CG News : गरियाबंद में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण ऐतिहासिक सफलता, मैनपुर-देवभोग की शालाएं अब नहीं रहीं शिक्षकविहीन

शासन की मंशा के अनुरूप कलेक्टर बी.एस. उईके के नेतृत्व में जिला बना पूरे प्रदेश के लिए मिसाल, पारदर्शिता और संवेदनशीलता की अद्वितीय मिसाल

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले ने एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती को सफलतापूर्वक पार करते हुए शिक्षक युक्तियुक्तकरण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को तय समय-सीमा में न केवल पूरा किया, बल्कि शासन के निर्देशों को धरातल पर साकार कर दिया। जिले की सुदूर, वंचित और शिक्षकविहीन शालाओं में अब न सिर्फ शिक्षक पदस्थ हो चुके हैं, बल्कि एकल शिक्षकीय स्थिति में चल रही शालाएं भी अब दो से अधिक शिक्षकों से सुसज्जित हो गई हैं।
यह प्रक्रिया 1 से 3 जून के मध्य पूर्ण पारदर्शिता के साथ ओपन काउंसलिंग के ज़रिए पूरी की गई। कलेक्टर बी.एस. उईके ने आज आयोजित एक प्रेसवार्ता में जिले की इस उपलब्धि को साझा किया। प्रेसवार्ता में अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय, नवीन भगत, जिला शिक्षा अधिकारी ए.के. सारस्वत, और जिले के प्रमुख मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे।
शिक्षा की रोशनी पहुँची मैनपुर और देवभोग के दूरस्थ कोनों तक
कलेक्टर श्री उईके ने जानकारी दी कि युक्तियुक्तकरण से पूर्व मैनपुर जैसे दूरस्थ ब्लॉक में 6 शालाएं पूरी तरह शिक्षकविहीन थीं, जबकि 69 शालाएं एकल शिक्षकीय अवस्था में संचालित हो रही थीं। आज की तारीख में शिक्षकविहीन शालाएं पूर्णतः समाप्त हो चुकी हैं और केवल 13 शालाएं ही एकल शिक्षकीय शेष रह गई हैं।
इसी तरह, देवभोग ब्लॉक की स्थिति भी चिंताजनक थी। यहाँ 4 शालाएं बिना शिक्षक के थीं, जबकि 30 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं। इसके साथ ही 6 हाईस्कूल भी एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहे थे। लेकिन प्रशासनिक रणनीति और फिंगेश्वर ब्लॉक के अतिशेष शिक्षकों की कुशल पुनः पदस्थापना के कारण अब देवभोग ब्लॉक में एक भी शाला शिक्षकविहीन या एकल शिक्षकीय नहीं रही।
214 सहायक शिक्षकों की पदस्थापना, हाईस्कूल में आए व्याख्याता
जिले में कुल 214 सहायक शिक्षकों की पदस्थापना की गई है, जिनमें ई संवर्ग के 81 और टी संवर्ग के 133 शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा 6 प्राथमिक शाला प्रधान पाठक, 25 ई संवर्ग और 81 टी संवर्ग के शिक्षक, कुल 106 अन्य शिक्षकों की भी नियुक्ति हुई है।
हाईस्कूल स्तर पर 76 व्याख्याताओं, 3 विज्ञान शिक्षकों और एक मिडिल स्कूल प्रधान पाठक को भी रिक्त पदों पर पदस्थ किया गया है। यह पूरी प्रक्रिया विषयवार रिक्तता के आधार पर शासन की गाइडलाइन के अनुरूप और अत्यंत पारदर्शिता के साथ संपन्न हुई।
लॉटरी पद्धति से हुआ निष्पक्ष चयन, विशेष वर्गों को दी गई वरीयता
जो शिक्षक काउंसलिंग प्रक्रिया में अनुपस्थित रहे या असहमत थे, उनकी पदस्थापना लॉटरी पद्धति से की गई। शासन के निर्देशों के अनुसार वरिष्ठता, महिला शिक्षकों, दिव्यांगजनों और मान्यता प्राप्त संगठन के पदाधिकारियों को प्राथमिकता दी गई।
ई संवर्ग में कुछ विषयों की रिक्तता नहीं होने के कारण कुछ शिक्षकों की पदस्थापना फिलहाल लंबित है, जिनकी सूची उच्च कार्यालय को भेजी गई है।
जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने जताया आभार
मैनपुर और देवभोग जैसे क्षेत्रों में वर्षों से रिक्त पड़े शिक्षकीय पदों की पूर्ति से न केवल शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार आया है, बल्कि जनभावनाओं को भी संतोष मिला है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पालकों और आमजन ने शासन और जिला प्रशासन का आभार जताया है।
“यह सिर्फ शिक्षकों की पदस्थापना नहीं, बल्कि ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की लौ को फिर से प्रज्वलित करने का यत्न है,” — कलेक्टर बी.एस. उईके ने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि जिले में किसी भी प्रकार का राजनीतिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं होने दिया गया। हर चयन, हर आदेश केवल योग्यता, नियम और पारदर्शिता के आधार पर ही निर्गत हुआ है।
शिक्षा विभाग और प्रशासन की संयुक्त मेहनत
इस उपलब्धि के पीछे जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की संयुक्त मेहनत है। कई सप्ताहों की तैयारी, डाटा संकलन, रिक्तियों की सूची, डिजिटल समन्वय और ऑन-ग्राउंड व्यवस्था के माध्यम से इस चुनौती को अवसर में बदला गया।
यह गरियाबंद जिले के लिए केवल प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत कदम है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इस प्रकार की पारदर्शी पदस्थापन प्रक्रिया अन्य जिलों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बनेगी।