पत्रकार मुकेश चंद्राकर के अस्थि कलश से छेड़छाड़ , इंसानियत पर कलंक ।

पत्रकार मुकेश चंद्राकर के अस्थि कलश से छेड़छाड़ , इंसानियत पर कलंक ।

 

बीजापुर (गंगा प्रकाश)। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या के बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई छेड़छाड़ ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल मानवीय संवेदनाओं का उल्लंघन है, बल्कि पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।

सड़क निर्माण घोटाले का सच उजागर करना पड़ा भारी…

मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया था, जो उनकी हत्या का कारण बना। उनकी ईमानदारी और साहस ने भ्रष्ट तंत्र को बेनकाब किया, लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। उनके परिवार के लिए यह दु:खद था, लेकिन उससे भी ज्यादा दर्दनाक घटना उनके अस्थि कलश के साथ हुई।

अस्थि कलश से छेड़छाड़…

मुकेश की अस्थियों को कलेश्वरम में विसर्जित करने की योजना थी। जब परिजन मुक्तिधाम पहुंचे तो अस्थि कलश गायब मिला। खोजबीन में कलश 50 मीटर दूर टूटा और अस्थियां बिखरी हुई पाई गईं। परिजनों ने इसे अमानवीय और असहनीय बताया। इस घटना पर दक्षिण बस्तर और बस्तर जिला पत्रकार संघ ने गहरा आक्रोश जताया और बीजापुर एसपी को शिकायत सौंपी। पत्रकार संघ ने मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों को कठोर सजा देने की मांग की है।

पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल….

यह घटना यह दर्शाती है कि सच्चाई के लिए लड़ने वाले पत्रकार आज खुद असुरक्षित हैं। यह समस्या केवल एक जिले या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में पत्रकारों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। अगर पत्रकारिता के प्रति इस तरह की मानसिकता जारी रही तो सच्चाई और न्याय की आवाज दब जाएगी।

सरकार और प्रशासन से उम्मीदें…

इस घटना ने समाज और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही, पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक ठोस नीति बनानी होगी, ताकि वे निडर होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।

न्याय की प्रतीक्षा…

मुकेश चंद्राकर की हत्या और उनकी अस्थियों के साथ हुई छेड़छाड़ न्याय व्यवस्था की परीक्षा है। यह घटना केवल उनके परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे समाज का अपमान है। दोषियों को दंडित कर न्याय सुनिश्चित करना ही पीड़ित परिवार और समाज को संतोष दे सकता है।

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