भ्रष्ट्राचार रूपी काली करतूतों में माहिर जल संसाधन संभाग गरियाबंद का एक और काला कारनामा हुआ सूचना के अधिकार से उजागर? शिकायत के बाद जांच हुई शुरू:प्रीतम सिन्हा

काम किसी और का भुगतान किसी और को बड़ा खुलासा जल्द होगा:प्रीतम सिन्हा

प्रकाश कुमार यादव 

गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-भ्रष्टाचार एक ऐसा जहर है जो देश, संप्रदाय, समाज और परिवार के कुछ लोगों के दिमाग में बैठ गया है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिए सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था क्यों न हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण बन चूका है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा बनते जा रहा है।बताना लाजमी होगा कि जल संसाधन संभाग गरियाबंद का एक और कारनामा का शिकायत पर जांच शुरू शुरू हो चुकी है जिसमे जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर के वार्षिक मरम्मत कार्य में बिना कार्य कराए फर्जी बिल बाऊचर बनाकर भुगतान किया गया है।जिसकी शिकायत छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में किया गया है।बताते चले कि जिला गरियाबंद के जल संसाधन संभाग गरियाबंद के अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय जल संसाधन फिंगेश्वर वर्ष 2021-22 के वार्षिक मरम्मत कार्य में बिना कार्य के अपने चहेतों फर्मों के नाम पर लाखों रुपये का फर्जी तरीके से बिल बनाकर भ्रष्टाचार, गबन, साजिश, कूट रचना एवं पद का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसकी शिकायत जिला के भाजपा नेता और समाजिक कार्यकर्ता प्रीतम सिन्हा द्वारा सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के आधार पर 4जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक नवा रायपुर से किया गया है। जिसकी पुलिस मुख्यालय में शिकायत विधिवत 24 जनवरी 2023 को आनलाइन दर्ज कर संबंधित थाना क्षेत्र फिंगेश्वर जांच कर कार्यवाही के लिए भेजा गया है । दर्ज शिकायत क्रमांक 50000008732300032 दिनांक 24 जनवरी 2023 में आशुतोष सारस्वत तत्कालीन कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद,  रोहित तिवारी वरिष्ठ लेखा लिपिक जल संसाधन संभाग गरियाबंद, होमेश नायक तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर और कुलेश्वर जोशी उप अभियंता जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर को आरोपी बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर शिकायत दर्ज किया गया है। शिकायत पत्र में फर्म सिद्धि ट्रेडर्स पिटियाझर महासमुंद के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2771 में  किसी भी कार्य स्थल का नाम उल्लेख नहीं है और उसका भुगतान कर दिया गया है, इसी प्रकार नहर साफ सफाई, दिवाल पोताई के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2776 में भुगतान किया है। जबकि यह फर्म कार्यालय से लगभग 25-30 किमी दूर है। ध्रुव इंटरप्राइजेज बड़ीरबेली मालखरौदा जिला जांजगीर-चांपा के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2218 में  विद्युत कार्य एवं नहर साफ सफाई के नाम पर भुगतान किया गया है जबकि बिलों पर कार्य स्थल का नाम का उल्लेख नहीं है। यह फर्म कार्यालय से लगभग 300किमी दूर है और सरिता प्रेस महासमुंद के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 1562और 1883 में स्टेशनरी खर्च बताकर भुगतान आहरण किया गया है। शिकायत में तीनों बिंदुओं पर बिल बाउचर को एक बारगी देखने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिट्टी ढुलाई भराई, सीमेंट खाली बोरी एवं भराई कार्य, नहर साफ सफाई, मेंड उचाई, विद्युत कार्य दीवाल पोताई, स्टेशनरी खरीदी कार्य, चौखट मरम्मत कार्य के नाम पर बिना कार्य किए फर्मो को लाखों रुपए का भुगतान कर शासन की राशि का भ्रष्टाचार और गबन किया है, जबकि यह कार्य वर्षा ऋतु में बताया गया है और फर्मों पर कार्य स्थल का नाम ही नहीं दर्ज किया गया है जो अवैधानिक की श्रेणी को दर्शाता है। जिसमें पांच अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम सहित शिकायत दर्ज किया गया है जिसका जांच के लिए थाना प्रभारी फिंगेश्वर में शिकायत कर्ता का लिखित कथन बयान दर्ज कराया गया है।

शिकायत कर्ता प्रीतम सिन्हा ने बताया कि जनहित के मामलों वह भी किसानों से जुड़े मामले में अधिकारियों के द्वारा लगातार कुछ वर्षों से भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसकी शिकायत साक्ष्य दस्तावेजों के साथ उच्च स्तरीय किया गया है।

भ्रष्टाचार का अर्थ,भ्रष्टाचार क्या है?

