एक देश ऐसा भी…जहां के लोग खाते थे कुत्ता, अब सरकार ने लगा दिया मांस की बिक्री पर बैन; मचा हाहाकार

सियोल: दुनिया विचित्रताओं और विभिन्नताओं से भरी पड़ी है। हम एक ऐसे ही विचित्र देश की बात कर रहे हैं, जहां के लोगों का प्रिय भोजन कुत्ता है। यह सुनकर आप चौंक रहे होंगे। मगर ये सच है। इस देश का नाम है दक्षिण कोरिया। अब इस देश की सराकर ने कुत्तों की मांस बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। लिहाजा पूरे देश में हाहाकार मच गया है। क्योंकि कुत्तों पर आधारित बहुत बड़ा व्यवसाय और इससे जुड़े लोगों के बीच हड़कंप मच गया है।

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कुत्तों का व्यवसाय और बैन

दक्षिण कोरिया ने कुत्तों पर बैन लगाने का ऐतिहासिक फैसला वैसे तो जनवरी 2025 में ही ले लिया था, मगर अब इसके क्रियान्वयन को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। सरकार के इस फैसले ने दक्षिण कोरिया की सदियों पुरानी सांस्कृतिक परंपरा को झकझोर दिया और देश के कृषि समुदाय में हलचल मचा दी है। कुत्ते के मांस उद्योग पर पूरी तरह से प्रतिबंध फरवरी 2027 तक लागू होगा। इस कदम को देश की नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से पारित किया, जो इस व्यापार के हर चरण — प्रजनन, वध, वितरण और उपभोग — को अपराध घोषित करता है।

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व्यवसायियों को सबसे बड़ा झटका

सरकार के इस फैसले से जहां एक तरफ पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए यह करुणा और आधुनिक पशु कल्याण मानकों की दिशा में एक ऐतिहासिक बदलाव है, तो वहीं दूसरी तरफ जिन किसानों और व्यापारियों की आजीविका इस व्यापार पर निर्भर थी, उनके लिए यह आर्थिक तबाही जैसा है, जिसमें भविष्य को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। अब, सरकार की तीन साल की छूट अवधि के बीच में, इंसान और जानवर दोनों एक अनिश्चित स्थिति में फंसे हैं।

5 लाख से अधिक कुत्तों का क्या होगा?

2022 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, मानव उपभोग के लिए 1,100 से अधिक फार्मों में लगभग 5,20,000 कुत्ते पाले जा रहे थे। इनमें मुख्य रूप से टोसा-इनु जैसी बड़ी नस्लें हैं। सरकारी शेल्टर पहले से ही अपनी क्षमता से अधिक भरे हैं, और निजी आश्रयों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। स्थानीय निकायों को छोड़े गए कुत्तों को अपनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन बड़ी नस्ल के कुत्ते अक्सर “खतरनाक” माने जाते हैं, जिससे शहरी घरों में उन्हें गोद लेना मुश्किल हो जाता है, जहां छोटे पालतू जानवरों को प्राथमिकता दी जाती है। Humane World for Animals Korea की ली सांगक्यूंग जैसे पशु कार्यकर्ता कहते हैं कि सरकार ने कोई स्पष्ट बचाव योजना नहीं बनाई है। ऐसे में इन कुत्तों का क्या होगा?

एक साथ कुत्तों की संख्या बढ़ी तो खतरा

सरकार के इस फैसले के बाद अगर कुत्तों के निदान की कोई योजना नहीं बनाई गई तो ये तय है कि इनकी संख्या बढ़ेगी। इससे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ जाएंगी। कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध पारित हो गया है, लेकिन सरकार और नागरिक समूह अभी भी यह तय नहीं कर पाए हैं कि बचे हुए कुत्तों को कैसे बचाया जाए। कुछ कुत्तों को विदेशों में गोद लिया जा रहा है, लेकिन यह संख्या इस समस्या के पैमाने के मुकाबले नगण्य है। आलोचक चेतावनी देते हैं कि अगर कोई वैकल्पिक योजना नहीं बनी, तो परिणाम भयावह होंगे। कोरियन एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन की चो ही-क्यूंग ने कहा, “अगर ये बचे हुए कुत्ते ‘लावारिस और त्यागे हुए जानवर’ बन जाते हैं, तो दुख की बात है कि उन्हें मारना पड़ेगा।”

