CGNEWS:ऑपरेशन सिंदूर की गूंज और माँगामार में तिरंगे की शान: शौर्य तिरंगा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, दुश्मन को सबक सिखाने वाले जांबाज़ों को किया गया नमन

कोरबा/पाली (गंगा प्रकाश)। देश की सुरक्षा में हर बार अपने लहू का रंग भरने वाले भारतीय जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए एक बार फिर इतिहास रच दिया है। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 22 अप्रैल को निर्दोष 26 भारतीयों की निर्मम हत्या के जवाब में भारत सरकार और सेना ने जो करारा प्रतिघात दिया, उसने न केवल दुश्मन को चेताया बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया। इस गौरवशाली विजय की खुशी में पाली ब्लॉक के ग्राम पंचायत माँगामार में शनिवार को शौर्य तिरंगा यात्रा का भव्य आयोजन किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र को देशभक्ति की भावना से सराबोर कर दिया।
देशभक्ति का ज्वार: जब पूरा गाँव ‘भारत माता की जय’ से गूंज उठा
सुबह होते ही माँगामार पंचायत भवन पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। गांव के छोटे-बड़े, महिला-पुरुष, बुज़ुर्ग और बच्चे हाथों में तिरंगा थामे, सीना गर्व से चौड़ा किए, देशभक्ति के गीतों और नारों के साथ शौर्य तिरंगा यात्रा के लिए इकट्ठा हो गए। ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’, ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ जैसे नारों से आसमान गूंजने लगा। तिरंगे की शान में नारे, गीत और उत्साह की ऐसी लहर दौड़ी कि मानो पूरा गाँव एक रणभूमि में बदल गया हो — जहाँ हथियार नहीं, भावनाएं थीं और शत्रु नहीं, परंतु चेतावनी थी।
यात्रा पंचायत भवन से शुरू होकर गाँव की गलियों, चौक-चौराहों से होती हुई वापस पंचायत कार्यालय पर समाप्त हुई। पूरे रास्ते में लोगों ने फूल बरसाए, बच्चों ने तिरंगे रंग में रंगे चेहरे से देशप्रेम का प्रदर्शन किया।
छत्रपाल सिंह राज का हुंकार: “हमारा सिंदूर उजाड़ने वालों के अड्डे अब राख हो चुके हैं”
ग्राम सरपंच एवं ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष छत्रपाल सिंह राज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा:
“जब पाकिस्तान की सरजमीं से निकले आतंकियों ने हमारे निर्दोष नागरिकों को मारा, तब हमारी माँ-बहनों की मांग का सिंदूर छीना गया था। लेकिन अब भारतीय सेना ने उसी सिंदूर का बदला लिया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों और एयरबेस को तबाह कर दिया गया। यह सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, यह न्याय था। और यह संदेश था – भारत अब चुप नहीं बैठेगा।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमारे जवानों ने दुश्मन की ज़ुबान में जवाब दिया। हम उन वीरों को सलाम करते हैं जिन्होंने इस मिशन में हिस्सा लिया और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। हमें उन माँओं पर गर्व है जिनकी कोख से ऐसे सपूत जन्म लेते हैं।”
एकता का संदेश: धर्म-जाति से परे, राष्ट्र पहले
शौर्य तिरंगा यात्रा सिर्फ एक देशभक्ति कार्यक्रम नहीं रहा, यह गांव की एकता, भाईचारे और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया। हिन्दू, मुस्लिम, आदिवासी, पिछड़े—सभी समुदायों के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर हिस्सा लिया। यह दिखाता है कि भारत जब एकजुट होता है, तो दुनिया की कोई ताकत उसे झुका नहीं सकती।
इस अवसर पर उपसरपंच उमाशंकर कश्यप, पंचायत सचिव पंचराम कोराम, सभी पंचगण एवं सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था, महिला सहभागिता, और स्थानीय युवाओं की भूमिका सराहनीय रही।