गंगा प्रकाश वेब पोर्टल की खबर का धमाकेदार असर! फुलझर गांव में शुरू हुई सफाई, पंचायत हरकत में आई

छुरा (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत फुलझर में गंगा प्रकाश वेब पोर्टल द्वारा प्रकाशित खबर “गंदगी के दलदल में डूबा फुलझर!” ने पंचायत प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। खबर के प्रकाशित होते ही पंचायत ने हरकत में आते हुए वार्ड क्रमांक 5 और 6 में नालियों की सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। गांव के निवासी इसे “जनता की आवाज़ की जीत” और “सच की ताकत” बता रहे हैं।

खबर ने दिखाई असर की ताकत
गंगा प्रकाश द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह फुलझर गांव की गलियाँ गंदगी, जलजमाव, मच्छरों और संक्रमण से बेहाल थीं। नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई थी, बिजली के ट्रांसफार्मर के पास जलभराव जानलेवा खतरा बना हुआ था और जल निकासी की खराब व्यवस्था ने लोगों का जीना दूभर कर दिया था। पंचायत पूरी तरह निष्क्रिय और ग्रामीण बेहद परेशान थे।
खबर में स्थानीय लोगों के बयान, मौके की सच्चाई और प्रशासन की लापरवाही को तथ्यों के साथ उजागर किया गया था। इसका व्यापक प्रभाव हुआ और कुछ ही घंटों में गांव में हलचल तेज हो गई।
पंचायत की तात्कालिक प्रतिक्रिया: सफाई का काम शुरू
ग्राम पंचायत फुलझर के सरपंच संतोष कंवर ने खुद मोर्चा संभालते हुए वार्ड क्रमांक 5 और 6 में सफाईकर्मियों को भेजा। नालियों में जमी गाद, सड़ांध और कचरे को निकालने का कार्य प्रारंभ किया गया। गाँव की गलियों में पहली बार पंचायत का अमला सक्रिय नज़र आया। सफाईकर्मियों ने ट्रैक्टर और फावड़े की मदद से कीचड़ हटाया और नालियों का पानी बहाने की अस्थाई व्यवस्था भी की।
सरपंच संतोष कंवर ने गंगा प्रकाश से विशेष बातचीत में कहा,
“हमने खबर को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्यवाही शुरू की। हमारा प्रयास रहेगा कि सफाई कार्य नियमित किया जाए। जनता की परेशानियाँ हमारी जिम्मेदारी हैं।”
ग्रामीणों में संतोष, लेकिन अभी भी चिंता
गांव के निवासी योगेश्वर साहू, जिन्होंने खबर में अपनी बात खुलकर रखी थी, ने कहा,
“गंगा प्रकाश की रिपोर्टिंग ने हम जैसे ग्रामीणों को आवाज़ दी। सफाई शुरू हुई, ये अच्छा है, लेकिन हमें उम्मीद है कि ये सिर्फ एक बार की बात नहीं होगी। अब नियमित व्यवस्था चाहिए।”
ग्रामीण महिलाओं ने भी राहत की सांस ली है। जो पिछले कई दिनों से बदबू और कीचड़ की वजह से बीमार पड़ गई थीं, कहती हैं,
“पहली बार लग रहा है कि किसी ने हमारी बात सुनी है। अब बच्चों को स्कूल भेजने में डर नहीं लगेगा।”
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बाकी समस्याएं अभी भी बरकरार
हालांकि सफाई का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन बाकी समस्याएं अभी जस की तस बनी हुई हैं:
- बिजली का ट्रांसफार्मर अभी भी जलभराव के बीच खड़ा है, जिससे करंट फैलने का खतरा बरकरार है।
- जल निकासी की दिशा बदलने से बावा पारा में जलभराव की समस्या बढ़ गई है, जिससे वहां के लोग परेशान हैं।
- अधिकांश घरों में सोकपिट निर्माण नहीं हुआ है, जिससे गंदा पानी खुले में बहता रहता है।
प्रशासन से ग्रामीणों की मांग: आधे अधूरे समाधान नहीं चलेंगे
ग्रामीणों ने अब मांग की है कि जिला प्रशासन स्वयं संज्ञान में ले और:
- पूरे गांव में तकनीकी सर्वे करवाया जाए।
- ट्रांसफार्मर को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए।
- जल निकासी व्यवस्था को पुनः डिज़ाइन किया जाए।
- प्रत्येक घर में सोकपिट निर्माण की योजना चलाई जाए।
गंगा प्रकाश की भूमिका: ज़मीनी पत्रकारिता की सच्ची मिसाल
यह घटना साबित करती है कि जब मीडिया निष्पक्ष, निडर और ज़मीनी सच्चाई को सामने लाता है, तो असर होता है। गंगा प्रकाश वेब पोर्टल ने एक गांव की आवाज़ बनकर न केवल समस्याओं को उजागर किया, बल्कि प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर भी किया।
आज जब डिजिटल मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सनसनी और टीआरपी के पीछे भाग रहा है, गंगा प्रकाश जैसी पत्रकारिता वास्तविक बदलाव का माध्यम बन रही है।
निष्कर्ष:
फुलझर गांव की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि एक सशक्त खबर प्रशासन की नींद उड़ा सकती है। यह केवल एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि ग्रामीण जागरूकता और जवाबदेही का उत्सव है। गंगा प्रकाश वेब पोर्टल का उद्देश्य भी यही है — जनता की बात, ज़मीनी हकीकत, और परिवर्तन की पहल।