जिले में हुआ नेशनल लोक अदालत का हुआ आयोजन

बेमेतरा (गंगा प्रकाश)। जिला न्यायालय बेमेतरा में आज दिन-शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें बृजेन्द्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दीप प्रज्जवलन कर लोक अदालत का शुभारंभ कर कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण व कर्मचारीगण को अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण करने हेतु प्रोत्साहित कर शुभकामाएं दी गई। लोक अदालत में जिला न्यायालय प्रांगण में जिले के कोने-कोने से पक्षकार अपने प्रकरणों के निराकरण के लिए उपस्थित हुये, जिनकी सुविधा के लिए विधिक सहायता डेस्क, स्वचलित चिकित्सकीय वेन, स्वास्थ्य डेस्क व समस्त बैंक, विद्युत विभाग द्वारा संचालित डेस्क, पक्षकारों हेतु निःशुल्क पौधा वित्तरण डेस्क लगाई गयी। नेशनल लोक अदालत हेतु जिला न्यायालय में 8 खण्डपीठ और तहसील साजा न्यायालय में 1 खण्डपीठ इस प्रकार जिला में कुल 9 न्यायालयीन खण्डपीठ का गठन कर दो-दो सुलहकर्ता सदस्यों की नियुक्ति की गई। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के अनुक्रम में समस्त न्यायालीन कर्मचारी, पैरालीगल वालेंटियर्स, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, नगर पालिका, विद्युत विभाग, समस्त बैंको सहित अन्य समस्त विभागों का भरपूर सहयोग रहा है।

                   नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों के आकडे अंतर्गत राजस्व प्रकरण 3937, अपराधिक प्रकरण 133, बैंक रिकवरी 38, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण 11, सिविल प्रकरण 14, विद्युत विवाद प्रकरण 50, पारिवारिक प्रकरण 22 क्लेम निष्पादन प्रकरण 02. निष्पादन 11. बी.एस.एन.एल. 11, चेक बाउंस 44 प्रकरणों सहित जिला में रिकॉर्ड अनुसार 5383 मामलों का निराकरण किया गया, जहां आपसी सहमति से सुनवाई के बाद पक्षकारों को बीमा, विद्युत्त व बैंक विवाद और अन्य प्रकरणों में कुल 30007725  रूपए की मुआवजा राशि वितरित की गई।

                 लोक अदालत में उपस्थित पक्षकारों को विधिक रूप से जागरूक करने हेतु किया गया लघु फिल्मों का प्रसारण जिला न्यायालय परिसर में पक्षकार के लिए बैठक व पेय जल व्यवस्था के साथ उन्हें विधिक रूप से जागरूक करने हेतु प्रोजेक्टर के माध्यम से घरेलू हिंसा, लैंगिक अपराधों से संबंधित, महिलाओं से छेड़‌छाड़ व साईबर क्राईम, मोटर दुर्घटना सहित विभिन्न विषयों पर लघु फिल्म दिखायी गयी।

छायादार एवं फलदार पौधों का वितरण कर पक्षकारों को किया प्रोत्साहित

नेशनल लोक आये में ग्रामीण अंचल से पहुंचे पक्षकारों को निःशुल्क पौधा वितरण डेस्क से फलदार, छायादार पौधों का वितरण कर प्रोत्साहित किया गया। साथ ही पक्षकारों के लिए सेल्फी जोन भी रखा गया। मां-बेटी के मध्य लंबित जमीनी विवाद में हुआ राजीनामा बेटी श्याम बाई (परिवर्तित नाम) द्वारा विधवा मां देवकी (परिवर्तित नाम) व बहन यशोदा (परिवर्तित नाम) के विरूद्ध लंबित सिविल अपील में प्रधान जिला न्यायाधीश बृजेन्द्र कुमार शास्त्री द्वारा उभय पक्ष के मध्य प्री-सिटिंग कर समझाईश देकर समझौता अनुसार दोनों बहनों को बराबर-बराबर भूमि के अतिरिक्त में बचत भूमि में तीनों माँ-बेटियों का नाम राजस्व अभिलेख में संयुक्त रूप से दर्ज किये जाने का अधिनिर्णय पारित किया गया जिससे मां बेटी खुशी-खुशी, साथ-साथ लौटे। न्यायालय, बृजेन्द्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला न्यायाधीश की खंडपीठ में 11 क्लेम केस में 39 लाख की क्षतिपूर्ति राशि का अवार्ड पारित कर अन्य प्रकरण में जिला कबीरधाम निवासी मंतराम (परिवर्तित नाम) की मोटर वाहन से मृत्यु होने के पश्चात् उसके पत्नि-पुत्री की ओर से धारा 166 मोटर यान अधिनियम 1988 के अतंर्गत प्रस्तुत आवेदन में न्यायालय, बृजेन्द्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा बीमा कंपनी से बातचीत के माध्यम से समझौता करा कर आवेदिकागण को कुल क्षतिपूर्ति राशि 14,50000 /- (चौदह लाख पचास हजार रूपये) का अवार्ड पारित किया गया। अन्य मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण में भी प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा किये गये राजीनामा हेतु प्रयास पश्चात् बीमा कंपनी द्वारा परिवारजन को 13 लाख 20 हजार रूपये क्षतिपूर्ति दिये जाने पर सहमति व्यक्त की।

