Brekings: वर्षों से चली आ रही जमीनी जंग का हुआ पटाक्षेप: तहसीलदार और थाना प्रभारी की कड़क समझाइस से दो पक्षों में हुआ ऐतिहासिक समझौता

 

हसौद(गंगा प्रकाश)। वर्षों से चली आ रही जमीनी जंग का हुआ पटाक्षेप: सक्ति जिला अंतर्गत हसौद तहसील के ग्राम पंचायत पिसौद में खेत की जमीन को लेकर पिछले कई वर्षों से चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया। इस विवाद ने गांव के माहौल को लंबे समय से तनावपूर्ण बना रखा था। खेत की हर मेड़ और हर कोर जमीन के टुकड़े को लेकर दोनों पक्षों के बीच आए दिन बहस, गाली-गलौच और मारपीट जैसी स्थिति बनती रहती थी, जिससे गांव के अन्य किसान भी भयभीत रहते थे।

इस मामले को लेकर प्रेमलता भार्गव पति श्यामलाल भार्गव निवासी हसौद ने सक्ति कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। प्रेमलता भार्गव का कहना था कि विवाद इतना बढ़ चुका था कि फसल बोने-काटने से लेकर खेत की मेड़ पर चलने तक के लिए दोनों पक्षों में कहासुनी हो जाती थी। खेत में हल चलाने की जगह अब तक ताने और धमकी गूंजते थे।

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कलेक्टर और एसपी ने लिया संज्ञान, तत्काल निपटारे के दिए निर्देश

प्रेमलता के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए सक्ति कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने हसौद तहसीलदार एवं थाना प्रभारी को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। वरिष्ठ अधिकारियों की सख्त हिदायत मिलते ही हसौद तहसीलदार एन. के. सिन्हा और थाना प्रभारी नरेंद्र यादव अपनी टीम के साथ मौके पर रवाना हुए। उस दिन तेज बारिश हो रही थी, लेकिन अधिकारी अपने दायित्व के प्रति प्रतिबद्ध नजर आए। भीगते हुए खेत के कच्चे रास्तों से होते हुए टीम पिसौद गांव पहुंची, जहां दोनों पक्ष पहले से ही तनाव के साथ मौजूद थे।

भारी बारिश के बीच खेत पर लगी प्रशासनिक चौपाल

मौके पर पहुंचते ही तहसीलदार एन. के. सिन्हा ने दोनों पक्षों को खेत के किनारे बुलाया। बरसात की बूंदें लगातार गिर रही थीं, लेकिन तहसीलदार और थाना प्रभारी की आवाज़ उसमें भी साफ सुनाई दे रही थी। उन्होंने कहा –

“जमीन का विवाद मिट्टी का झगड़ा नहीं, बल्कि पूरे परिवार की मानसिक शांति का सवाल होता है। आप लोग अगर आज समझदारी नहीं दिखाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियां भी लड़ती रहेंगी। सरकार ने कानून बनाए हैं, लेकिन सबसे बड़ा कानून है – इंसानियत और आपसी समझ।”

थाना प्रभारी नरेंद्र यादव ने भी कड़क आवाज में समझाया कि –

“अगर किसी पक्ष ने दोबारा विवाद की स्थिति पैदा की तो कानूनी कार्रवाई होगी। पुलिस प्रशासन गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।”

दोनों अधिकारियों की सख्त लेकिन संवेदनशील समझाइस का असर देखने को मिला। बरसात में खड़े दोनों किसान और उनके परिवारजन कुछ देर तक चुप रहे। फिर एक पक्ष के बुजुर्ग ने कहा –

“साहब, हम लोग गलती कर रहे थे। खेत बोने आए थे, झगड़ा बोने लग गए। अब जैसे तहसीलदार साहब ने कहा, वैसे ही करेंगे।”

दूसरे पक्ष ने भी हामी भरते हुए तत्काल समझौता कर लिया। तहसीलदार ने मौके पर ही सीमांकन और दस्तावेजों की प्राथमिक जांच कर दोनों पक्षों को भरोसा दिलाया कि भविष्य में यदि कोई कानूनी या दस्तावेजी संशय रहेगा, तो उसे तहसील कार्यालय से भी स्पष्ट करवा दिया जाएगा।

ग्रामीणों में राहत, प्रशासन की तारीफ

इस ऐतिहासिक समझौते के बाद गांव के लोगों ने राहत की सांस ली। लंबे समय से खेत की ओर जाने में भी लोग हिचकते थे। खेत की मेड़ अब फिर से बच्चों के खेलने और किसानों के श्रम से हरियाली उगाने के काम आएगी।

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तहसीलदार एन. के. सिन्हा ने कहा –

“दो किसानों के बीच खेत की जमीन को लेकर कई वर्षों से विवाद चल रहा था। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को बुलाया गया। आपसी समझाइश से दोनों ने समझौता किया और मामला शांतिपूर्वक समाप्त हो गया।”

आवेदक प्रेमलता भार्गव ने कहा –

“हमारे खेत के जमीन को लेकर विवाद था। इस संबंध में हमने सक्ती कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया था। हसौद तहसीलदार और थाना प्रभारी के मौके पर पहुंचने से तत्काल समाधान हुआ। मैं कलेक्टर, एसपी और मौके पर पहुंचे सभी अधिकारियों की आभारी हूं।”

ग्रामीणों का मानना है कि प्रशासन की यह तत्परता एक मिसाल है। किसानों के विवाद से अक्सर गांव में बड़े अपराध जन्म लेते हैं, लेकिन समय रहते प्रशासन के हस्तक्षेप ने इस विवाद को एक खूबसूरत समझौते में बदल दिया।

हसौद तहसीलदार और थाना प्रभारी की यह मानवीय और प्रशासनिक सफलता अब आसपास के गांवों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है। किसानों का कहना है कि यदि इसी तरह हर विवाद का समय पर समाधान हो, तो गांवों की मिट्टी से केवल अनाज ही नहीं, भाईचारा और इंसानियत भी लहलहाएगी।


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