ब्रेकिंग न्यूज:भ्रष्टाचार की गूंज चाकाबुड़ा से राजधानी तक! सचिव, रोजगार सहायक व पूर्व सरपंच की चौकड़ी ने लूटे करोड़ों!!
पेयजल, आवास, शौचालय, सीसी रोड, मनरेगा… नाम जनता का, पैसा अपनों के नाम!!


कोरबा/कटघोरा (गंगा प्रकाश)। ग्राम पंचायत चाकाबुड़ा में भ्रष्टाचार की ऐसी सुनियोजित पटकथा लिखी गई है, जिसे सुनकर शासन-प्रशासन की नींद उड़ जाए! यहां के सचिव रजनी प्रधान, रोजगार सहायक अंजू सिदार और तत्कालीन सरपंच-उपसरपंच की ‘भ्रष्ट चौकड़ी’ ने मिलकर पंचायत को लूट का अड्डा बना डाला।
जनता के नाम पर योजनाएं, अपनों के नाम पर भुगतान!
23 अप्रैल 2025 को पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच उमाबाई, उपसरपंच कृष्णकला और पंचों सहित लगभग 4 दर्जन ग्रामीणों ने कलेक्टर को 16 बिंदुओं वाली विस्फोटक शिकायत सौंपी है। ग्रामीणों का आरोप है कि बीते 5 वर्षों में करोड़ों की सरकारी राशि का जमकर बंदरबांट हुआ है।
16 बिंदुओं में सिमटी है 5 वर्षों की लूट की कहानी!
1. मनरेगा का पैसा अपात्रों की जेब में:
ग्राम में चल रहे मनरेगा कार्यों में अपात्रों को लाभ देकर लाखों रुपये की हेराफेरी की गई। पात्र ग्रामीण आज भी मजदूरी को तरस रहे हैं।
2. प्रधानमंत्री आवास योजना बना पैसा वसूली योजना:
लाभार्थियों से घर के नाम पर हजारों रुपये की वसूली, फिर भी आधे-अधूरे मकान!
3. शौचालय बिना निर्माण के ही ‘साफ’:
स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय तो बना नहीं, लेकिन राशि जरूर निकल गई।
4. सड़क बनी ऐसी कि एक महीने भी न टिक पाई:
कदम चौक से मुख्य सड़क तक की सीसी रोड घटिया निर्माण की भेंट चढ़ गई।
5. 2.5 लाख की नाली केवल कागजों में:
शोभित पटेल के घर से स्कूल तक की नाली का निर्माण दिखाकर राशि गबन।
6. हैंडपंप के सबमर्सिबल पंप हुए गायब:
गांव के हेण्डपंप से निकाले गए पंप और सिंटेक्स टैंक को निजी संपत्ति बताकर हटा दिया गया।
7. अधूरे शासकीय भवन, पर पूरी पेमेंट:
गांव में कई सरकारी भवन अधूरे हैं, लेकिन बिल पूरा पास!
8. पंचायत आय-व्यय पर सवाल तो जवाब में गाली-गलौच:
जब ग्रामीणों ने पंचायत की वित्तीय जानकारी मांगी तो सचिव ने कहा, “तुम्हें पूछने का कोई हक नहीं!”
9. मुक्तिधाम की जमीन पर कब्जा:
शवों के अंतिम संस्कार की जमीन भी नहीं छोड़ी गई! अवैध रूप से पट्टा देकर कब्जा कराया गया।
10. तालाब की मिट्टी से गोदाम निर्माण:
नया सोसायटी गोदाम तकनीकी नियमों को धता बताकर तालाब की मिट्टी से तैयार!
11. फर्जी ग्रामसभा, फर्जी हस्ताक्षर, असली भुगतान:
योजनाओं में लाभ पाने के लिए फर्जी ग्रामसभा दस्तावेजों का इस्तेमाल।
12. पशु औषधालय की जमीन बेच डाली:
पशु चिकित्सालय परिसर की जमीन को भी निजी हाथों में बेचा गया!
13. कोठा-कोटना निर्माण में गुणवत्ताहीन सामग्री:
हितग्राहियों के मकान ऐसे बनाए गए कि बारिश भी देख कांप जाए!
14. सचिव की नियुक्ति ही फर्जी!:
पाली ब्लॉक में शिक्षाकर्मी रहते हुए दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर बर्खास्त, फिर सचिव बन बैठे!
15. करोड़ों की बेहिसाब संपत्ति:
सामान्य वेतन में सचिव के पास आलीशान मकान, गाड़ी और शहर में प्लॉट – आय से अधिक संपत्ति का स्पष्ट मामला।
16. वित्त आयोग की राशि का मनमाना उपयोग:
14वें व 15वें वित्त आयोग की राशि से हुए कार्यों की जांच हो तो हड़कंप मच जाए।
जांच की औपचारिकता या कार्रवाई की शुरुआत?
शिकायत के बाद प्रशासन ने जांच दल को गांव भेजा है, लेकिन ग्रामीणों को शक है कि यह महज औपचारिकता है। वे मांग कर रहे हैं कि:
- भौतिक सत्यापन हो – केवल दस्तावेज नहीं, ज़मीन पर काम की सच्चाई सामने लाई जाए।
- आर्थिक लेखा परीक्षण हो – पिछले 5 वर्षों का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया जाए।
- दोषियों पर आपराधिक FIR दर्ज हो।
जनता की चेतावनी – जांच नहीं तो राजधानी घेराव!
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यदि निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला कार्यालय से लेकर रायपुर तक धरना देंगे। लोकतंत्र में जनता सबसे बड़ी शक्ति है, और चाकाबुड़ा की जनता अब चुप नहीं बैठेगी।
नोट: यह रिपोर्ट प्रशासन के संज्ञान में लाना अत्यंत आवश्यक है ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। यदि इस खबर पर प्रशासन मौन रहा, तो यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार को ‘संरक्षण’ प्राप्त है।