CGNEWS धमाका: रंगे हाथ पकड़े गए, फिर भी कुर्सी पर जमे हैं दोषी! आबकारी विभाग की नाक के नीचे चल रहा ओवररेटिंग का गोरखधंधा

राजनांदगांव (गंगा प्रकाश)। शहर में सरकारी शराब दुकानों के नाम पर चल रहे ओवररेटिंग के गोरखधंधे ने अब आबकारी विभाग की साख को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। उड़नदस्ते की सटीक कार्रवाई में रंगे हाथों पकड़े गए सुपरवाइजर आज भी अपनी कुर्सी पर जमे हुए हैं, जबकि खुद आबकारी उपायुक्त ने उन्हें हटाने और ब्लैकलिस्ट करने का आदेश दिया था। यह चौंकाने वाला खुलासा युवा कांग्रेस अध्यक्ष गुरभेज माखीजा ने किया है।
क्यों नहीं हटे दोषी? कौन दे रहा है संरक्षण?
गुरभेज माखीजा ने प्रेस वार्ता में सीधे सवाल दागते हुए कहा,
“जब अधिकारियों के पास दोषियों को हटाने का स्पष्ट आदेश है, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या यह किसी बड़े रैकेट का हिस्सा है, जिसमें अफसरों की भी हिस्सेदारी है?”
उन्होंने बताया कि शराब दुकानों के सुपरवाइजर धनपत ध्रुव और चंद्रशेखर भट्ट को उड़नदस्ते ने अधिक दाम पर शराब बेचते हुए पकड़ा था। ये कर्मचारी प्लेसमेंट के जरिए रखे गए थे, लेकिन सरकारी दुकान के नाम पर अवैध कमाई कर रहे थे। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब नियमों के तहत तत्काल बर्खास्तगी होनी चाहिए थी, तो विभाग आंख मूंदे क्यों बैठा है?
सिर्फ कर्मी नहीं, पूरा विभाग संदेह के घेरे में
माखीजा ने कहा कि ये कर्मचारी सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि किसी “ऊपरी सिस्टम” के लिए भी कमाई कर रहे थे।
“कर्मचारी तो मोहरे हैं, असली खिलाड़ी वो हैं जो उन्हें बचा रहे हैं। यही वजह है कि आदेश के बावजूद कार्रवाई रोक दी गई,” उन्होंने कहा।
उन्होंने मांग की कि दोषी सुपरवाइजरों के बयान दर्ज कर पूरे विभाग की जांच की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
संस्कारधानी बन रही ‘शराबधानी’?
युकां अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि बीते एक साल में राजनांदगांव को अवैध शराब का गढ़ बना दिया गया है।
“धार्मिक स्थलों, स्कूलों और घनी बस्तियों के आसपास शराब बेची जा रही है। ये सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं की खुली हत्या है,” माखीजा ने तीखा प्रहार किया।
क्या कहता है आदेश, और कहां फंसी कार्रवाई?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आबकारी उपायुक्त द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से दोषियों को हटाने, उन्हें ब्लैकलिस्ट करने और प्लेसमेंट एजेंसी पर दंडात्मक कार्रवाई की बात कही गई है। मगर यह आदेश फाइलों में दबा पड़ा है, और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ ‘प्रतीक्षा’ हो रही है।
जनता का सवाल: क्या आबकारी विभाग भी इस गठजोड़ का हिस्सा है?
- अब सवाल सिर्फ दो कर्मचारियों पर नहीं, बल्कि पूरे आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहा है।
- क्या दोषियों को बचाने के लिए विभागीय अधिकारी खुद मोहरा बन गए हैं?
- क्या ऊपर से नीचे तक फैला यह नेटवर्क राजनांदगांव को भ्रष्टाचार की दलदल में धकेल रहा है?
युकां की चेतावनी: कार्रवाई नहीं तो जनआंदोलन तय
गुरभेज माखीजा ने अंत में चेतावनी दी कि यदि जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो जनता के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
“ये सिर्फ शराब की बात नहीं, ये न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है,” उन्होंने जोड़ा।