अब 5 लाख कुत्तों का क्या करेगी सरकार

सरकार ने दावा किया है कि पशुओं को मारने की कोई योजना नहीं है। इसके बजाय, उन्होंने किसानों को व्यापार छोड़ने के लिए 6,00,000 कोरियन वॉन (लगभग 450 अमेरिकी डॉलर) प्रति कुत्ता का प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है। 60 वर्षीय रेवरेन्ड जू योंग-बॉन्ग जैसे लोगों के लिए यह कानून उनके फार्म को एक लाभकारी व्यवसाय से बोझ में बदल चुका है। “पिछले गर्मी से हम अपने कुत्ते बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन व्यापारी हिचकिचा रहे हैं। एक भी नहीं आया,” उन्होंने बीबीसी को बताया।

जनता का समर्थन 

दक्षिण कोरिया के युवा अब कुत्तों को साथी के रूप में देखते हैं, भोजन के रूप में नहीं। इसलिए सरकार के फैसले के वह साथ हैं, लेकिन यह बदलाव नैतिकता और सांस्कृतिक स्वतंत्रता को लेकर सवाल भी खड़ा कर रहा है। Gallup Korea के अनुसार, कुत्ते के मांस का उपभोग 2015 में 27% से घटकर 2023 में मात्र 8% रह गया। 2024 की सरकारी सर्वे के अनुसार, प्रतिबंध के बाद केवल 3.3% लोग ही इसे खाने का इरादा रखते हैं। फिर भी, विरोध जारी है। कुछ विक्रेता सरकार पर पश्चिमी नैतिक दबाव में झुकने का आरोप लगाते हैं, जबकि कुछ इसे दोहरा मापदंड मानते हैं। 2023 में अपना फार्म बंद करने वाले पूर्व कुत्ता मांस किसान यांग जोंग-ताए ने पूछा, “अगर कुत्ते को जानवर होने के कारण प्रतिबंधित किया गया है, तो फिर गाय, सूअर और मुर्गियों को खाना क्यों ठीक है?”

सरकारी प्रतिक्रिया

इस संकट से निपटने के लिए कृषि, खाद्य और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय (MAFRA) ने हर साल 6 अरब कोरियन वॉन सार्वजनिक शेल्टर बढ़ाने और निजी आश्रयों को सहयोग देने का वादा किया है। लेकिन नागरिक समाज समूहों का कहना है कि ये उपाय बहुत अस्पष्ट और अपर्याप्त हैं। Humane Society International Korea की जंगआह चेह ने कहा, “सार्वजनिक शेल्टर पहले से ही भर चुके हैं, और निजी शेल्टरों के पास पैसे और जगह नहीं है।” उन्होंने इस कानून को “इतिहास बनते देखना” बताया, लेकिन यह भी चेतावनी दी कि इसका कार्यान्वयन बेहद पिछड़ गया है।

अब आगे क्या?

जैसे-जैसे फरवरी 2027 की समयसीमा नजदीक आ रही है, छूट अवधि को बढ़ाने की मांग तेज हो रही है। किसान कह रहे हैं कि उन्हें समय, वित्तीय सहायता और स्पष्ट दिशा-निर्देश चाहिए। जू ने कहा, “अभी लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कुछ बदल जाए। लेकिन 2027 तक, मुझे सच में डर है कि कुछ भयानक होगा।” जैसे-जैसे सियोल 2027 तक इस सदियों पुरानी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है, वध के लिए पाले गए कुत्ते और इस व्यापार पर निर्भर किसान अब एक बेहद अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।

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