राष्ट्रीय बेटी दिवस पर वक्ताओं ने एक स्वर में बेटियों को देश के आन बान शान से आगे बढ़कर बतलाया

 फिंगेश्वर। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर नगर के प्रबुद्ध जनो ने के द्वारा बेटी के ऊपर विचार संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें नगर के प्रबुद्ध जनो के अलावा शिक्षक, समाजिक कार्यकर्ता एवं साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किया। जगदीश यदु अध्यक्ष नगर पंचायत फिंगेश्वर ने कहा कि एक बेटी का बाप होना गर्व का विषय है। बेटी हैं तो आज हैं, बेटी हैं तो कल हैं बेटी सारा जहां में अनमोल धरोहर है जो हमेशा माता – पिता के धरोहर के रूप में जानी पहचानी जाती हैं। समाज में बेटी को उतना ही महत्व दे जितना एक बेटा को दिया जाता है क्योंकि बेटी के बगैर एक सुखी संसार की कल्पना भी नही कर सकते इस लिए बेटियों को उनका पूरा अधिकार दो अपनापन का संस्कार दो। थानू निषाद शिक्षक मानस व्याख्याकार ने कहा कि एक बेटी का बाप बनकर मैं बहुत ही ज्यादा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जिस घर परिवार में बेटी हैं वह घर किसी मंदिर से कम नहीं बेटी घर की रौनक है, बेटी घर के आन बान और शान है। बेटी हर समस्या का निदान हैं। बेटियों को समाज के अन्दर व बाहर हर ओ स्थान दे जो उनका वे अधिकारी हैं उनसे उन्हें वंचित न रखें अपना पूरा – पूरा सहयोग करते हुए विशेष रूप से अपने संस्कारों में ढालने का यथासंभव प्रयास करें हर खुशी दे जो माता-पिता एवं एक समाज से उन्हें अपेक्षा हैं कभी भी बेटियों को उपेक्षा की नजर से न देखे। शिक्षक विकास यदु ने कहा आज हमारे समाज में कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जो बेटियों को उपेक्षा की नजर से देखते हैं जो सही नहीं है बेटी आज समाज के बीच कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं आज हमारे देश के राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू भी एक बेटी है जो हमारे देश के सबसे प्रतिष्ठित पद पर रहकर देश की सेवा कर रही है बेटियों को हमेशा सम्मान की नजर से देखे। पं. दिनेश्वर प्रसाद शर्मा भगवताचार्य ने कहा कि बेटी इस सृष्टि की अमूल्य देन है बेटी सनातन काल से ही पूज्यनीय है आज भी हमारे समाज में बहुत से अवसरों पर पूजा की जाती है अभी नवरात्र में पूरे नव दिनों तक मां दुर्गा की पूजा पूरे विधि-विधान पूर्वक किया जा रहा है जो बेटियों के नव रूपों का वर्णन मिलता है इस कारण हमारे शास्त्रों में बेटियों को अलग- अलग रूपों में पूजन करने का विधान मिलता है। शिक्षक अजय राजवंशी ने कहा कि जिस प्रकार से हमारे समाज में कुछ तथा कथित लोगों के द्वारा आज भी बेटियों को उपेक्षा की नजर से देखा जा रहा है जो सही नहीं है। लगातार समाचार पत्रों के माध्यम से बेटियों के ऊपर तरह-तरह के मानसिक प्रताड़ना पढ़ने व देखने को मिल रहा है जो सही नहीं ऐसे समाज में रहने वाले असभ्य लोगों से यही कहना चाहूंगा कि बेटों की तरह बेटियों को भी उनका अधिकार देते हुए उनका वास्तविक अधिकार से वंचित न रखें पढ़ने लिखने से लेकर समाज में बेटियों को उचित स्थान दे। इस अवसर पर शिक्षक शंभु यादव, शिक्षक डोगेन्द्र पांडे, शिक्षक ओमप्रकाश सिन्हा, शिक्षक भोजराम साहू ने भी बेटियों के ऊपर अपना विचार साझा किया।

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