
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर (गंगा प्रकाश)। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पति की दीर्घायु , परिवार की सुख समृद्धि और सुखी दाम्पत्य के लिये लिये महिलाओं ने भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज पर पूजा अर्चना की। मान्यता है कि इस दिन पूजा के दौरान तीज की व्रत कथा का श्रवण या पाठन करने से सुहाग को दीर्घायु होने का वर प्राप्त होता है। दीया मूलचंदानी ने बताया कि इस वर्ष यह पूजा संतोषी नगर स्थित झूलेलाल मंदिर में की गई , जहां सुबह और शाम दोनों समय इस पूजा में उपवास रखी हुई बहनों की क़तार बनी रही। रात को चाँद के दर्शन कर , कच्चा दूध ,शक्कर , चावल से अर्घ्य देकर सभी बहनें अपना उपवास खोलती हैं । सिंधी समाज में यह तिजड़ी व्रत के नाम से प्रसिद्ध है , जो लगभग करवा चौथ व्रत की तरह ही रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तीज के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से माता तिजड़ी , भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन शादीशुदा महिलायें अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिये निर्जला उपवास रखती हैं , वहीं कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं। इस दिन माता तिजड़ी , माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति के साथ सभी मनोकामनायें भी पूरी होती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भादो मास की इस तिथि के दिन पहली बार इस व्रत को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिये किया था। यही कारण है कि इस तीज व्रत को कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं। इसकी पूजा के दौरान कजरी तीज की व्रत कथा भी सुनी जाती है। मान्यता है कि व्रत कथा को पढ़ने और सुनने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होता है , वहीं कुंवारी लड़कियों को भी अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है।