किसानों को विज्ञानियों की सलाह: अच्छी उपज पाने गोभी के साथ गाजर-शलजम का थरहा लगाएं


भागवत दीवान 

कोरबा(गंगा प्रकाश)। बारिश का मौसम यानि किसानों के लिए खेती-बाड़ी और बागबानी का त्यौहार। इस सीजन में खेतों और बाडिय़ों से लेकर उस हर जगह पर खूबसूरत हरियाली देखी जा सकती है, जिस जमीन पर मिट्टी है। वर्तमान वर्षाकाल में लगातार मौसम का बदलाव देखने को मिल रहा। इसे ध्यान में रखते हुए मौसम विभाग व कृषि विज्ञानियों ने किसानों के लिए बागबानी को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि इस समय गोभी के साथ अगर गाजर व शलजम का भी थरहा लगाएं, तो अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

बागवानी को लेकर जारी विशिष्ट सलाह के अनुसार बैंगन भटा-मिर्च टमाटर में टपक सिंचाई विधि से उर्वरक जैसे 19:19:19 का निर्धारण कर फ्रटीगेट करना बेहतर होगा। गोभी गोभीवर्गीय सब्जियों के साथ साथ किसान शलजम-गाजर के लिए उपयुक्त किस्म का चयन कर थरहा एवं बीज बोनी करें। इसी तरह पशुपालन के लिए जारी विशिष्ट सलाह में कहा गया है कि सितंबर माह में बकरियों-भेड़ों को एंटोरोटोक्सीमिया नामक बीमारी का टीका अवश्य लगवा लें। बढते मेमनों को छह से दस सप्ताह की उम्र में इस बीमारी का टीका लगवएं। मुर्गी पालन वाले कृषक चूजा मुर्गीघर में मुर्गियों के लिए समुचित जगह एवं अंडा देने वाली मुर्गी दो से 2.5 वर्ग फीट मुर्गी की व्यवस्था करें। पशुबाड़े एवं मुर्गीघरों में दिन के समय पंखा चलाकर रखें ताकि सीलनयुक्त हवा बाहर निकलती रहे एवं उमस वाला वातावरण न हो। अधिक संख्या में पशु बाड़े में न रखें। प्रत्येक पशु के लिए समुचित जगह की व्यवस्था रखें एवं हवादार बाड़े बनाएं। इसी तरह चावल धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण नाव आकार के धब्बे के रूप में दिखते ही ट्रा इसाईंक्लोजोल का छिडक़ाव करना चाहिए। इसके अलावा अरहर, दलहनी तिलहनी फसलों में निंदा नियंत्रण करना लाभदायक होगा। चावल शीघ्र पकने वाली धान की फसल पुष्पन अवस्था में है, यदि उनमें 50 प्रतिशत पुष्पन हो चुका है, तो नत्रजन की तृतीय किश्त का छिडक़ाव करें।

बैंगन-मिर्च व टमाटर में ड्रिप से उर्वरक बेहतर

ड्रिप इरिगेशन यानि टपक सिंचाई पद्धति से बैंगन-मिर्च व टमाटर में उर्वरक प्रयोग इन फसलों के लिए बेहतर होगा। धान की फसलों में पीला तना छेदक के वयस्क कीट खेतों में दिखाई देनें पर अंडे समूह समेत पत्ती को अलग कर नष्ट करें। जहां पर डेड हार्ट बना हैं उसे खींचकर अलग कर दें ताकि अंदर उपस्थित इल्ली परजीवीकृत होकर नष्ट हो जाएं। धान की फसल में माहू एवं तनाछेदक कीटों के लिए खेत में फसल की सतत निगरानी करें। चावल धान में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमेन ट्रेप दो-तीन एकड़ का उपयोग करें एवं प्रकोप पाये जाने पर आठ-दस फिरोमेन ट्रेप का उपयोग नियंत्रण के लिए करें।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *