
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। फसल लगाने के दौरान कई बार किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। फसल को आंधी, पानी व सूखा की वजह से होने वाली भारी नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति कके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया जाता है। लेकिन यह बीमा किसानों के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है। बीमा कंपनियॉ प्रीमियम की राशि तो पूरी ले लेते है। लेकिन मौसम में बदलाव के बीच जब आंधी, बारिश व सूखे की स्थिति बनती है। किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। इसकी सूचना दी जाती है, तब किसानों को अलग अलग नियमावली का हवाला लेकर चक्कर लगवाया जाता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी लागत के अनुरूप किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता। इस कारण बीमा कराने को लेकर किसानों में रूचि लगातार कम हो रही है। अंचल में खरीफ एवं रबी फसल का बीमा कराने वाले किसानों में रूचि हर साल कम हो रही है। इसमें अऋणि किसान शामिल है। इसकी वजह सक्षम किसानों के फसल को नुकसान होने के बाद भी पर्याप्त मुआवजा राशि नहीं मिलना है। इस कारण चार साल पहले की अपेक्षा 2022-23 में 40 फीसदी किसानों ने फसल का बीमा कराया था। जबकि 60 फीसदी किसानों ने इस योजना से दूरी बना ली। विकासखंड के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में धान, अनाज, दलहन, तिलहन सहित अन्य फसल लेते है। रबी सीजन में किसान फसल लेते है लेकिन कई इलाके में सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने की वजह से पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था न होने से रबी फसल लेने वाले किसानों की संख्या कुछ कम है। विभागीय आंकडे देखे तो वर्ष 2019-20 में 19 हजार 122 ने फसल का बीमा कराया था। अगले ही साल से फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में कमी होती चली गई। वर्ष 2022-23 में 3129 किसानों ने फसल का बीमा कराया था। बताया जा रहा है कि फसल के नुकसान पर सिर्फ सूखा या फिर बाढ़ होने पर अधिक लाभ मिलता है। इसके अलावा कीटनाशकों के कारण या फिर बीज खराब होने पर जब फसल खराब होने पर मुआवजा नहीं मिल पाती है। दरअसल किसान ये प्रमाणित नहीं कर पाते है कि कीटनाशक या फिर बीज में किसी तरह की कमी या खराबी है।