित अन्य — ने उन पर छेड़खानी का झूठा आरोप लगाते हुए सरेआम मारपीट शुरू कर दी।
पीड़ित को इतना बुरी तरह पीटा गया कि उनका कान का पर्दा फट गया, फिर उसे एक दोपहिया वाहन से बांधकर सड़क पर घसीटा गया। यह सब कुछ भीड़ के सामने हुआ, लेकिन कोई उन्हें बचाने नहीं आया।
शादी समारोह में भी मचाया उत्पात
हमला यहीं नहीं रुका। आरोपियों ने पीड़ित के रिश्तेदार ओमप्रकाश साहू के घर चल रहे वैवाहिक कार्यक्रम में जबरन घुसकर महिलाओं और बच्चों के साथ गाली-गलौज, धक्का-मुक्की और बदसलूकी भी की। यह कृत्य न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए अत्यंत अपमानजनक और भयावह है।
अस्पताल में भर्ती, फिर की शिकायत
घटना के बाद जगमोहन साहू की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राथमिक उपचार के बाद जब उनकी स्थिति थोड़ी सुधरी, तब जाकर उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

पीड़ित का आरोप — ‘यह सब योजनाबद्ध था’
जगमोहन साहू का कहना है कि यह हमला पूर्वनियोजित था और इसका मकसद उन्हें झूठे आरोपों में फंसा कर सामाजिक रूप से बदनाम करना था। उनका यह भी आरोप है कि इस साजिश में कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं।
अब सवाल ये उठता है:
- क्या कानून सिर्फ ताकतवरों के लिए है?
- क्या प्रशासन की आँख तब तक बंद रहती है जब तक कोई जान न चली जाए?
- क्या न्याय मांगना भी अपराध हो गया है?
‘गंगा प्रकाश’ की टीम की प्रशासन से माँग:
- दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए
- पीड़ित को सुरक्षा और समुचित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए
- महिलाओं से हुई बदसलूकी पर अलग से एफआईआर दर्ज की जाए
- पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए
यदि ऐसे मामलों में समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह चुप्पी आने वाले समय में समाज के लिए और भी खतरनाक हो सकती है। न्याय में देरी भी अन्याय होती है — अब प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।