बड़ा सवाल यहां है कि भ्रष्टाचार क्या होता है?भ्रष्टाचार दूषित और निन्दनीय, पतित और अवैध आचरण भ्रष्टाचार है। अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा विहित कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक यथोचित रूप से पालन न करके, अवैध ढंग से, विलम्ब से तथा कार्यार्थी से रिश्वत लेकर अनुचित रूप में कार्य करना भी भ्रष्टाचार है। भ्रष्ट आचरण का अभिप्राय ऐसा आचरण और क्रियाकलाप है जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व कानूनों के अनुरूप न हो। भारतीय संविधान, भारतीय मूल्यों और आदर्शों के साथ किया जाने वाला विश्वासघात भी भ्रष्ट आचरण है। व्यापारी खाद्य वस्तु और पेट्रोलियम पदार्थों में मिलावट करते हैं, तीन रुपये की वस्तु के तेरह रुपये वसूलते हैं, यह भी भ्रष्टाचार ही है। भ्रष्टाचार सामाजिक स्वास्थ्य के लिए विकार उत्पन्न करने का कारण है।

रिश्वत और बेईमानी का पर्याय

भ्रष्टाचार रिश्वत और बेईमानी का पर्याय है। इसके मूल में है अत्यधिक धनोपार्जन की लिप्सा (हवस)। जब धन-सम्पत्ति के संग्रह की व्यापक छूट हो तो आगा-पीछा सोचने की जरूरत ही क्या है ? इस छूट से सच्चाई पर स्वत: पर्दा पड़ जाएगा, न्याय पर सोने का पानी चढ़ जाएगा | यदि धन-संग्रह की खुली छूट न होती, तो न्यायालय के चपरासी, बाबू और रीडर न्यायाधीश से भी अधिक अमीर कैसे होते ? हाजी मस्तान, बखिया और पटेल जैसे तस्कर-सम्राट भारत में कैसे फलते-फूलते ? शेयर किंग हर्षद मेहता भारत के अर्थ-तंत्र की जड़ें कैसे हिला पाता ? प्रशासनिक शिथिलता भ्रष्टाचार की जड़ है। रिश्वत के बिना ‘फाइल’ हिलेगी नहीं और कार्य की सम्पन्नता पर प्रश्नवाचक चिन्ह बना ही रहेगा। लिपिक से लेकर मंत्री तक, लालफीताशाही की गिरफ्त में हैं। उस बंधन को काटने के लिए चाहिए बख्शिश, रिश्वत, मेहनताना, दस्तूरी।

राजनीतिक भ्रष्टाचार

भारत आज भ्रष्टाचार के रोग से ग्रस्त है। यहाँ का राजनीतिज्ञ सूखा-पीड़ित जनों में वितरणार्थ आए अनाज की तो बात ही क्या पशुओं का ‘चारा’ तक खा जाता है। दोषी और भ्रष्ट नेताओं के विरुद्ध मुकदमे वापिस हो जाते हैं । समाजद्रोही तत्त्वों को न केवल सरकार का प्रश्नय मिलता है, अपितु उन्हें स्वच्छन्द पापाचार का लाइसेन्स भी मिलता है, तो भ्रष्टाचार रुकेगा कैसे ?सरकारी कानूनों के नाम पर लोगों के उचित और सही काम भी जब फाइलों में लटकते रहेंगे, परियोजनाओं की पूर्ति के लिए खुलकर कमीशन मिलते और माँगे जाते रहेंगे, सरकारी खरीद में हिस्सा मिलता रहेगा तो लोगों में नैतिकता का बोध कैसे कायम रह पाएगा ?यदि राजनीति में व्यक्ति, सिद्धांत, विचारधारा एवं संगठन की बजाय धन ही प्रभावी होता जाएगा और बिना पैसे वाले निष्ठावान कार्यकर्ता की अवहेलना की जाती रहेगी, तो सार्वजनिक जीवन में पवित्र मूल्यों की स्थापना कैसे हो पाएगी ?श्री अटलबिहारी वाजपेयी का मानना था कि ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक उदासीनता की स्थिति भी है क्योंकि भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया है।लोग मानने लगे हैं कि भ्रष्टाचार न सिर्फ प्रशासन में बल्कि जीवन के विभिन क्षेत्रों में इस हद तक फैल चुका है कि उसे मिटाया नहीं जा सकता।

इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है

हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छे तरह वाकिफ है और ये अपने या किसी भी देश के लिए में नई बात नहीं है। इसने अपनी जड़ें गहराई से लोगों के दिमाग में बना ली है। ये एक धीमे जहर के रुप में प्राचीन काल से ही समाज में रहा है। ये मुगल साम्राज्य के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर पहुँच रहा है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग पर हावी हो रहा है। समाज में सामान्य होता भ्रष्टाचार एक ऐसा लालच है जो इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और लोगों के दिलों से इंसानियत और स्वाभाविकता को खत्म कर रहा है।भ्रष्टाचार पर अंकुश कुछ प्रभावी कदम उठाकर लगाया जा सकता है। सबसे पहले इस बात की जरूरत है कि मान्यता प्राप्त दलों के उम्मीदवारों का चुनावी खर्चा सरकार सहन करे। दूसरे, गोपन कानून को संशोधित किया जाए, क्योंकि जितने पर्दे कम होंगे, पाप भी उतने ही कम होंगे। तीसरे, शक्तियों का विकेद्रीकरण हो। शक्तियों के विकेन्द्रीकरण से चीजें पंचायती हो जाएँगी और भ्रष्टाचार करना आसान नहीं होगा। चौथे, रचनात्मक जवाबदेही से युक्त राजनीतिक लोकाचार स्थापित हो । इसके तहत कोई अफसर या राजनेता यह कह कर नहीं बच सकता कि उसने चोरी नहीं की, बल्कि उसके रहते चोरी हुई। यही उसे गैर जिम्मेदार साबित करने के लिए पर्याप्त है और पाँचवें, राजनीतिक कार्रवाइयों के लिए एक गैर-राजनीतिक ‘पीपुल्स प्लेटफॉर्म’ (जन-परिषद्‌) बने, जो स्थायी विपक्ष की भूमिका अदा करता रहे ।

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