
भारतीय संस्कृति में पूजा घर का विशेष स्थान होता है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि घर की सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि पूजा घर को सही दिशा, स्थान और नियमों के अनुसार बनाया जाए, तो घर में शांति, समृद्धि और सुख-शुभता का वास होता है।इसलिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा, स्थान, रंग और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है, परिवारजनों को मानसिक शांति मिलती है और ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। पूजा घर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में संतुलन और समृद्धि का माध्यम भी है। इसलिए पूजा घर बनवाते समय कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है।
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1. पूजा घर की शुभ दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पूजा घर के लिए सबसे उत्तम दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) होती है। यह दिशा भगवान शिव और जल तत्व से संबंधित मानी गई है, जिससे पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि यह दिशा उपलब्ध न हो, तो पूर्व दिशा को दूसरा सर्वोत्तम विकल्प माना जाता है। पूजा करते समय व्यक्ति का मुख भी पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए, इससे साधना में एकाग्रता आती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
2. पूजा घर का स्थान और संरचना
पूजा घर को कभी भी शौचालय, बाथरूम या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। यह स्थान शांत, स्वच्छ और ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए। यदि घर छोटा है, तो ड्राइंग रूम के उत्तर-पूर्व कोने को पूजा के लिए चुना जा सकता है। मंदिर को हमेशा जमीन से कुछ ऊंचाई पर रखें और उसके नीचे किसी भी प्रकार का सामान स्टोर न करें। मंदिर की दीवार पर लकड़ी की पीठ या प्लेटफार्म लगाया जा सकता है।
3. मूर्तियों की व्यवस्था
मंदिर में स्थापित मूर्तियां 9 इंच से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए और उन्हें दीवार से थोड़ा दूर रखें ताकि पीछे की ओर हवा का प्रवाह बना रहे। खंडित या टूटी हुई मूर्तियों को तुरंत मंदिर से हटा देना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं। भगवान की मूर्तियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए। एक ही देवता की कई मूर्तियों को एकसाथ न रखें।
4. मंदिर का रंग और सजावट
पूजा घर के रंग हल्के और शुभ होने चाहिए, जैसे कि सफेद, हल्का पीला, गुलाबी या क्रीम। गहरे या काले रंगों से बचना चाहिए क्योंकि ये मन और वातावरण पर भारी प्रभाव डालते हैं। मंदिर में धूपबत्ती, दीपक, शंख और घंटी की व्यवस्था अवश्य करें। रोजाना दीपक जलाने और सुगंधित धूप लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
5. पूजा घर से जुड़ी कुछ सावधानियां
मंदिर को रसोईघर या शयनकक्ष में न बनाएं। यदि जगह की कमी के कारण ऐसा करना पड़े, तो मंदिर को लकड़ी की अलमारी में बनाकर उसे पर्दे से ढक सकते हैं। पूजा स्थान में कभी भी जूते-चप्पल लेकर न जाएं और वहां मोबाइल फोन या अन्य ध्यान भटकाने वाली वस्तुएं न रखें। पूजा घर को हमेशा स्वच्छ और सुगंधित बनाए रखें।