100 वर्षीय बुजुर्ग चेक पाकर हुआ भावुक

चेक बाउंस के केस में जोहन वर्मा ने लक्ष्मीनारायण राठी से 1.5 लाख रूपये घरेलू आवश्यकता हेतु उधार लिया था कई बार मांगने पर पैसा वापस नही किया अपितु परिवादी को चेक दिया जो बैंक में प्रस्तुत करने पर बाउंस हुआ जिस कारण लक्ष्मीनारायण राठी द्वारा न्यायालय में चेक बाउंस का परिवाद प्रस्तुत किया गया न्यायाधीश मो. जहांगीर तिगाला द्वारा जोहन वर्मा को कहां गया की परिवादी तुम्हारें पिता तुल्य है तुम्हारी मजबूरी में आर्थिक रूप से मदद भी की है। न्यायाधीश द्वारा दी गई समझाईश पर जोहन वर्मा ने लक्ष्मीनारायण राठी को पुरी प्रदान किया ।

पिता और पुत्र के बीच पैसों को लेकर आई दरार को आपसी राजीनामा से सुलझाया

पिता ने पुत्र के खिलाफ 30 लाख रूपये एवं पुत्र ने पिता के खिलाफ 25 लाख रूपये के चेक बाउंस का मामला दर्ज कराया था। पिता पुत्र एक दूसरे का मुंह भी नहीं देखना चाहते थे। न्यायाधीश, श्रीमती अनिता कोशिमा रावटे के द्वारा समझाईश दिये जाने पर पिता और पुत्र आपसी विवाद को भूल कर न्यायालय से राजीनामा किया पिता ने पुत्र को गले लगाकर माफ किया।

कई वर्षों से लंबित मारपीट, झगडे के विभिन्न प्रकरणों में हुआ  राजीनामा

भाईयों-भतीजों के मध्य परिवारिक संपत्ति के बटवारें के प्रकरण को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, उमेश कुमार उपाध्याय द्वारा आपसी समझौते के आधार पर समाप्त करवाया। एक प्रकरण में पति-पत्नि दोनों आहत थें पति जरूरी काम से हरियाणा गया था व एक अन्य प्रकरण आहत गर्भवती महिला थी न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ थी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, उमेश कुमार उपाध्याय द्वारा विडियों कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से राजीनामा कराया गया। आहत संतोष यादव अपनी बीमार बुआ को देखने ग्राम-पिकरी गया था अभियुक्तगण द्वारा गाली-गलौज करने पर दर्ज कराये गये 6 वर्ष पुराने प्रकरण में न्यायालय के समझाईश पर आहत ने किया राजीनामा। माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में 08 ऐसे मामलों का निराकरण हुआ जिसमें अभियुक्त एवं आहत पति-पत्नि, पिता-पुत्र व अन्य निकट संबंधी थे। पक्षकरों के मध्य न्यायाधीश द्वारा प्री-सीटिंग कर लोक अदालत के लाभ को समझाते हुए राजीनामा कर समाप्त कराया। किशोर न्याय बोर्ड के पीठासीन अधिकारी गुलापन राम यादव द्वारा समझौते के आधार पर 05 प्रकरणों का किया निराकरण।

परिवार न्यायालय के कई प्रकरणों में परिवार हुआ एक

लम्बे समय से मामूली झगड़े के चलते अलग-अलग निवासरत् पति-पत्नि न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय श्रीमती नीलिमा सिंह बघेल की समझाईश पश्चात् हुए एक। न्यायाधीश द्वारा पक्षकारों को नारियल, तुलसी पौधा व सप्तत्रापि सात वचन की प्रतिलिपि भेंट दी गई। अन्य प्रकरण में पति द्वारा 02 वर्ष की बच्ची सहित 07 माह की गर्भवती आवेदिका को बेसहारा छोड़ा था, कुटुम्ब न्यायालय न्यायाधीश द्वारा दी गई समझाईश पश्चात् 10 हजार प्रतिमाह भरण-पोषण का हुआ आदेश। अन्य प्रकरण में एक दिव्यांग बुजुर्ग को उसके बेटे द्वारा घर से निकाले जाने पर लंबित भरण पोषण प्रकरण में न्यायाधीश श्रीमती नीलिमा सिंह बघेल की समझाईश पर परिजन घर ले जाने को हुए तैयार परिवार परिजन को मिठाई खिलाकर हंसी-खुशी घर भेजा गया।

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