CG: पाली जनपद में भ्रष्टाचार की गूंज: पंचायतों से चुनावी खर्च के नाम पर उगाही, सीईओ सोनवानी पर लगे गंभीर आरोप
सरपंचों ने कहा- शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे अधिकारी, सचिवों को किया जा रहा आर्थिक रूप से प्रताड़ित


कोरबा/पाली (गंगा प्रकाश)। पाली जनपद में भ्रष्टाचार की गूंज:पाली जनपद पंचायत में इन दिनों भारी भ्रष्टाचार की आंच उठ रही है। पंचायत प्रतिनिधियों और सचिवों के बीच गुस्से और असंतोष की आग सुलग रही है। इसकी वजह है – जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) भूपेंद्र सोनवानी द्वारा पंचायत सचिवों से कथित रूप से की जा रही अवैध वसूली। सचिवों और सरपंचों का आरोप है कि पंचायत निर्वाचन खर्च के नाम पर प्रत्येक पंचायत से 15 हजार से 20 हजार रुपये की राशि का दबाव डालकर उगाही की जा रही है। मामले को लेकर जहां सरपंचों में आक्रोश है, वहीं कई सचिव खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन बंद कमरों में उनका गुस्सा फूट पड़ता है।
निर्वाचन खर्च के नाम पर लाखों की वसूली
पाली जनपद के अंतर्गत कुल 93 पंचायतें कार्यरत हैं। यदि सीईओ द्वारा वसूली जा रही राशि की औसत 15 हजार रुपये मान ली जाए, तो यह राशि लगभग 13.95 लाख रुपये बनती है। वहीं 20 हजार की दर से वसूली हुई हो तो यह राशि 18.60 लाख रुपये के पार पहुंचती है। यह सारा पैसा कथित रूप से जिला प्रशासन को निर्वाचन खर्च के भुगतान के नाम पर लिया जा रहा है, लेकिन इसकी कोई अधिकृत पुष्टि न तो जिला प्रशासन की ओर से हुई है, न ही पंचायत संचालनालय से। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह पैसा जनपद सीईओ की जेब में जा रहा है?
“कोई आदेश नहीं, फिर क्यों वसूली?”
पीड़ित सचिवों का कहना है कि जब उन्होंने अन्य जनपदों में पदस्थ अधिकारियों से इस संबंध में बात की, तो उन्हें बताया गया कि चुनावी खर्च के नाम पर सचिवों से इस तरह की व्यक्तिगत रूप से राशि वसूलना पूरी तरह से गलत है। जिला प्रशासन की ओर से भी ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। फिर सवाल यह है कि भूपेंद्र सोनवानी किसके आदेश से या किस अधिकार से पंचायतों पर आर्थिक दबाव बना रहे हैं?
सरपंचों का सीधा आरोप: “यह सीधा-सीधा लूट है”
पाली जनपद की कई पंचायतों के सरपंचों ने इसे खुलकर “अवैध वसूली” बताया है। एक सरपंच ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सीईओ सोनवानी ने पहले भी पंचायत निर्माण कार्यों में कमीशन की खुली मांग की थी, तब हमने शिकायत की थी और उन्हें हटाया गया था। अब दोबारा वही कहानी दोहराई जा रही है। इस बार वह निर्वाचन खर्च के नाम पर हमारी पंचायत निधि को चूसने पर तुले हैं।”
भ्रष्टाचार का पुराना चेहरा
भूपेंद्र सोनवानी का नाम पहले भी विवादों में रह चुका है। पूर्ववर्ती शासनकाल में उनके खिलाफ जनपद में कार्यरत रहते हुए निर्माण कार्यों में कमीशन मांगने और अनावश्यक वसूली को लेकर शिकायतें की गई थीं। तब सरपंच संघ की पहल पर जिला कलेक्टर ने उन्हें हटाकर अपने अधीन अटैच किया था। लेकिन कुछ समय बाद वे एक बार फिर पाली जनपद की कुर्सी पर लौट आए। अब फिर वही भ्रष्टाचार, वही मनमानी और वही तानाशाही दिखाई दे रही है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर छत्तीसगढ़ शासन के आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा उनका तबादला बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ जनपद पंचायत में किया गया था। लेकिन चुनाव के बाद वे पुनः पाली में पदस्थ हो गए और कथित तौर पर अपने पुराने रवैये पर लौट आए हैं।
पंचायत निधि पर हमला, विकास कार्य प्रभावित
पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यदि पंचायत निधि से ही ऐसी अवैध वसूली होती रही, तो पंचायतें न तो अपने क्षेत्र में विकास कार्य करा पाएंगी, न ही योजनाओं को क्रियान्वित कर पाएंगी। पंचायत सचिवों को जो वेतन और भत्ता मिलता है, वह पहले से ही सीमित है। उस पर भी यदि इस तरह की जबरन वसूली होती है, तो यह सीधे-सीधे शासन के दिशा-निर्देशों और पंचायत राज व्यवस्था का मजाक है।
कलेक्टर के नाम का हो रहा दुरुपयोग?
सचिवों का आरोप है कि सीईओ सोनवानी जिला कलेक्टर का नाम लेकर पंचायत सचिवों पर दबाव बना रहे हैं। अगर यह सच है, तो यह न सिर्फ प्रशासन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि एक तरह से जिला प्रशासन के नाम का दुरुपयोग भी है। अब यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की बनती है कि वह इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए पारदर्शी जांच कराए।
क्या करेंगे जिम्मेदार?
पाली जनपद में भ्रष्टाचार की इस खुली कहानी के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सरकार और प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे रखेगा? पंचायत प्रतिनिधियों की मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पाए जाने पर भूपेंद्र सोनवानी को तत्काल बर्खास्त किया जाए। साथ ही जो भी राशि सचिवों से जबरन वसूली गई है, उसे वापस दिलाया जाए।